माइग्रेन बचाव ही इलाज है
माइग्रेन मस्तिष्क के अन्दर रक्तवाहिनियों की गतिविधियों में अवरोध की प्रक्रि या है। माइग्रेन के रोगी को हमेशा सिर दर्द का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो दर्द इतना तीव्र होता है कि दुनिया का सबसे तीव्र दर्द माना जाता है। सामान्यत: दर्द तीन प्रकार का माना जाता है, विशेष माइग्रेन, साधारण माइग्रेन, रह-रह कर उठने वाला माइग्रेन आदि। विशेष माइग्रेन में पहले ही लक्षण स्पष्ट हो जाते हैं मसलन नजर धुंधलाना या कमजोर होना, बोलने में परेशानी व किसी वस्तु को टच कर महसूस करने में परेशानी अनुभव होती है। इन लक्षणों के कुछ देर बाद तीव्र दर्द शुरू होता है। प्राय: यह सिर के एक ही तरफ होता है। उल्टी और चक्कर भी आ सकते हैं। सामान्य माइग्रेन बार-बार पैदा होता है लेकिन बिना संकेत दिए भी इसका दर्द विशेष माइग्रेन से कम नहीं होता रह-रह कर उठने वाला माइग्रेन रह-रह कर उठता है। सिर में चटख जैसी पैदा होती है। इसका अंतराल साल, महीने, घण्टे तीनों के बीच चलता है। हर बार लगभग दो घण्टे लगातार चल सकता है। इसमें प्राय: आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों के पीछे दर्द होता है।माइग्रेन के लिए कोई आयु निर्धारित नहीं है। यह किसी भी अवस्था में हो सकता है पर सौभाग्य से अधिक उम्र के बाद इसकी तीव्रता स्वयं नष्ट होने लगती है। माइग्रेन से संबंधित सिर दर्द हल्का भी हो सकता है, असह्य भी और लगातार भी चल सकता है। रूक-रूक कर भी चल सकता है। कभी-कभी हथौड़े चलने जैसा महसूस होता है तो कभी सुइयों जैसी चुभन। अगर इसका इलाज न किया जाय तो अधिक दिन तक दर्द चलेगा। दर्द नाशक दवाइयों के खाने से तुरन्त ही गायब हो सकता है।अगर माइग्रेन के रोगियों का सर्वेक्षण किया जाए तो पता चलेगा कि प्रत्येक मरीज के कारण अलग-अलग होते हैं परन्तु कुछ कारक ऐसे हैं जो मिलते-जुलते हैं जिन्हें हम सामान्य कारक के रूप में जानते हैं। उदाहरण तौर पर रोजमर्रा कामकाज का ढर्रा बदलना, अत्यधिक नींद या अनिद्रा, उत्त्तेजना, तनाव, शोर शराबा, तेज रोशनी, अत्यधिक मेहनत या अत्यधिक व्यायाम, मौसम, कुछ खास तरह के भोजन, हारमोन की गड़बड़ी आदि।फिर भी मनुष्य होने के नाते किसी भी तरह की पीड़ा हो, उसे सहने व उसे दूर करने की क्षमता हममें है। अगर हम कुछ बातों पर अमल करें तो इस रोग से जल्द छुटकारा पा सकते हैं। सर्वप्रथम हमें अपने सिरदर्द का हिसाब रखना चाहिए जिसमें उसे शुरू होने का समय व समाप्त होने का घण्टा समय लिखा होना चाहिए। उसके अलावा खाने की सामग्री मात्रा, दिनचर्या का लेखा-जोखा होना चाहिए जिससे माइग्रेन की प्रकृति का पता लगाया जा सकता है।कभी भी खाली पेट बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि असामयिक भोजन लिये जाने से भी इसकी शुरूआत हो सकती है। ज्यादा तली भुनी चीजों, शराब व चाकलेट से बचें व सही तापक्र म का ध्यान रखें। अधिक ठंड में रहने या अधिक धूप में रहने से भी सिरदर्द हो सकता है। धूप में निकलते समय धूप का चश्मा व छाते का प्रयोग अवश्य करें। कभी-कभी तेल द्वारा हल्के हाथों से की गयी मालिश भी सबसे सरल उपाय है। सिर दर्द से मुक्त रहें, इसके लिए हमें हमेशा चिन्ता व तनाव से दूर रहना होगा। अगर दर्द तीव्र है व निरंतर अबाध गति से चल रहा तो डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।
(स्वास्थ्य दर्पण)