बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई
पंजाब में अगस्त माह के दौरान बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में किसानों की फसल नष्ट हो गई। ज्यादातर स्थानों पर पानी अधिक आने के कारण हज़ारों परिवार घर से बेघर हो गए। इस बाढ़ ने प्रभावित क्षेत्रों में फसलें नष्ट करने के साथ खेतों में रेत की परत भी बिछा दी थी। प्रदेश को कई दशकों बाद इतना बड़ा नुकसान सहन करना पड़ा। नि:संदेह इसकी भरपाई किया जाना बेहद कठिन प्रतीत होता है। उस समय पंजाब प्रशासन के साथ-साथ पंजाब और देश-विदेश से भी सहायता के लिए संस्थाएं पहुंचीं, जिन्होंने घर से बेघर हुए हज़ारों परिवारों की प्रत्येक पक्ष से तुरंत सहायता की। इन संस्थाओं ने खाद्य सामग्री के अतिरिक्त दवाइयां, कपड़े और मुसीबत में फंसे लोगों की प्रत्येक तरह की ज़रूरतें पूरी करने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगाया। प्रदेश की अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां, उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भी एकजुट होकर इस उजाड़े के दृष्टिगत जो कुछ भी सम्भव हो सकता था, वह करने का यत्न किया। हरियाणा और दिल्ली सहित देश के अन्य राज्यों की ओर से भी राहत कार्यों के लिए बड़ी राशि भेजी गई। इस काम में धार्मिक संस्थाओं ने भी आगे बढ़ कर अपना भरपूर योगदान डाला। इन संस्थाओं ने अपने कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के साथ मिल कर पानी के तेज बहाव के कारण कई स्थानों पर टूटे धुस्सी बांध को पुन: मज़बूत किया ताकि बाढ़ का और पानी खेतों और गांवों का नुकसान न कर सके।
उस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने हिमाचल और पंजाब दौरे के दौरान पंजाब के लिए 1600 करोड़ रुपए की सहायता राशि भेजने की घोषणा की थी और इसके साथ यह भी कहा था कि आपदा प्रबन्धन के लिए प्रदेश सरकार के पास 12000 करोड़ रुपए की आपदा प्रबन्धन संबंधी राशि पहले ही पड़ी है, जिसका उपयोग वह कर सकती है। पंजाब सरकार ने इस राशि संबंधी कई अलग-अलग बयान दिए और यह भी दावा किया गया कि आपदा प्रबन्धन की यह राशि, जिसका प्रधानमंत्री ने ज़िक्र किया था, उसका पंजाब सरकार के खज़ाने में बहुत ही कम हिस्सा पड़ा है। इस मामले पर लगातार लम्बा विवाद भी छिड़ा रहा। विपक्षी पार्टियों के नेता और सरकार अब तक इस संबंध में बयानबाज़ी में लगे रहे हैं परन्तु अब तक इस संबंध में स्पष्ट स्थिति सामने नहीं आ सकी।
अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 1600 करोड़ रुपए की राहत की जो घोषणा की गई थी, वह बहुत कम थी। उस समय केन्द्रीय टीमों की पंजाब के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें होती थीं, उनमें बाढ़ से हुए नुकसान संबंधी जो जायज़ा लिया गया था, उसकी राशि लगभग 20,000 करोड़ रुपए बनती थी। बाढ़ के इस दुर्भाग्यपूर्ण क्रम को बहुत महीने बीत चुके हैं परन्तु न तो प्रदेश सरकार के पास कागज़ों में पड़ी राशि संबंधी स्थिति स्पष्ट हो सकी है और न ही इस संबंध में केन्द्र सरकार ने अपना बनता फज़र् निभाया है। विगत दिवस लोकसभा में भी इस संबंध में पुन: चर्चा हुई है। आम आदमी पार्टी के सांसद मलविन्दर सिंह कंग ने हाऊस में यह मुद्दा उठाते हुए केन्द्र सरकार से 50,000 करोड़ का राहत पैकेज जारी करने की मांग की है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित उस समय के कई केन्द्रीय मंत्रियों और अधिकारियों के प्रतिनिधियों ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उस समय पंजाब के लिए घोषित किया गया 1600 करोड़ रुपए का पैकेज पंजाब सरकार को अभी तक नहीं दिया गया। अकाली सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी हाऊस में विस्तारपूर्वक इस मुद्दे को उभारा है।
हमारी केन्द्र सरकार से यह अपील है कि सबसे पहले वह बाढ़ की भरपाई के लिए प्रधानमंत्री द्वारा घोषित राशि जारी करे। उसके बाद केन्द्र सरकार का यह भी फज़र् बनता है कि वह बाढ़ पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उस समय दिए गए विश्वास के अनुसार प्राकृतिक आपदा का शिकार हुए लोगों के लिए और राशि जारी करे ताकि प्रदेश के बड़ी संख्या में लोगों के हुए प्रत्येक पक्ष से नुकसान की कुछ भरपाई हो सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

