युद्ध की भयानकता और उजाड़

युद्ध हमेशा भयानक होते हैं। निर्दयी और अत्याचार से भरपूर 17 अक्तूबर, 2023 का दिन भला कैसे भूल सकते हैं। हमास ने गाजापट्टी की ओर से हज़ारों रॉकेट से इज़रायल पर ताबड़तोड़ हमला किया, जिससे 1400 इज़रायली मारे गये। हमला इज़रायल के लिए एक बहाना बन गया उसने हज़ारों फिलिस्तिनी मार गिराये और हज़ारों घायल हो गये तथा बेघर हो गये। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया। शहरों के शहर खण्डहर में तबदील हो गये। हज़ारों मारे गये। युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ चलता ही जा रहा है। नुक्सान का भी पूरा अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता। गरिमा श्रीवास्तव का उपन्यास ‘आउशवित्ज़ एक प्रेम कथा’ 2023 में छप कर आया। दुनिया ने दो-दो विश्व युद्ध देखे हैं। उपन्यास में लिखा है कि दूसरे विश्वयुद्ध की भूमिका पहले विश्वयुद्ध के दौरान बन गई थी जो 1939 से लेकर 1945 तक चला था। समूचे विश्व के दस करोड़ सैनिक इसमें शामिल थे। इस युद्ध में सैनिकों सहित 7 करोड़ नागरिक मारे गये थे। सभी महाशक्तियों ने इस युद्ध में अपनी राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक क्षमता दिखाई। युद्ध के प्रभाव बड़े दूरगामी हुए क्योंकि जर्मनी का उद्देश्य एक बड़ा साम्राज्य स्थापित करना था, जिसमें शुद्ध रक्त वाले नागरिक हों, जिनकी आनुवांशिकी काबिले तारीफ हो। दूसरे विश्व युद्ध का अंत 8 मई 1945 को तब हुआ जब जर्मनी ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया। यहूदी अपनी पहचान के लिए बदनाम थे उन्हें पहचान-पत्र और एक सितारा दिया जाने लगा था। उससे पहले वे पोलैंड के नागरिक थे। आउशवित्ज़ उन भीषणतय यातना-गृहों में एक है जहां द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नात्सियों ने श्रम दान के नाम पर लाखों पोलिश विशेषकर यहूदी नागरिकों को गैस चैम्बर में झोंक दिया। आउशवित्ज के यातना कैंप में दस लाख से ज्यादा लोग मार दिये गये, जिसमें 9,60,000 यहूदी थे। यह यूरोप का काला अतीत है, जिसके अंधकार को भेदने की कोशिश करने का अर्थ है तकलीफ और यातना के समन्दर में गोते लगाना। आज उधर रूस के यूक्रेन पर लगातार हमले हो रहे हैं। रूस की ताकत के सामने यूक्रेन की हालत लगातार पतली हो रही है। अमरीका मदद पर है तो वह मदद काफी नहीं है। देश की स्थिति को कमजोर होते देश की महिलाएं मोर्चाबंदी सम्भालने के लिए आगे आ रही हैं। यूक्रेन में बख्मट के बाहर युद्ध मोर्चे पर आर्टिलरी प्लाटून की 32 वर्षीय कमांडर घने जंगल के बीच एक अन्य  सैनिक के साथ आगे बढ़ रही हैं। वे रूस की सीमा से केवल तीन किलोमीटर दूर एक गांव में पहुंचती है। महिला कमांडो पहले वकील थी। उन्होंने अपना नाम विंच रख लिया है। वह अपने दो भाइयों और मां के साथ फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के एक दिन बाद ही सेना में भर्ती हो गई थी। 2023 की शुरुआत से ही विच बख्मत के पास 241वीं ब्रिगेड में अपनी प्लाटून में आर्टिलरी (टैंक) गम, आम्ज़र् व्हीकल) के सभी सिस्टम की इंचार्ज है। रूस के भयावह हमलों के सामने इस समय काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। इस हालत में महिलाओं की संख्या बढ़ी है। वे स्वयं मोर्चे पर सीधी लड़ाई में शामिल हो रही हैं। सैनिकों की कमी हो रही है। सैनिकों की कमी दूर करने के लिए सेना भी ज्यादातर महिलाओं की भर्ती करने के प्रयास में जुटी है। 19 वर्ष की यूक्रेनी महिलाओं के साहस की एक और मिसाल नज़र आती है। कुज्या घने अंधेरे के बीच रूसी ठिकानों पर मोर्टार फायर करती है। वह विच की आर्टिलरी की सबसे युवा सदस्य मानी जा सकती है। यूक्रेन की सेना में इस समय 65 हज़ार महिलाएं हैं। युद्ध शुरू होने के बाद इसमें उनकी संख्या में 30 प्रतिशत का इज़ाफा हुआ है।