किसान को मालामाल बनाने वाला बादाम का पेड़

बादाम को मेवा माना जाता है, मेवा यानी सूखा फल। किशमिश, काजू, अखरोट आदि को भी हम मेवा के रूप में ही जानते हैं। लेकिन तकनीकी रूप से देखें तो बादाम सूखा फल नहीं बल्कि एक प्रकार का पत्थर फल है, जिसे ड्रूप भी कहते हैं। बादाम जो कि इसी नाम के पेड़ का फल है, को अंग्रेजी में ऑल्मंड, संस्कृत में वाताद या वातवैरी, जबकि हिन्दी, मराठी, गुजराती व बांग्ला में बादाम तथा फारसी में बदाम शोरी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम-प्रूनुस डल्शिस, प्रूनुस अमाइग्डैलस है। वैसे एक जमाने में बादाम की उत्पत्ति एशिया और चीन के पश्चिमी भागों में हुई थी, मध्य पूर्व के देशों का इसे मूल निवासी माना जाता है। बड़े पैमाने पर बादाम के पेड़ ईरान, ईराक, मक्का, मदीना, मस्कट, शीराज आदि में पाए भी जाते हैं, लेकिन जहां तक बादाम उत्पादन की बात है, तो दुनिया में सबसे ज्यादा बादाम का उत्पादन अमरीका में होता है। 
साल 2021 में अमरीका ने 2,002,742 टन बादाम का उत्पादन किया था। अमरीका के बाद दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा बादाम स्पेन में पैदा होता है। स्पेन में भी वार्षिक 2,02,339 टन बादाम का उत्पादन होता है। दुनिया में बादाम की कुल आपूर्ति का 80 प्रतिशत अमरीका के कैलिफोर्निया से होता है, बाकी का 20 प्रतिशत स्पेन और इटली जैसे भूमध्यसागरीय देशों से होता है। अमरीका में पैदा होने वाले बादाम का 99 प्रतिशत कैलिफोर्निया में पैदा होता है। यहां करीब 4.7 अरब डॉलर की कीमत के 25 से ज्यादा किस्मों के बादाम पैदा होते हैं।
जहां तक भारत में बादाम उत्पादन की बात है तो भारत में यह सबसे ज्यादा जम्मू और कश्मीर में पैदा होता है। भारत में पैदा होने वाले कुल बादाम का 85 प्रतिशत हिस्सा जम्मू और कश्मीर से ही आता है। जम्मू और कश्मीर के पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, गांदरबल और बारामूला ज़िले बादाम के प्रमुख उत्पादक हैं। भारत में शेष पैदा होने वाले बादाम में से करीब 8 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश और लद्दाख में पैदा होता है, बाकी बचा आंध्रप्रदेश की पहाड़ियों, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, और केरल सहित कई दूसरे क्षेत्रों में भी पैदा होता है। बादाम के पेड़ पश्चिम बंगाल और उत्तर में अन्य गर्म क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं। भारतीय बादाम सर्दियों के महीनों में फल देते हैं। 
बादाम का पेड़, आड़ू के पेड़ की प्रजाति का है। आयुर्वेद में इसे बुद्धि और नसों के लिए गुणकारी बताया गया है। इसे अपने खाद्य बीज यानी नट के लिए उगाया जाता है और जैसे-जैसे दुनिया में स्वास्थ्य के प्रति लोगों में सजगता आ रही है, बादाम की मांग बढ़ती जा रही है। भारत और चीन जैसे देशों में बादाम की अच्छी खासी मांग है, क्योंकि यहां के लोग एक तो स्वास्थ्य को लेकर काफी सजग रहते हैं फिर खाने पीने के बहुत शौकीन हैं। इसलिए भारत जैसे देश में बादाम का उत्पादन करके बढ़िया कमाई के भरपूर मौके हैं, क्योंकि बादाम की बाज़ार कीमत अच्छी खासी होती है। अमूमन कम से कम गुणवत्ता वाला बादाम भी 600 रुपये किलो से कम का नहीं मिलता और अच्छी क्वालिटी वाले बादाम की कीमत 1000 रुपये से भी ज्यादा होती है। कृषि की आधुनिक तकनीकों से अब बादाम का उत्पादन गैर पारंपरिक क्षेत्रों में भी भरपूर तरीके से होने लगा है। 
किसानों के लिए बादाम की खेती कई वजहों से बहुत फायदेमंद है। एक तो दूसरी फसलों की तरह बादाम की फसल पाने के लिए इसे हर साल बोना नहीं पड़ता, एक बार बादाम का पेड़ तैयार हो जाए तो यह 50 साल तक फल देता है। बादाम के पेड़ की सही देखरेख की जाए तो चार साल में फल देने लगता है। वैसे बेहतर क्वालिटी और भरपूर उत्पादन के लिए कम से कम 6 से 7 साल तक रूकना पड़ता है। चूंकि बादाम के पेड़ में हर साल खर्च नहीं करना पड़ता इसलिए इसे भले बेहतर खाद और देखरेख की ज़रूरत पड़ती हो, लेकिन यह बहुत महंगी नहीं होती। दो एकड़ में बादाम के पेड़ लगा दिए जाएं तो ये सात साल बाद औसतन ढाई से तीन लाख रुपये प्रतिवर्ष की इनकम देते हैं। इसलिए देश के कई हिस्सों में किसान बादाम के पेड़ लगा रहे हैं और वनस्पतिशास्त्रियों की देखरेख में ये पेड़ फल फूल रहे हैं। क्योंकि भारत जैसे देश में जहां खानपान की हजारों किस्में हैं, वहां बादाम की बहुत भारी मांग है। अपने देश में दूध और शरबत से लेकर बादाम अनगिनत मिठाईयों और व्यंजनों में इस्तेमाल होता है। इसलिए भारतीय उपभोक्ता बाज़ार में बादाम की बहुत मांग है। 
बादाम का पेड़ 4 से 12 मीटर तक ऊंचा होता है और इसके तने का व्यास 12 इंच से 16 इंच तक हो सकता है। बादाम के पेड़ में गुलाबी और सफेद रंग के फूल लगते हैं। फिर इन्हीं फूलों में फल बनता है। बादाम का पेड़ खुद भी उगाया जा सकता है और बाज़ार से इसकी नर्सरी भी खरीदी जा सकती है। किसानों के लिए बादाम की खेती पारंपरिक खेती के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होती है, इसलिए देश के कई हिस्सों में बादाम के पेड़ लगाने के प्रति किसान खासे आकर्षित हो रहे हैं। बादाम की फसल साल में एक बार ही होती है। लेकिन बादाम के बागीचे में कई दूसरी सहायक फसलें जैसे मधुमक्खी का पालन यानी शहद उत्पादन भी आसानी से होता है। अगर समझदारी से बादाम की खेती की जाए तो एक एकड़ में हर साल एक से डेढ़ रुपये का मुनाफा बहुत आसानी से कमाया जा सकता है। 
 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर