किसानों को आत्महत्याओं एवं आर्थिक तंगी में से निकाल सकती है प्राकृतिक कृषि

संगरूर, मस्तुआणा साहिब, 11 अगस्त (पशौरीया, दमदमी): कृषि लागतों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण किसानों हेतु कृषि घाटे का सौदा बनती जा रही है। कृषि में रासायनिक पदार्थों के बड़े स्तर पर किए जा रहे प्रयोग के कारण विगत कई वर्षों से फसलों पर दुश्मन कीड़ों के हमले में हैरानीजनक वृद्धि हुई है। इन दुश्मन कीड़ों से फसलों को बचाने हेतु किसान ओर महंगे एवं ज्यादा खतरनाक किस्म के रासायनिक जहर खरीदते हैं इसका कृषि या किसानों को तो कोई लाभ नहीं होता बल्कि जहरों का धंधा करने वाली देशी विदेशी कम्पनियों के वारे-न्यारे हो रहे हैं और किसानों पर ऋण बढ़ता जा रहा है। दूसरा पंजाब के हवा, पानी और धरती में जहर घुल रहा है। इस क्षेत्र में कृषि विरासत मिशन जैतों जिसके उमेन्द्र दत्त कार्यकारी निर्देशक हैं, अति प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा किए जा रहे लगातार प्रयासों से पंजाब के अनेकों किसान अपने पारम्परिक ज्ञान, आधुनिक परन्तु प्राकृतिक कृषि तकनीकों का प्रयोग करके प्राकृतिक कृषि की ओर रुख कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती की चल रही इस अभियान की शृंखला के रूप में ही मस्तुआणा साहिब में स्वच्छ पंजाब मंच के उमेन्द्र दत्त, डा. ए.एस. मान, सुखविन्द्र पप्पी, अनिरुद्ध वशिष्ट के प्रयासों से कृषि विरासत मिशन जैतों द्वारा अकाल कालेज मस्तुआणा साहिब के सहयोग से दो दिवसीय प्राकृतिक कृषि एवं अमृत कृषि विज्ञान कार्यशाला करवाई गई जिसमें पंजाब भर से भारी संख्या में किसानों ने शमूलियत की। इस कार्यशाला में मध्यप्रदेश से विशेष रूप से पहुंचे दीपक सचदेव जो प्राकृतिक कृषि के विशेषज्ञ हैं, ने विस्तार सहित बताया कि प्राकृतिक कृषि कैसे अमृत मिट्टी तैयार करनी है, कैसे अमृत जल तैयार करना है। यह सुनिश्चित है कि प्राकृतिक कृषि से पंजाब किसान आत्महत्याओं और आर्थिक तंगी के दौर में से बाहर निकलेगा। कार्यशाला दौरान पूर्व जत्थेदार ज्ञानी केवल सिंह, स्वच्छ पंजाब मंच द्वारा डा.ए.एस. मान ने जहां किसानों को प्राकृतिक कृषि हेतु उत्साहित किया वहीं वर्षा का पानी संभालने का आह्वान भी दिया।