अमरीका फर्स्ट
पिछले साल 18 नवम्बर को अमरीका में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति चुने गये थे, जिन्होंने 20 जनवरी, 2024 को बाकायदा अपना पद ग्रहण कर लिया था। अमरीका दुनिया की एक बड़ी शक्ति होने के कारण, उनके राष्ट्रपति बनने का प्रभाव अमरीका के अलावा दुनिया के अन्य बहुत सारे देशों पर पड़ना स्वाभाविक है। अमरीका की करंसी डॉलर भी दुनियाभर के व्यापार में सबसे उपर मानी जाती है। बहुत से देशों का आपसी व्यापार भी डॉलर द्वारा ही होता है। अमरीका में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्येक 4 वर्ष के बाद होता है।
डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने से पहले वहां चुनाव प्रचार के समय ही ट्रम्प की नीतियों संबंधी अनेक तरह की शंकाएं और किन्तु-परन्तु किये जाने शुरू हो गये थे। अपने चुनाव प्रचार के समय भी डोनाल्ड ट्रम्प ने अनेक ऐसे ब्यान दिये थे, जिनका हर तरफ अपने-अपने ढंग से नोटिस लिया गया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार में ‘अमरीका फर्स्ट’ का नारा दिया था, जिसका अर्थ यह माना जाता है कि अमरीकी नीतियों में पहल अमरीका के हितों को ही दी जाएगी। विशाल और मज़बूत होने के कारण यह देश पिछले लम्बे समय से एक तरह से दुनिया पर भारी रहा है। अलग-अलग समय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरे दूसरे देश इसके द्वारा पेश चुनौती भरे माहौल में ही रहते रहे हैं। कुछ दशकों पहले सोवियत यूनियन द्वारा दुनिया के बड़े देशों को साथ लेकर अपना साझा मंच बनाने के यत्नों के कारण भी अमरीका और उसके बीच ठंडी जंग चलती रही थी। बाद में चीन के उभार के समय भी अमरीका अनेक तरह से उस देश के लिए चुनौती भरपूर बना रहा है। पश्चिम यूरोप के देशों का अमरीका ज़रूर भागीदार बना रहा है। इसके पड़ोसी देश कनाडा और मैक्सिको भी इसको हर पक्ष से शक्तिशाली देश मानते रहे हैं। पर इस बार डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव के दौरान जिस प्रकार के ब्यान दिये, उन्होंने नि:संदेह एक बार बहुत से देशों को परेशानी में डाल दिया था। राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दिये ब्यानों के मुताबिक तुरंत कार्रवाई करनी भी शुरू कर दी है।
उन्होंने अमरीका में लाखों की संख्या में दुनियाभर से अवैध ढंग से दाखिल हुए लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, जिसका शिकार भारत भी हो रहा है। इसके साथ ही उसने अमरीकी नागरिकता प्राप्त करने वालों के लिए भी कड़ी पाबंदियां लगाने का ऐलान कर दिया है। इससे भी अधिक उसने अमरीका के साथ व्यापार करते हुए उन देशों को भी निशाना बनाना शुरू किया है जो अमरीकी व्यापार का घाटा बढ़ाने के लिए उसके अनुसार भागीदार हैं या अमरीकी वस्तुओं के अपने देशों में आयात पर अधिक टैक्स लगाते रहे हैं। इनमें सबसे पहले उसने कनाडा, मैक्सिको तथा चीन को चुना है, क्योंकि इन देशों से अमरीका का सबसे अधिक व्यापारिक आदान-प्रदान होता है। एक अनुमान के अनुसार चीन 30 प्रतिशत से अधिक, मैक्सिको 19 प्रतिशत तथा कनाडा 14 प्रतिशत तक अमरीका को व्यापार घाटा डाल रहा है। सत्ता सम्भालते ही डोनाल्ड ट्रम्प ने इन देशों की वस्तुओं के अमरीका में आयात पर टैक्स (टैरिफ) बढ़ाने की घोषणा की है। मैक्सिको तथा कनाडा पर 25 प्रतिशत तथा चीन पर 10 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाया गया है। ट्रम्प प्रशासन यह चाहता है कि बहुत-सी आयात की जाती वस्तुएं अमरीका में ही तैयार की जाएं तभी ‘अमरीका फर्स्ट’ की नीति सफल हो सकेगी। इसकी प्रतिक्रिया के रूप में कनाडा तथा मैक्सिको ने भी अमरीका से आयात की जाने वाली वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी है। चीन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इस मामले को विश्व व्यापार संगठन में चुनौती देने की घोषणा की है।
इन देशों से अमरीका भारी मात्रा में अनेक प्रकार की वस्तुएं आयात करता है। इनमें तेल, गैस, धातुएं, दवाइयां तथा अन्य वस्तुएं शामिल हैं। साथ ही अमरीका द्वारा भी कनाडा, मैक्सिको, चीन तथा अन्य देशों को अनेक प्रकार की वस्तुएं निर्यात की जाती हैं। कनाडा ने प्रतिक्रिया स्वरूप पहले 30 अरब डॉलर की अमरीकी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है और 22 फरवरी के बाद 125 अरब डॉलर की अन्य अमरीकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाने की योजना भी बनाई जा रही है। कनाडा द्वारा अमरीका से आते फल, जूस, सब्ज़ियां, कपड़े, जूते, फर्नीचर, शराब तथा अन्य घरेलू इस्तेमाल की वस्तुओं पर अधिक टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है। मैक्सिको ने भी ऐसी घोषणाएं कर दी हैं। भविष्य में चीन भी इस दिशा में कदम उठा सकता है। इसके साथ ही ट्रम्प प्रशासन द्वारा यूरोपीय यूनियन तथा ब्रिक्स देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, पर भी ऐसा ही टैरिफ लगाने की योजना की आगामी समय में घोषणा की जा सकती है।
नये अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की इस नीति से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गम्भीर समस्याएं पैदा होने की सम्भावना बन गई है। इसके साथ ही बड़े अर्थ-शास्त्रियों द्वारा यह आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि ट्रम्प की ऐसी नीतियों से अमरीका में भी आम वस्तुओं की कीमतों के साथ-साथ समूचे रूप में महंगाई बढ़ सकती है। ऐसे गम्भीर व्यपारिक टकराव के परिणाम विश्व के लिए अनेक पक्षों से गम्भीर हो सकते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द