पर्यावरण के असली प्रेमी

उन्हें पता था कि किसी भी चुनाव में पर्यावरण मुद्दा नहीं होता लेकिन इस बार उनकी पवित्र आत्मा भी चिंतन में शामिल थी इसलिए उन्हें नए ढंग से कुछ करना ही था। उन्होंने अपनी ठोडी के नीचे हाथ रखकर, काफी सोचकर संकल्प लिया कि इस बार अपनी जीवन शैली बदल डालेंगे। रोज़ ज़मीन पर बिछाई दरी पर बैठकर कुछ मिनट तक आंखें वाकई बंदकर चिंतन करेंगे। आज तक कोई कार्य ध्यान से नहीं किया लेकिन अब रोज़ ध्यान लगाया करेंगे ताकि आत्मिक शक्ति बड़े। यह शुभ कार्य घर में नहीं हो पाएगा यह मानकर, पड़ोस के पार्क में करेंगे, वही पार्क जिसे बनाने के बाद बिल्कुल भुला दिया गया। उन्होंने अगला संकल्प लिया कि अपना पहनावा भी बदल देंगे और रोज़ नीला या हरा रंग ही पहना करेंगे। हर रविवार को सिर्फ सफेद वस्त्र ही धारण करेंगे ताकि शांति स्थापित रहे और उनके व्यक्तित्व से शांति का ही सम्प्रेषण हो। पर्यावरण सुधारने के लिए जो भी सोचेंगे लकड़ी की पुरानी, आरामदायक कुर्सी पर बैठकर भी सोचेंगे और संकल्प लिया कि कुर्सी पर विराजने के बाद कभी आंख मींच कर सोच विचार नहीं करेंगे बल्कि पूरी आंखें खोलकर ही सोचेंगे। गहन विचार के लिए ठोडी के नीचे बार-बार उंगलियां चिपकाकर सोचा करेंगे। सिर पर हाथ रखकर कभी न सोचेंगे क्योंकि इससे गलत संदेश स्वत ही प्रेषित हो जाता है कि बंदा परेशान है। 
उन्होंने जीन्स पहनकर काफी मंथन किया और करवाया भी लेकिन बात नहीं बनी। इस बार फिर से बढ़िया ब्रांड की नीले रंग की नेकर पहनकर, सफेद रंग की टी शर्ट जिस पर एक चिड़िया की तस्वीर और ‘लव नेचर’ भी छपा था कई बार पहनी। हरे रंग की कैप लगाकर भाषण सुने और दिए और हाथ में सफेद दस्ताने पहनकर समाज व प्रशासन के ज़िम्मेदार लोगों के साथ दौड़ लगाई। लेकिन अगली ही सुबह फिर लगने लगा कि कुछ ठोस नहीं हुआ। 
दिमाग फिर कहने लगा कि कुछ और सोचो। फिर एक दिन प्लास्टिक का सामान निजी तौर पर घर से बाहर करने के लिए लिस्ट बनाई लेकिन इतने सालों से व्यवहारिक उपयोगिता व पत्नी की डांट के कारण लिस्ट फाड़नी पड़ी। पत्नी ने कहा मैं प्लास्टिक का सारा सामान जोकि मुझे बहुत प्रिय है घर से बाहर करने के लिए तैयार हूं ताकि पर्यावरण जल्दी सुधर जाए लेकिन घर का वातावरण ठीक रखने के लिए पहले यह बताइए कि पीतल का नया सामान लाने के लिए बजट कहां से आएगा, फिलहाल कल मेरे साथ मॉल चलें ताकि शौपिंग हो सके। काफी सामान खरीदना है। यह बात कल रात सोते समय हुई थी। उन्होंने सोमवार सुबह से योग का सहारा लेने का निश्चय किया। अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए हलके फुलके व्यायाम करने के बाद, रोज़ाना शवासन करने का निर्णय लिया ताकि पहले अपना और घर का स्वास्थ्य ठीक रहे और जीवन में शान्ति रहे। बदली हुई परिस्थितियों के कारण पर्यावरण सुधार के लिए उनका महत्वपूर्ण निर्णय फिर से स्थगित हो गया। उन्हें पता है पर्यावरण बारे चिंतन तो जब चाहे कर लो।

-गुलिस्तान, साथी पक्का तालाब, नाहन 173001 (हि.प्र.)
मो-9816244402