देश के स्वाभिमान की भावना
गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में दाखिल हुए भारतीयों को 5 फरवरी को जबरन अमरीकी सैन्य विमान द्वारा अमृतसर के हवाई अड्डे पर भेजा गया था। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ़गैर-कानूनी प्रवासियों के प्रति स्पष्ट तौर पर अपनाई गई नीतियों के मद्देनज़र भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने इस घटनाक्रम के बाद संसद में यह बयान दिया था कि वह इस मामले संबंधी अमरीकी प्रशासन के साथ सम्पर्क में हैं और उन्होंने यह भी कहा कि गैर-कानूनी तौर पर अमरीका में दाखिल हुए भारतीयों को वापस अपने देश लाने के लिए भारत सरकार वचनबद्ध है।
जिस तरह ऊपर ज़िक्र किया गया है कि 5 फरवरी को अमरीका में गैर-कानूनी तौर पर दाखिल हुए 104 भारतीयों को लेकर अमरीका का एक सैन्य विमान पहली बार अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरा था। उसके बाद 15 फरवरी को 116 और 16 फरवरी को 112 और भारतीयों को लेकर अमरीका के क्रमवार दो अन्य सैन्य विमान अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरे थे। नि:संदेह यह व्यक्ति सही ढंग से अमरीका में दाखिल नहीं हुए थे, परन्तु भारत सरकार के विश्वास दिलाने के बावजूद जिस ढंग से उनको यहां पहुंचाया गया है, वह बेहद दु:खद और देश को शर्मसार करने वाला है। अमरीकी सैन्य विमान में नीचे बिठाकर, उनको हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर जिस तरह से भारत लाया गया, उससे देश के स्वाभिमान को बहुत ठेस पहुंची है। इस घटना के बाद संसद सत्र में अलग-अलग विपक्षी पार्टियों द्वारा जहां अमरीकी प्रशासन के ऐसे व्यवहार की कड़ी निंदा की गई, वहीं केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को भी निशाने पर लिया गया। इन विपक्षी पार्टियों के बहुत सारे नेताओं के सवालों के जवाब में विदेश मंत्री ने संसद में कहा था कि इस मामले के प्रति हम अमरीकी प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं। इससे यह भी प्रभाव लिया जा सकता था कि आने वाले समय में भारतीयों को अब सम्मानजनक ढंग से देश लाया जाएगा।
डोनाल्ड ट्रम्प से पहले की अमरीकी सरकारों द्वारा भी समय-समय ़गैर-कानूनी ढंग से अमरीका में दाखिल हुए भारतीयों को वापस भारत भेजा जाता रहा है। परन्तु इस संबंधी कभी भी बहुत चर्चा नहीं हुई थी, क्योंकि उनको आम यात्रियों की तरह जहाज़ों पर चढ़ाकर भेजा जाता था। परन्तु डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ऐसा व्यवहार सिर्फ भारतीयों के प्रति ही नहीं अलग-अलग देशों को भेजे जा रहे उन देशों के ़गैर-कानूनी प्रवासियों के प्रति भी अपनाया जा रहा है। इससे डोनाल्ड ट्रम्प की अहंकार वाली तथा अपरिपक्व विदेश नीति का प्रकटावा स्पष्ट रूप में होता है। हमारे विदेश मंत्री जयशंकर द्वारा संसद में आश्वासन दिलाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 दिवसीय अमरीका की यात्रा पर भी गए थे। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प के पहले शासन काल में अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए कहा था कि इस बार भी भारत के साथ अमरीका के संबंध बेहद मधुर बने रहेंगे और यह भी प्रभाव दिया गया कि उनकी अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से बहुत गहरी निजी मित्रता है। अपनी पिछली पारी में डोनाल्ड ट्रम्प के भारत आने पर उनका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जिस शानदार तरीके एवं गर्मजोशी से स्वागत किया गया था, वह आज भी यादगारी बना हुआ है। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अमरीका यात्रा के बाद भी हमारी सरकार द्वारा अमरीका के साथ अच्छे संबंध होने का भी प्रभाव दिया गया था। यह भी कहा गया था कि प्रधानमंत्री की इस यात्रा से मित्रता और मज़बूत हुई है, परन्तु इसके बावजूद दूसरी तथा तीसरी बार अमरीकी प्रशासन द्वारा जिस अपमानजनक ढंग से भारतीयों को अमरीका के सैन्य विमानों में लाद कर अमृतसर के हवाई अड्डे पर भेजा गया है, वह जहां अफसोसजनक है, वहीं भारत सरकार के लिए बेहद खुनामी वाला भी है। यह भी कि गैर-कानूनी रूप में अमरीका गए प्रवासी भारतीयों के भेजे गए पहले विमान के बाद देश भर में उस तरीके संबंधी उठे विरोध के बाद भी भारत सरकार अमरीका के प्रशासन से सम्पर्क स्थापित करके यह बात नहीं मनवा सकी कि भारतीयों को सही तरीके से वापस भेजा जाए। यदि भारत सरकार ने इस संबंधी अमरीका के प्रशासन के साथ कोई बात की थी, परन्तु इसके बावजूद अमरीकी व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया तो भारत सरकार को अमरीका के साथ अपनी सम्पर्क संबंधी नीतियों बारे पुन: गम्भीरता से विचार करना चाहिए।
यही बस नहीं डोनाल्ड ट्रम्प ने पद सम्भालने के बाद यूरोपीय देशों के प्रति भी अहंकार वाला रवैया शुरू कर दिया है। उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध तथा हमास-इज़रायल युद्ध संबंधी की गई ट्रम्प की बयानबाज़ी से भी स्पष्ट हो जाता है कि अमरीकी राष्ट्रपति विश्व के ज्वलंत मामलों संबंधी सभी हितधारक देशों को विश्वास में लेकर चलने में सफल नहीं हो सके। इस बात ने समूचे विश्व को चिन्ता में डाल दिया है। भारत को भी अपनी विदेश नीति के संदर्भ में अमरीकी प्रशासन के ऐसे रवैये को देखते हुए अपने पक्ष को पूरी तरह स्पष्ट करना होगा, क्योंकि राष्ट्र के सम्मान से ऊपर किसी भी अन्य देश से रिश्ते मज़बूत नहीं हो सकते। आगामी समय में भी केन्द्र सरकार को देश के स्वाभिमान एवं सम्मान के प्रश्न पर पूरी दृढ़ता एवं मज़बूती दिखानी होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द