राहत भरा घटनाक्रम है

इज़रायल-हमास का युद्धविराम

विगत दो वर्ष से इज़रायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध ने भयानक तबाही मचाए रखी है, जिसमें अब तक हज़ारों ही लोगों की मौत हो चुकी है और लाखों ही बुरी तरह से घायल हुए हैं। गाज़ा पट्टी में रहते लगभग 23 लाख फिलिस्तीनियों में से अधिकतर उजड़ चुके हैं। गाज़ा शहर पूरी तरह से तबाह हो चुका है। प्रतिदिन हो रहे मानवीय हनन और रोटी के लिए तड़पते फिलिस्तीनियों के दृश्य बेहद दु:खद थे। दुनियाभर में इज़रायली हमलों की निंदा हो रही थी और इज़रायल को यह लड़ाई रोकने के लिए अपीलें की जा रही थीं। दक्षिण एशिया के मुस्लिम देशों, खासतौर पर अरब देशों के लिए यह बड़ी चिंता की बात थी क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ गाज़ा पट्टी तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि लेबनान, यमन और ईरान तक फैल चुकी थी। सऊदी अरब, मिस्र और कतर भी बहुत चिंतित थे। कतर जिसने इज़रायल हमास के बीच वार्ता के लिए लगातार कोशिश की थी, वह भी इज़रायल के निशाने पर आ गया था।
इस युद्ध को रोकने के लिए अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी लगातार यत्नशील रहे। इज़रायल के साथ-साथ उन्होंने अरब देशों के साथ भी सम्पर्क बनाए रखा और हर सूरत में युद्ध को रोकने के लिए इज़रायल को अपीलें कीं और धमकियां भी दीं, जिनका बड़ा असर हुआ और इज़रायल व हमास पहले चरण में युद्धविराम के लिए तैयार हो गये हैं। हमास ने इज़रायल द्वारा बंधक बनाये 20 लोगों को रिहा करने की घोषणा है। इज़रायल ने भी पिछले समय के दौरान बंधक बनाये हज़ारों फिलिस्तीनियों को रिहा करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
लगभग पिछले 75 साल से मध्यपूर्व में इज़रायल के अस्तित्व में आने के बाद अरब देशों के साथ अक्सर इसकी लड़ाई चलती रही है। ईरान के साथ कुछ अन्य मुस्लिम देश इज़रायल को मिटाने का ऐलान करते रहे हैं। उन्होंने भी दक्षिण एशिया के अलग-अलग देशों में भटक रहे फिलिस्तीनियों को लामबंद करके इज़रायल के विरुद्ध जिहाद छेड़ने की शुरूआत कराई थी। उसके बाद मिस्र, लेबनान और ईरान आदि देशों के साथ इज़रायल की हुई लड़ाइयों के लम्बे सिलसिले के बाद आज अधिकतर अरब देश इज़रायल के अस्तित्व को मान चुके हैं परन्तु ईरान, यमन और पहले समय के सीरिया के प्रशासनों ने इज़रायल प्रति हमेशा धमकीपूर्ण रवैया अपनाये रखा था।
हमास ने गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा कर लिया था और वह लगातार अरब देशों से सहायता लेकर अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाता रहा था। इसी समय वह पड़ोसी इज़रायल के खिलाफ दुश्मनी बढ़ाता रहा और उसने आक्रामक रुख अपनाए रखा। इसी क्रम में हमास के गोरिल्लाओं ने 7 अक्तूबर, 2023 को इज़रायल के भीतर दाखिल होकर लगभग दो हज़ार नागरिकों की हत्या कर दी, जिनमें महिलाएं तथा बच्चे भी शामिल थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना कर गाज़ा पट्टी में ले गए थे। इस हमले का जवाब इज़रायल ने हमले के रूप में दिया, जिससे गाज़ा पट्टी एक तरह से तबाह ही हो गई। हमास सभी बंधकों को छोड़ने से इन्कार करता रहा और समय-समय पर शर्तों के तहत कुछ बंधकों को छोड़ता भी रहा। दो वर्ष की इस लड़ाई में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 67000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें 30 प्रतिशत बच्चे शामिल थे। बच्चों की मौत की संख्या 18000 से अधिक है। गाज़ा पट्टी में पौने दो लाख से अधिक लोग बुरी तरह घायल हुए हैं। लगभग सभी अस्पताल बंद हो गए हैं, जो खुले भी रहे, उनमें दवाइयां ही नहीं थीं। गाज़ा की 80 प्रतिशत इमारतें, 90 प्रतिशत स्कूल तथा 99 प्रतिशत कृषि योग्य ज़मीन तबाह हो चुकी है। यहां इस प्रकार मलबे के ढेर लग चुके हैं, जिन्हें साफ करने के लिए 10 वर्ष से अधिक समय लगेगा। दो वर्ष के इस युद्ध में इज़रायल के लगभग 900 सैनिक मारे गए और इस लड़ाई पर लगभग 4 लाख करोड़ खर्च आया। 
अब के समाचारों के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा समझौते के लिए पेशकश की गई थी और 20 सूत्रीय गाज़ा शांति योजना पर दोनों पक्षों द्वारा मुहर लगा दी गई है। इस कारण गाज़ा में दाखिल हुई इज़रायली सेना वापस लौटना शुरू कर देगी और लगभग 20 शेष बचे इज़रायल के बंधकों को हमास छोड़ देगा। इसके साथ ही राहत कार्यों में भी तेज़ी लाई जाएगी, परन्तु अभी तक इस बारे स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी कि यदि हमास हथियार डाल देगा तो उसके बाद गाज़ा पट्टी की रूपरेखा किस प्रकार की होगी? इस संबंध में अभी तस्वीर स्पष्ट नहीं हुई, परन्तु पहले चरण में युद्ध विराम की घोषणा से जहां फिलिस्तीनियों को बड़ी राहत मिली है, वहीं इज़रायल में भी बंधकों की रिहाई की उम्मीद से खुशी की लहर पैदा हो गई है। अब यह उम्मीद की जा सकती है कि यह विनाशकारी युद्ध समाप्त हो जाएगा। ऐसा होना दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी राहत होगी।
      


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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