लाखों सबमर्सिवल पंप भी कर रहे पानी संकट में बढ़ौतरी

जालन्धर, 27 जून (शिव शर्मा ) : जमीन के निचले पानी का स्तर गिरने से ग्रामीण ट्यूबवैलों द्वारा पानी के ज्यादा प्रयोग पर समय-समय पर सरकारों का ध्यान केंद्रित करती रही हैं तथा पानी बचाने की सलाह देती रही हैं। कृषि वर्ग के ट्यूबवैल फसलों की बिजाई के समय ही ज्यादा चलते हैं जबकि राज्य के शहरी क्षेत्र सहित राज्य में करीब 15 लाख से ज्यादा सबमर्सिवल पंप भी लगातार पानी संकट में बढ़ौतरी कर रहे हैं। राज्य में चाहे निकाय विभाग के पास सबमर्सिवल पंपों के लगने की सही गिनती नहीं है पर सूत्र बताते हैं कि इन की गिनती 15 लाख के करीब है जिनसे साथ जमीन के निचले पानी को लगातार निकाला जा रहा है। इनका प्रयोग व्यापारिक घरानों में तो हो रहा है बल्कि व्यापारिक क्षेत्र में सबमर्सिवल पंपों से पानी की खप्त काफी मात्रा में हो रही है। केंद्र के ग्राऊंड वाटर अथारिटी के पास राज्य के कई इलाकों में जमीन के निचले पानी की स्थिति गंभीर हो जाने के कारण ग्राऊंड वाटर अथारिटी ने अब तो इस संबंधी कानून बना दिया है। फैक्टरियों में सबमर्सिवल पंप लगाने के लिए अब विशेष मंजूरी लेनी होगी।सबमर्सिवल पंप लगाने की गिनती लाखों में हो जाने के कारण उद्योगिक क्षेत्र में पानी का प्रयोग पिछले 15 वर्षों से काफी बढ़ा है। निकाय विभाग ने तो अब तक सबमर्सिवल लगाने पर किस तरह से पानी बिल की वसूली की जानी है, इस बारे पक्की नीति नहीं बनाई है।देश के 21 शहरों में पानी संकट किस तरह से गंभीर होने वाला है, नीति आयोग की रिपोर्ट से ही पता लगता है। कंपोज़िट जल प्रबंधन सूचकांक नाम की एक रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है कि देश के 21 शहरों में जमीन से पानी तेजी से निकाला तो जा रहा है पर उस मुताबिक पानी का जमीन नीचे जाकर रीचार्ज न होने के कारण स्थिति गंभीर हो रही है। इन 21 शहरों में पंजाब के 4 शहरों, अमृतसर, पटियाला, लुधियाना, जालन्धर भी शामिल हैं जिनमें 126 प्रतिशत से लेकर 209 प्रतिशत तक पानी निकाला जा रहा है। इस रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है कि यदि जमीन के नीचे बरसाती पानी रीचार्ज करके पानी का स्तर ठीक न किया गया तो अगले साल तक इन शहरों में पानी की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। रिपोर्ट मुताबिक जालंधर में 209 प्रतिशत के हिसाब से पानी निकाला जा रहा है जोकि उसकी पानी निकालने की समर्था से कहीं ज्यादा है। अमृतसर, जालन्धर में ही ट्यूबवैलों की संख्या 400 से 500 तक पहुंच गई है।