माइग्रेन से बचना है तो...

जन्म लेते ही हमें जो शक्ति मिलती है वह माँ के दूध से ही मिलती है। इसी लिए माँ के दूध को अमृत के तुल्य माना गया है। माँ के दूध में भी शक्ति का स्रोत है लैक्टोज शुगर जो कार्बोहाइड्रेट की ही एक फार्म है। जीवन पर्यंत शक्ति के लिए हमें कार्बोहाइड्रेट की ही जरूरत होती है और इसकी सबसे सिम्पलेस्ट फार्म ही शरीर की सभी कोशिकाओं को शक्ति प्रदान करती है। खून में ग्लूकोज की कमी होते ही सबसे पहले प्रभावित होने वाला अंग है हमारा दिमाग और एक बार अगर दिमाग थक गया तो पूरा शरीर थक जाता है। इसलिए हमारे खून में ग्लूकोज का एक निश्चित स्तर हर समय बने रहना बहुत आवश्यक होता है। जब ज्यादा ग्लूकोज होता है तो यह ग्लाइकोजन में बदल कर शरीर के विभिन्न भागों में जमा हो जाता है और ग्लूकोज का स्तर कम होता है तो ग्लाइकोजन पुन: ग्लूकोज में बदल जाता है और यह प्रक्रि या बहुत तेजी से होती है और इसके लिए जिम्मेदार हैं दो भाई इन्सुलिन और ग्लूकागोन नामक हार्मोन। मगर जिन लोगों में उनके खान-पान की नियमितताओं के कारण खून में ग्लूकोज की पीक्स बहुत ऊंची आती है तो उनमें रिएक्टिव हाइपोग्लेसिमिया के कारण डिप भी बहुत ज्यादा होता है और ग्लूकोज की कंसन्ट्रेशन में यह बड़ा अंतर ही शरीर में कुछ ऐसे रसायन, जिन्हें न्यूरोपेप्टाइड कहते हैं, रिलीज होने का कारण बनता है। इन न्यूरोपेप्टाइड के कारण सिर की ब्लड वैसल्स में स्वेलिंग आ जाती है जो माइग्रेन के दर्द का कारण बन जाती है। लंबे समय तक भूखा रहना और फिर अचानक से बहुत ज्यादा मात्रा में मीठा भोजन खा लेना माइग्रेन डवलप होने का सबसे प्रमुख कारण है। इसलिए माइग्रेन से बचना है तो अपना खाने का शेड्यूल बिलकुल रोबोटिक रखिये। प्रात: 8 से 9 बजे नाश्ता, दोपहर 1 से 2 के बीच लंच और रात्रि 8 से 9 के बीच डिनर। खाने का समय बिलकुल वैसा हो जैसे डाक्टर दवाई लेने का तय करता है। खाने को दवाई की तरह समय से और नियमित लोगे तो दवाई लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। (स्वास्थ्य दर्पण)

-डा. संजीव कुमार वर्मा