क्या ट्रम्प रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं ?

डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि वो सत्ता में आते ही 24 घंटे में रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा सकते हैं। चुनाव जीतने के बाद भी उन्होंने अपनी इस घोषणा को दोहराया है। अब सवाल उठता है कि क्या सच में ट्रम्प इस युद्ध को 24 घंटे में रुकवा सकते हैं। दूसरा सवाल यह है कि ट्रम्प इस युद्ध को क्यों रोकना चाहते हैं जबकि यूक्रेन को युद्ध के लिए उकसाने वाला अमरीका ही है। देखा जाए तो युद्ध हमेशा अमरीका के लिए फायदेमंद रहा है फिर चाहे वो प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध ही क्यों न रहे हों। युद्धों से अमरीका का हथियार उद्योग फलता-फूलता है इसलिये अमरीका को युद्ध फायदेमंद दिखाई देते हैं। 
अगर निष्पक्ष रूप से विश्लेषण किया जाए तो पता चलेगा कि ज्यादातर युद्धों के पीछे अमरीका का हाथ रहा है। अगर यूक्रेन को अमरीकी समर्थन नहीं मिलता तो वो कभी भी युद्ध के लिए रूस को उकसाने की कोशिश नहीं करता। बाइडेन सरकार इस युद्ध को अमरीका के हितों के लिए अच्छा मानती है तो डोनाल्ड ट्रंप इस युद्ध को अमरीकी हितों के खिलाफ मानते हैं। वास्तव में बाइडेन रूस को अमरीका का नम्बर एक दुश्मन मानते हैं तो ट्रंप रूस की जगह चीन को अमरीका का दुश्मन नम्बर एक मानते हैं। इसलिए किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि ट्रम्प दुनिया में शांति लाना चाहते हैं क्योंकि वैछिवक शांति अमेरिका के हितों के खिलाफ है। वास्तव में ट्रंप विछव शांति के लिए नहीं बल्कि अमेरिकी हितों की सुरक्षा के लिए इस युद्ध को रुकवाना चाहते हैं तो दूसरी तरफ बाइडेन भी अमरीकी हितों की सुरक्षा के लिए युद्ध को रोकना नहीं चाहते। अब सवाल उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप को ये युद्ध अमरीकी हितों के खिलाफ क्यों दिखाई दे रहा है। 
सबसे बड़ी बात तो यह है कि ट्रम्प अच्छी तरह से जानते हैं कि अमरीकी जनता इस युद्ध से तंग आ चुकी है और वो अब सवाल कर रही है कि आखिर अमरीकी सरकार इस युद्ध में उसकी कमाई क्यों फूंक रही है। अमरीकी जनता अच्छी तरह जानती है कि इस युद्ध में यूक्रेन कभी जीतने वाला नहीं है, इसलिये इस युद्ध को लड़ने का कोई औचित्य नहीं है। जिस युद्ध में हार निश्चित है उसे लड़ना सिर्फ मूर्खता ही कहा जा सकता है। इसलिए अमरीकी जनता ने चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया है। सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इस युद्ध के कारण अमरीका के खिलाफ एक सैन्य गठबंधन खड़ा हो रहा है। इस युद्ध ने अमरीका के दुश्मनों को एक गठबंधन में बांधना शुरू कर दिया है जिससे कि दुनिया में अमरीकी वर्चस्व को बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। मीडिया रिपोर्ट बता रही हैं कि आज रूस की सेना के साथ मिलकर उत्तर कोरिया के दस हजार सैनिक यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं और इन सैनिकों की संख्या आगे बढ़ने वाली है। ईरान अपने आत्मघाती ड्रोन और मिसाइलों से रूस की मदद कर रहा है। चीन और भारत अमरीकी प्रतिबंधों की परवाह न करते हुए रूस से जमकर तेल खरीद रहे हैं। इन दोनों देशों ने रूस से इतना तेल खरीदा है कि अमरीका और उसके मित्रों द्वारा रूस पर लगाये गए प्रतिबंध बेअसर साबित हुए हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति चिनपिंग ने ब्रिक्स का विस्तार करना शुरू कर दिया है और ये संगठन आगे चलकर अमरीका और यूरोपीय देशों के वर्चस्व को खत्म कर सकता है। 
