चिनाब रेलवे ब्रिज जहां बादलों के बीच दौड़ेगी वंदे भारत

भले दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज बनाने में चीन को महारत हासिल हो, लेकिन आजतक उसके बनाये गये दुनिया के नौ सबसे ऊंचे रेल पुलों पर हमारा एक चिनाब रेलवे ब्रिज भारी पड़ता है; क्योंकि यह चीन के बनाये गये सभी पुलों से ऊंचा है। खास क्वालिटी के स्टील और कंकरीट से बना चिनाब रेलवे ब्रिज, एक आर्च ब्रिज है, जो भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू डिवीजन के रियासी ज़िले में बक्कल और कौरी के बीच चिनाब नदी पर स्थित है। यह रेलवे ब्रिज 359 मीटर ऊंचा है, जो कि दुनिया की किसी भी रेलवे ब्रिज की अब तक की सबसे ज्यादा ऊंचाई है। इसके बाद दूसरे से दसवें तक दुनिया के सारे ऊंचे रेलवे ब्रिज चीन ने बनाये हैं। दुनिया का दूसरे नंबर का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज चीन का नजीहे रेलवे ब्रिज है, जिसकी ऊंचाई 310 मीटर है। 
चिनाब रेलवे ब्रिज की ऊंचाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह एफिल टॉवर, कुतुबमीनार और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के साथ-साथ स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से भी ऊंचा है। एफिल टॉवर की कुल ऊंचाई 300 मीटर है और अगर इसके ऊपर लगे एंटीना को भी जोड़ लिया जाए तो यह ऊंचाई 334 मीटर तक पहुंचती है, जबकि देश की राजधानी दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार 73 मीटर यानी 239.5 फीट तथा स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई 92.96 मीटर या 305 फीट है। इसी क्रम में नर्मदा नदी पर बनाये गये सरदार सरोवर बांध के निकट सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की ऊंचाई भी सिर्फ 142 मीटर है। कल्पना करिये जब इस पुल से होकर भारत की मौजूदा समय में सबसे तेज़ रफ्तार ट्रेन वंदे भारत गुजरेगी तो यात्रियों को ऐसा एहसास होगा, मानो वे बादलों को चीरकर सफर कर रहे हैं। 
दरअसल साल 2002 में उत्तर रेलवे ने जम्मू-कश्मीर में जम्मू के पास ऊधमपुर और कश्मीर घाटी के उत्तर पश्चिमी छोर पर बसे बारामूला शहर के बीच रेलवे लाइन के निर्माण हेतु एक मेगा परियोजना बनायी, जिसे साल 2002 में राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया गया। दिसम्बर 2003 में इस परियोजना को स्वीकृत मिली। लेकिन इसके निर्माण कार्य के शुरु होने में लगातार देरी हुई, क्योंकि लंबे समय तक यह ही नहीं तय हो पा रहा था कि चिनाब नदी पर इतनी ऊंचाई पर पुल का निर्माण कैसे हो? दर्जनों तरीके से इस पर सोचा गया, अंत में उस निर्माण तकनीकी पर अंतिम मोहर लगी, जिसके चलते 19 सालों में बनकर यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल तैयार हुआ।
चिनाब रेलवे ब्रिज की डेक की ऊंचाई नदी तल से 359 मीटर है, जबकि नदी की सतह के ऊपर से यह ऊंचाई 322 मीटर है। अंतिम रूप से तैयार पुल की लंबाई 4,314 फीट या 1315 मीटर है, जिसमें उत्तर की तरफ 650 मीटर लंबा अतिरिक्त पुल भी शामिल है। पुल के मेहराब का विस्तार 467 मीटर है तथा इस मेहराब की लंबाई कुल 480 मीटर है। चिनाब रेलवे ब्रिज महज एक ब्रिज नहीं है बल्कि यह तकनीकी कुशलता का शाहकार है। वैसे आजतक दुनिया में कुल 16 पुल ऐसे बने हैं, जो कई सौ मीटर ऊंचे हैं। उनमें सबसे ऊंचा यही है और चिनाब रेलवे ब्रिज दुनिया का 11वां सबसे लंबा आर्च ब्रिज भी है। इसके ऊपर से गुजरने वाला रेलवे ट्रैक 5 फीट 6 इंच यानी 1676 मिमी. का ब्रॉड गेज है। इस पुल के निर्माण में सिर्फ वक्त नहीं लगा बल्कि असाधारण दुस्साहस की अनेक कहानियां भी लिखी गई हैं। क्योंकि यह रेल मार्ग दर्जनों सुरंगों (कुल 63 मीटर लंबाई) तथा अनेक पुलों से सुसज्जित है।
हिमालय के सबसे दुगर्म भूगोल में इस पुल का बनना अपने आपमें एक कहानी है। यह पुल चिनाब नदी की सबसे गहरी खाईं को पार करता है, जिसके पास सलाल हाईड्रो पावर बांध स्थित है। सबसे ज्यादा वक्त इस पुल की दुर्लभ डिजाइन में लगा है। इस डिजाइन को अंतिम रूप देने के पहले सैकड़ों लंबी-लंबी मीटिंगे हुई हैं, जिनमें इंजीनियरिंग के दुर्लभ कौशल पर विस्तार से बहस हुई। सिर्फ इसकी मजबूती और भौगोलिक स्थिति को लेकर ही डिजाइन सोचने में देर नहीं हुई बल्कि इसे सौंदर्यशास्त्र की दृष्टि से भी अद्भुत रूप देना था, इसलिए भी इस पर गहन विचार विमर्श हुआ। पुल में लगने वाली सामग्री को ज्यादा से ज्यादा स्थानीय भौगोलिकता के अनुकूल रखा गया है। जिस कारण सितम्बर 2008 से शुरु होकर इसका निर्माण अगस्त 2022 में पूरा हुआ। वैसे पहले इसके निर्माण को पूरा करने का लक्ष्य जनवरी 2020 रखा गया था, लेकिन पहले तकनीकी रूप से और फिर कोरोना के कारण देरी हुई। जिस कारण इस पुल से होकर अभी भी रेलगाड़ियों का संचालन शुरु नहीं हुआ। 
आगामी जनवरी या फरवरी माह में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस ट्रैक पर वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने की योजना है। इस पुल के निर्माण में 15 साल से भी ज्यादा का समय लगा, जबकि आमतौर पर भारतीय रेलवे द्वारा बनाये गये पुल 5 से 7 साल में बन जाते हैं। लेकिन इसके बनने में थोड़ी देर भले लगी हो, लेकिन पुल दुरुस्त बना है, जिसने न सिर्फ रेलवे के इंजीनियरों को पूरी दुनिया में सम्मान दिलवाया है बल्कि इसके निर्माण से भारत की उच्चस्तरीय निर्माण तकनीकी कुशलता पर भी मोहर लगी है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर