एआई के क्षेत्र में अमरीका और चीन को टक्कर देगा भारत !

आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का जमाना है। हाल ही में अमरीका के ‘ओपन एआई’ और चीन के ‘डीपसीक’ की प्रतिस्पर्धा के बीच भारत सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि भारत आने वाले दस महीनों में ही देश का पहला स्वदेशी ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल’ तैयार करने जा रहा है। इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री ने एक एआई सुरक्षा संस्थान स्थापित किए जाने की भी घोषणा की है। गौरतलब है कि इस संबंधी हाल ही में हमारे देश के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा करते हुए यह बात कही है कि भारत अपने खुद के लार्ज लैंग्वेज मॉडल यानी कि एलएलएम पर काम कर रहा है और इसके लिए देश में 18000 हाई-एंड जीपीयूज (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) की जबरदस्त कंप्यूटिंग फैसिलिटी तैयार की गई है। कहना गलत नहीं होगा कि भारत अब एआई के क्षेत्र में अमरीका और चीन के दबदबे को जबरदस्त चुनौती देने जा रहा है। भारत की स्वदेशी एआई मॉडल की चुनौती निश्चित रूप से दोनों देशों को जबरदस्त टक्कर देगी। वास्तव में यह टक्कर चैटजीपीटी और डीपसीक आर-1 से होगी। 
उल्लेखनीय है कि हाल ही में 30 जनवरी 2025 को ही भारत के केंद्रीय सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि 10370 करोड़ रुपए के इंडिया एआइ मिशन के हिस्से के रूप में खुद का बड़ा घरेलू भाषा मॉडल (लॉर्ज लेमोज मॉडल यानी एलएलएम) तैयार किया जाएगा और इसे दस महीने में भारत में लॉन्च कर दिया जाएगा। यहां यह गौरतलब है कि डीपसीक को 2000 जीपीयूज परए जबकि चैटजीपीटी को 25000 जीपीयूज पर ट्रेन किया गया है। अब भारत 15000 हाई-एंड जीपीयूज के साथ अपने एआई मिशन (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को लॉन्च करने जा रहा है। वास्तव में जो एआई मिशन भारत द्वारा लांच किया जा रहा है वह भारतीय परिदृश्य और भारतीय संस्कृति को समझेगा। इसका तात्पर्य यह है कि भारत में विकसित किया जाने वाला माडल स्थानीय भाषाओं, भारतीय यूजर्स की ज़रूरतों और संस्कृति के हिसाब से तैयार किया जाएगा। यानी आने वाले समय में हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी, बंगाली जैसी भाषाओं में चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स मिल सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत का एआई चैटबॉट एक अलग और पॉवरफुल मॉडल होगा, जिसमें भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधताओं को ध्यान में रखा जाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए भारत-केंद्रित डेटासेट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो देश की स्थानीय ज़रूरतों और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। हाल फिलहाल, सरकार ने एआई स्टार्टअप्स से प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से 6 डेवलपर्स ने मॉडल पर काम शुरू कर दिया है। यह दर्शाता है कि भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जो आर्थिक सोच को समावेशी बनाते हुए एआई की दिशा में काम कर रहा है। 
वास्तव में आज की इस दुनिया में नवाचार ही असली भविष्य है और भारत नित नवीन नवाचारों की दिशा में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि भारत ने एआई मिशन का पहला सबसे बड़ा स्तंभ बनाया है, जो ‘कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी’ है। गौरतलब है कि 10000 जीपीयूज के लक्ष्य के मुकाबले भारत ने 18693 जीपीयूज को पैनल में शामिल किया है। सच तो यह है कि ये जीपीयूज भारत की कम्प्यूटिंग पावर को और अधिक मज़बूत करेगा और गति देगा। कहना गलत नहीं होगा कि कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी के आधार पर जो स्टार्टअप मूलभूत मॉडल विकसित करना चाहते हैं, उन्हें भारत के अपने मूलभूत मॉडल और उन मॉडलों को विकसित करने का अवसर मिलेगा जो विशेष क्षेत्रों और समस्याओं पर केंद्रित हैं। बड़ी बात यह है कि सरकार अगले कुछ दिनों में एक ‘कॉमन कंप्यूट’ सुविधा की शुरुआत करने जा रही है, जिसके तहत स्टार्टअप्स और शोधकर्ता आवश्यक कंप्यूटिंग शक्ति का उपयोग कर सकेंगे। इस प्लेटफॉर्म पर उच्च स्तरीय जीपीयू की कीमत 150 रुपये प्रति घंटा होगी जबकि निम्न स्तरीय पर 115.85 रुपये प्रति घंटा होगी। बताया जा रहा है कि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए अंतिम उपयोगकर्ताओं को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी जिससे यह वैश्विक बाजार से काफी सस्ती होगी। फिलहाल सरकार ने इसके लिए 10 कंपनियों का चयन किया है। इन कंपनियों में हीरानंदानी समर्थित योटा, जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्युनिकेशंस और ई2ई नेटवर्क जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। 
यह काबिले तारीफ है कि आज भारत स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम कर रहा है। जीपीयूज के माध्यम से ही एआई को ट्रेन किया जाता है। वास्तव में ये खासतौर पर एआई और मशीन लर्निंग मॉडल्स को तेज़ी से प्रोसेस करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं। गौरतलब है कि भारत के एआई मिशन को कैबिनेट की मंजूरी पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में मार्च में ही मिल चुकी थी और अब इसे 10370 करोड़ रुपए के बजट के साथ लॉन्च किया गया है। 
भारत द्वारा यह कदम चीन के एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) लैब द्वारा एक कम लागत वाले फाउंडेशनल मॉडल के लॉन्च के बाद उठाया गया है ताकि भारत भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके व अपनी तकनीकी शक्ति को बढ़ा सके। कहना गलत नहीं होगा कि अब इंडिया एआई मिशन के तहत भारत के शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और व्यावसायिक क्षेत्र को अत्याधुनिक एआई संसाधन उपलब्ध होंगे और वैश्विक पटल पर भारत चीन और अमरीका जैसे देशों को शानदार चुनौती देगा। वास्तव में भारत की इस परियोजना में 1480 नवीदिया एच-200 जीपीयू, 12896 नवीदिया एच100 जीपीयू और 742 एमआई 325 और एम आई 325 एक्स जीपीयू जैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिप्स शामिल हैं।

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