इस युद्ध के कारण दुनिया के दो ताकतवर देश चीन और भारत रूस के नजदीक जा रहे हैं जो अमरीका के लिए खतरे की बड़ी घंटी है। ट्रम्प इस युद्ध के कारण अमरीका के खिलाफ तैयार हो रहे गठबंधन को रोकना चाहते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इस युद्ध के कारण अमरीका के पास हथियारों की कमी पैदा हो गई है। इस समय अमरीका के पास सिर्फ 3-4 सप्ताहों तक ही युद्ध लड़ने के लिए हथियार बचे हैं। अमरीकी सैन्य अधिकारियों के लिए यह चिंता की बड़ी बात है कि अगर अचानक इस हालत में चीन से युद्ध हो जाता है तो अमरीका की क्या हालत होगी? अमरीका को यूक्रेन के अलावा इज़रायल को भी हथियार देने पड़ रहे हैं इसलिए अमरीका के लिए ज़रूरी है कि ये युद्ध खत्म हो जाये। 
इस बात से सहमत नहीं हुआ जा सकता कि इस युद्ध को कोई 24 घंटे में रुकवा सकता है फिर चाहे डोनाल्ड ट्रंप कुछ भी कहते रहे। वास्तव में डोनाल्ड ट्रंप अगर सत्ता में आते ही यूक्रेन को पूरी अमरीकी मदद रोक भी देते हैं तो भी यूक्रेन रुकने वाला नहीं है। फिर दूसरा खतरा यह है कि बाइडेन सरकार जाते-जाते यूक्रेन को इतनी मदद दे सकती है कि वो कम से कम एक साल तक युद्ध जारी रख सकता है क्योंकि अभी दो महीने तक सत्ता बाइडेन के हाथ में ही रहेगी। इसके अलावा यह भी महत्वपूर्ण है कि यूक्रेन सिर्फ अमरीकी मदद के भरोसे ही रूस से युद्ध नहीं लड़ रहा है बल्कि यूरोपीय देश भी उसकी मदद कर रहे हैं। इसकी क्या गारंटी है कि अगर अमरीका यूक्रेन की मदद रोक देता है तो यूरोपीय देश भी उसकी मदद बंद कर देंगे। यह ठीक है कि अगर अमरीका यूक्रेन की मदद बंद कर देता है तो यूरोप के लिए ज्यादा देर तक उसकी मदद करना मुश्किल होगा। 
इस युद्ध को रोकना इतना आसान नहीं है जितना डोनाल्ड ट्रंप समझ रहे हैं। जो बाइडेन अभी दो महीने तक सत्ता में हैं और वो इस दौरान बड़ा खेल कर सकते हैं। वैश्विक मीडिया के अनुसार उन्होंने यूक्रेन को रूस पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला करने की छूट दे दी है। अगर यूक्रेन रूस के अंदर तक इन मिसाइलों से हमला कर देता है तो डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले ही मामला बहुत बिगड़ सकता है। रूस ने घोषणा की है कि अगर उस पर लंबी दूरी की मिसाइलों से हमला होता है तो वो नाटो देशों पर हमला कर सकता है। वास्तव में अभी तक यूक्रेन को सिर्फ अपनी रक्षा करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल की इजाज़त थी लेकिन रूस में अंदर तक घुसकर मारने वाले हथियारों के इस्तेमाल की मनाही थी। रूस का मानना है कि यूक्रेन के पास ऐसे हथियार नहीं हैं जिनसे रूस पर हमला किया जा सके। अगर यूक्रेन ऐसे हथियारों से हमला करता है तो रूस मान लेगा कि नाटो देश यूक्रेन से उसके ऊपर हमला कर रहे हैं। ऐसे में उसे नाटो देशों पर हमला करने का पूरा अधिकार होगा। देखा जाए तो अगर रूस नाटो देशों पर हमला करता है तो तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो सकता है। इस बात की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस युद्ध में परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल हो सकता है। ये बड़ी अजीब बात है कि एक तरफ अमरीका के होने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध को रुकवाने की कोशिश कर रहे हैं तो अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन युद्ध को भड़काने की कोशिश करते दिखाई दे रहे हैं। युद्ध किसी के लिए भी अच्छा विकल्प नहीं है इसलिए हमें उम्मीद करनी चाहिए कि डोनाल्ड ट्रंप सफल हों ताकि दुनिया में शांति की स्थापना हो। 

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