चॉकलेट और चिप्स

कल वृंदा का जन्मदिन है, उसके नाना-नानी घर पर आए हुए हैं। वृंदा बहुत उदास थी क्योंकि उसके नाना-नानी को आज ही वापस घर जाना था। वह अपने नाना से बोली, ‘आप मेरे जन्मदिन तक रूक जाएं तो बड़ा मजा आयेगा।’ नाना जी ने मुस्कुराकर कहा, ‘हम रूक नहीं सकते बेटा कल मेरी एक जरूरी मीटिंग है, हमें वापस जाना ही होगा। नानी ने उसे गोद में बिठाते हुए कहा, ‘अगले साल जब तुम छह साल की हो जाओगी तो हम तुम्हारे साथ पूरे एक सप्ताह तक रहेंगे।’ नानी ने अपने बैग से एक बड़ा बॉक्स निकाला। सुंदर चमकीले गुलाबी रंग की पैकिंग वाले बॉक्स पर पीले रंग का रिबन बंधा था।  नानी ने उसके हाथ में देते हुए कहा, ‘ये तुम्हारे लिए है।’  वृंदा के पापा ने कहा- ‘इसकी क्या जरूरत थी। आप तो वैसे भी इसके लिए और कितनी सारी चीजें लाए हैं।’  नाना ने कहा- ‘ज्यादा कुछ नहीं है इसमें थोड़ी टॉफी, चॉकलेट और चिप्स हैं। बच्चों को ये चीजें बहुत अच्छी लगती हैं।’  वृंदा की मम्मी बीच में ही बोल पड़ीं। ‘तुम्हारे पापा और मैंने सोचा है कि तुम कितनी ज्यादा टॉफी और चॉकलेट खाती हो। इनसे तुम्हें नुकसान भी हो सकता है।’ पापा बोले, ’खाओ, लेकिन ज्यादा नहीं।’वृंदा ने सिर हिलाते हुए कहा- ‘नहीं, नहीं पापा मैं ज्यादा नहीं खाऊंगी।’ नाना-नानी के जाने के बाद वृंदा अपने कमरे में आई। उसे नाना-नानी का दिया हुआ गिफ्ट खोलने की बड़ी जल्दी थी। रात के समय जब सब सो गये तो उसने कपबोर्ड में रखे उस बॉक्स को उठाया और उसे खोला तो देखा कि उसमें चॉकलेट बार और चिप्स के कई पैकेट थे। उसने एक साथ तीन चार चॉकलेट और दो पैकेट चिप्स के खा डाले। अगली सुबह वृंदा की मम्मी जब उसे उठाने के लिए कमरे में गई तो उन्होंने देखा कि कपबोर्ड खुला हुआ था और उस डिब्बे में से आधी से ज्यादा चॉकलेट गायब थीं।  वृंदा की मां गुस्से से बोली, ‘कैसे, तुम इतनी सारी चॉकलेट एक साथ खा सकती हो।’ पिता ने उसकी मम्मी को होंठों पर अंगुली रखकर कहा शोर मत मचाओ। उसे गुस्से से नहीं प्यार से समझाना होगा। वृंदा जब सोकर उठी तो उसने देखा उसके बिस्तर के पास नट्स चॉकलेट रखी थी। उसकी मां कमरे में आई और पूछा, ‘रात को चॉकलेट खाकर मजा आया? वृंदा को हैरानी हुई कि मां को कैसे पता चला? वह हैरान थी कि कैसे मम्मी उस पर आज गुस्सा भी नहीं हुईं। ‘हां मैंने खायी थी। मां, मुझे चॉकलेट और टॉफी बहुत पसंद है। मुझे ये दुनिया की सबसे अच्छी चीजें लगती हैं।’ ‘क्या सचमुच ऐसा है’ वृंदा के पिता बोले। ‘हमें तो पता ही नहीं था कि तुम्हें ये इतनी ज्यादा पसंद हैं। चलो, हर बार खाने में तुम्हें चॉकलेट और चिप्स ही दिया करेंगे।’ वृंदा ने उन्हें हैरानी से देखा कि उनके मम्मी-पापा को क्या हो गया है? उस दिन सुबह उसे नाश्ते में एक गिलास दूध और बड़ी डार्क चॉकलेट दी गई। वृंदा यह देखकर खुश थी।  स्कूल में उसने जब अपना टिफिन खोला तो उसके दोस्त भी उसके आसपास इकट्ठे हो गये, क्योंकि टिफिन में एक बड़ा पैकेट चिप्स और चॉकलेट रखी थीं। वृंदा ने उस दिन खूब मजे से खाया और अपने दोस्तों को भी खिलाया। दोपहर के समय जब वह स्कूल से लौटकर आयी तो मां ने उससे कहा- ‘तुम भूखी होगी, चलो अपना लंच ले लो।’ वृंदा ने देखा कि डायनिंग टेबल पर प्लेट में चिप्स और चॉकलेट रखी थी। तो उसका दिल बुझ गया। उसकी मां दाल चावल खा रही थी और वह उनकी प्लेट को लालचभरी निगाह से देख रही थी। शाम को उसका जन्मदिन मनाया जाना था। टेबल पर नौका की शेप में एक बड़ा चॉकलेट केक रखा था। बच्चों को खाने में पावभाजी और छोले भठूरे दिये गये, उसके दोस्तों ने खूब मजे से खाया। वृंदा को खाने में चॉकलेट का बड़ा पीस दिया गया और एक पैकेट चिप्स। उनकी प्लेट में देखकर वृंदा के मुंह में पानी आ रहा था। जब वह चले गये तो वह अपने दोस्तों के दिये उपहारों को खोलकर देखने लगी ‘तुम्हें यह सब बहुत पसंद आएंगे।’ उसकी मां ने कहा। ‘मैंने तुम्हारे दोस्तों को कह दिया था कि वे तुम्हारे लिए सिर्फ चॉकलेट और चिप्स ही लाएं।’ वृंदा ने देखा सभी ने अलग-अलग फ्लेवर के चिप्स और चॉकलेट ही उसे गिफ्ट में दी थीं। उसे बहुत निराश हुई। ‘क्या हुआ वृंदा?’ पापा ने पूछा। ‘क्या तुम्हें अपने गिफ्ट पसंद नहीं आये।’ ‘मैं तंग आ चुकी हूं, चॉकलेट और चिप्स से।’ कहते ही वृंदा की आंखों से आंसू बहने लगे। मुझे अपना वही खाना चाहिए जो मैं रोज खाती हूं। वृंदा ने जब चपाती का एक कौर मुंह में डाला तो बोली- ‘वाह क्या स्वाद है। अब मुझे पता चला कि ये सब चीजें कम क्यों खानी चाहिए। मम्मी आज तुमने चपाती और सब्जी दोनों अच्छी बनाई है। कहकर वह मम्मी के गले में बांहें डालकर झूलने लगी।