भारत का ‘मेजर पॉवर’ बनना शानदार उपलब्धि

आस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी द्वारा जारी एशिया पॉवर इंडेक्स-2025 में भारत का ‘मेजर पॉवर’ का दर्जा हासिल करना इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारत शक्तिशाली देशों की कतार में अमरीका और चीन के बाद तीसरे पायदान पर पहुंच गया है। लोवी द्वारा जारी इंडेक्स में ‘मेजर पॉवर’ का दर्जा हासिल करने वाला भारत एक मात्र देश है जबकि ‘सुपर पॉवर’ के रूप में अमरीका और चीन अपना दबदबा बनाए रखने में कामयाब रहे हैं। हालांकि भारत ने ‘मेजर पॉवर’ का दर्जा हासिल कर लिया है, परन्तु ‘सुपर पॉवर’ का दर्जा हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। यह दर्जा हासिल करने के लिए बहुत लम्बा इंतज़ार करना होगा। 
दरअसल 8 पेरामीटर्स में 100 में से 70 से अधिक अंक अर्जित करने वाले देश ही ‘सुपर पॉवर’ की श्रेणी में आते हैं और अमरीका इसमें 80.5 अंक प्राप्त कर ‘सुपर पॉवर’ बना हुआ है वहीं चीन भी अमरीका के पीछे पीछे 73.7 अंकों के साथ दूसरा ‘सुपर पॉवर’ बना हुआ है। भारत ने जापान को पछाड़ कर तीसरा स्थान बनाया है और 40 अंक प्राप्त कर ‘मेजर पॉवर’ बन गया है। 40 या 40 से अधिक अंक प्राप्त करने वाले देश ‘मेजर पॉवर’ की श्रेणी में आते हैं। 
एशिया प्रशांत के 27 देशों में से 23 देश ‘मिडिल पॉवर’ की श्रेणी में हैं। पाकिस्तान इस इंडेक्स में पहले दस में भी स्थान नहीं बना पाया है। पाकिस्तान सूची में 16वें स्थान पर रहा है। निश्चित रूप से यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि और अंतर्राष्ट्रीय जगत में बढ़ते दबदबे का स्पष्ट संकेत है। ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ और इससे पहले भी जिस तरह से भारत ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में अग्रगामी भूमिका निभाई है, उसका बहुत प्रभाव पड़ा है। आर्थिक क्षेत्र में उपलब्धियों ने भी भारत को तीसरे पायदान पर लाने में अहम भूमिका अदा की है। भारत आज विश्व में बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और विदेशी निवेश में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। 
आस्ट्रेलियाई थिंक टैंक लोवी द्वारा 2018 से एशिया पॉवर इंडेक्स जारी करना आरंभ किया गया था। 2025 में एशिया पॉवर इंडेक्स का 7वां संस्करण जारी किया गया है। लोवी द्वारा 8 पेरामीटर्स के आधार पर अंक जारी किए जाते हैं। इसमें सैन्य क्षमता, रक्षा नेटवर्क, आर्थिक शक्ति, अन्य देशों के साथ आर्थिक संबंध, कूटनीतिक व सांस्कृतिक संबंध, लचीलापन, भविष्य के संसाधन आदि पेरामीटर्स के आधार पर 27 देशों का मूल्यांकन किया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ ने भारत की सैन्य शक्ति से दुनिया के देशों को झकझोर कर दिया है। सैन्य संसाधनों में आज भारत आत्मनिर्भर हो रहा है। इसके साथ ही जिस तरह से भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है, उससे दुनिया के देशों में भारत ने अलग ही स्थान अर्जित कर लिया है। भारत में देशी-विदेशी निवेश का माहौल बना हुआ है। विपरीत वैश्विक परिस्थितियों और ट्रम्प की टैरिफ नीति के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था व विकास की गति बने रहना बड़ी उपलब्धि है। 
ऑपरेशन सिन्दूर, आर्थिक क्षेत्र में बढ़ती साख, सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी भारत की ताकत बन गई है। कड़े निर्णय लेने में सरकार का सक्षम होना भी एक सकारात्मक पक्ष है, तो दूसरी ओर ‘जेन ज़ेड’ और उसके बाद की जैनरेशन की बड़ी भूमिका रही है। आज तकनीकी रूप से भी भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। सैन्य क्षमता, कूटनीतिक प्रभाव, आर्थिक क्षमता और प्रौद्योगिकी, डिजिटलाइजेषन, कूटनीतिक और सांस्कृतिक संबंध आदि क्षेत्र में भारत ने गत वर्ष की तुलना में अधिक अंक अर्जित किये हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत का वैश्विक स्तर पर आत्मविश्वास बढ़ा है और इसी का परिणाम है कि भारत आज आंतरिक व बाहरी निर्णय लेने में सक्षम है। हालांकि भारत के सामने अभी चुनौतियां भी बहुत हैं। सबसे बड़ी चुनौती है हमारे ही लोगों द्वारा विदेशी मीडिया व विदेशी धरती पर देश की छवि धूमिल करना है। होना यह चाहिए कि लाख राजनीतिक मतभेदों के बावजूद विदेशी धरती पर एकजुटता का संदेश देना ज़रूरी हो जाता है। रक्षा नेटवर्क को और अधिक विस्तारित करने की चुनौती के साथ ही कूटनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। 
इस दर्जे को बनाये रखने और पेरामीटर्स के अन्य क्षेत्रों में भी योजनाबद्ध तरीके से भारत को आगे बढ़ना होगा। चुनौतियां बहुत हैं, परन्तु इन चुनौतियों के बावजूद कुछ अधिक अर्जित करना बड़ी बात हो जाती है। ‘मेजर पॉवर’ से ‘सुपर पॉवर’ बनना बहुत बड़ी चुनौती है, परन्तु कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से ‘सुपर पॉवर’ बनने के लक्ष्य के साथ ही भारत को निरन्तर आगे बढ़ते रहना होगा।
 

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