वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पक्ष व विपक्ष हुए आमने-सामने

लोकसभा में केन्द्र सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक पर विपक्षी पार्टियों ने तीव्र बहस की है, जिसमें उन्होंने सरकार की आलोचना की और संशोधन विधेयक के प्रारूप को गैर-संवैधानिक, संघीय व्यवस्था के खिलाफ तथा विभाजक बताया है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कडगम तथा तृणमूल कांग्रेस की ओर से आलोचना किए जाने वाले इस विधेयक को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी पार्टियों जैसे तेलगू देशम पार्टी, शिवसेना (एकनाथ गुट) तथा जनता दल यूनाइटिड का समर्थन मिला। हालांकि लोक जनशक्ति पार्टी ने विधेयक को आगे विचार-विमर्श के लिए संयुक्त संसदीय कमेटी (जे.पी.सी.) के पास भेजने पर विचार का समर्थन किया। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने कहा कि वह विधेयक का समर्थन करती है, परन्तु यदि इसे व्यापक विचार-विमर्श के लिए स्थाई समिति के पास भेजा जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने विधेयक को ‘संघीय व्यवस्था पर हमला’ बताया। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मांग की कि सरकार लिखित रूप में वादा करे कि वक्फ बोर्ड की जायदादें नहीं बेची जाएंगी जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने सरकार पर मस्जिदों, मदरसों तथा वक्फ से जुड़े मामलों में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह संविधान में निहित धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस दौरान केन्द्र ने वीरवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को संयुक्त संसदीय कमेटी को भेजने पर सहमति व्यक्त की, क्योंकि लोकसभा में विपक्ष ने इसे पेश करने पर आपत्ति जताई थी। 2014 के बाद से यह सिर्फ तीसरी बार है जब नरेन्द्र मोदी सरकार ने किसी विधेयक को गहन जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जे.पी.सी.) को भेजने पर सहमति व्यक्त की है और वक्फ विधेयक राजनीतिक स्वार्थों वाला पहला विधेयक है, इससे पहले दो विधेयक निजी डाटा सुरक्षा विधेयक-2019 तथा जैविक विभिन्नता (संशोधन) विधेयक-2021 थे।            
हरियाणा में भाजपा को चुनौती
चुनाव आयोग ने राज्यसभा की 12 सीटों पर उप-चुनाव की तिथि 3 सितम्बर घोषित की है, जिसमें से 10 सीटें सांसदों के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद रिक्त हुई हैं। 12 सीटों में असम, महाराष्ट्र तथा बिहार में दो-दो तथा हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना तथा ओडिशा में एक-एक सीट शामिल है। 
हरियाणा में रिक्त सीटों के लिए भाजपा को कड़ी चुनौती मिलने की सम्भावना है। हरियाणा में 90 सदस्यीय विधानसभा की मौजूदा ताकत 87 है। हालांकि भाजपा के पास 41 सदस्य हैं और उसे दो विधायकों, आज़ाद विधायक नयन पाल रावत तथा एच.एल.पी. विधायक गोपाल कांडला का समर्थन प्राप्त है, जिससे विधानसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 43 हो जाती है। दूसरी ओर शेष 44 विधायक, कम से कम कागज़ों पर, विपक्ष में दिखाई देते हैं, जिनमें कांग्रेस के 29 तथा जजपा के 10 विधायक शामिल हैं। इस दौरान कांग्रेस तेलंगाना से अपनी इकलौती सीट जीतेगी और आर.जे.डी. के भी आसानी से एक सीट जीतने की सम्भावना है। हालांकि कांग्रेस के पास विपक्ष के नेता पद पर बने रहने के लिए आवश्यक संख्या मौजूद है। कांग्रेस के पास 26 सदस्य हैं और पार्टी को विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए कम से कम 25 सदस्यों की ज़रूरत है, जो इस समय मल्लिकार्जुन खड़गे के पास है। 
हरियाणा की राजनीति गर्माई
विनेश फोगाट को ओलम्पिक में स्वर्ण पदक की दौड़ से अयोग्य घोषित किया जाना भाजपा तथा कांग्रेस के बीच टकराव का विषय बन गया है, जिससे हरियाणा में राजनीतिक पारा बहुत बढ़ गया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा तथा हरियाणा कांग्रेस ने नेताओं ने फोगाट के लिए न्याय की मांग की है। हालांकि कांग्रेस ने अपने इस रुख को सही ठहराया कि मोदी सरकार पहलवानों के प्रति कोई सम्मान नहीं रखती। इस मुद्दे को उठा कर कांग्रेस हरियाणा में जाटों तथा महिलाओं के वोट बैंक को मज़बूत करने की उम्मीद जता रही है। दूसरी ओर सरकार ने खुद का ज़ोरदार बचाव किया है और प्रधानमंत्री ने भारतीय ओलम्पिक संघ (आई.ओ.ए.) के साथ इस फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट करके विनेश फोगाट को ‘चैम्पियन ऑफ चैन्पियन्स’ कहा और उसे मज़बूत होकर वापिस आने की अपील की। 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
शिवसेना (यू.बी.टी.) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा एन.सी.पी. (एस.पी.) सुप्रीमो शरद पवार के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। इसके साथ ही विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे बारे बातचीत शुरू हो गई है। खड़गे की ठाकरे के साथ बैठक के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी तथा के.सी. वेणुगोपाल भी मौजूद थे। महा विकास अघाड़ी (एम.वी.ए.) गठबंधन यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि गठबंधन आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक साझा घोषणा-पत्र तथा एक एकता अभियान की रणनीति से सामने आए, जिसमें एक साझे ‘वार रूम’ की स्थापना भी शामिल है। शिवसेना (यू.बी.टी.)  का मानना है कि यदि गठबंधन सत्ता में आता है तो उसके प्रमुख उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के लिए स्वयं को पेश करेंगे।
 हालांकि एन.सी.पी. (एस.पी.) प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि आगे का रास्ता साझे नेतृत्व के फैसले से होगा। यह स्पष्ट है कि भविष्य में मुख्यमंत्री चेहरे का मुद्दा एम.वी.ए. सहयोगी पार्टियों के बीच कुछ दरार, टकराव तथा तनाव पैदा कर सकता है। इस दौरान कांग्रेस 20 अगस्त को स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जन्म दिन के अवसर पर बांद्रा-कुर्ला काम्पलैक्स के एम.एम.आर.डी.ए. मैदान में एक विशाल रैली करने वाली है। बुधवार की बैठक के दौरान रैली के लिए एन.सी.पी. (एस.पी.) अध्यक्ष शरद पवार तथा शिवसेना (यू.टी.बी.) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को निमंत्रण दिया है। (आई.पी.ए.)