कर्ज़  में डूब रहे हैं भारतीय

नई दिल्ली, 16 सितम्बर (इंट) : भारतीय अर्थव्यवस्था की जान कहे जाने वाले घरेलू बचत की हवा निकल गई है. पांच साल में कुल देनदारी 58 फीसदी बढ़कर 7.4 लाख करोड़ रुपए रह गई है, जबकि साल भर पहले यानी 2017 में यह बढ़ोतरी महज 22 फीसदी रही। यह आंकड़ा देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च विंग का है। इस पांच साल में परिवारों का कर्ज़ दोगुना हुआ है जबकि इस दौरान खर्च करने वाली आमदनी महज डेढ़ गुना बढ़ी है। इसका नतीजा हुआ है कि देश की कुल बचत में 4 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है और यह 34.6 फीसदी से गिरकर 30.5 फीसदी पर सिमट गई है। बचत की इस बड़ी गिरावट की सबसे बड़ी वजह घरेलू स्तर पर बचत में आई गिरावट है। इस पांच साल में परिवारों की बचत तकरीबन 6 फीसदी (जीडीपी) गिरी है। वित्तीय साल 2012 में जो घरेलू बचत दर 23.6 फीसदी थी वो 2018 में घटकर 17.2 फीसदी रह गई। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि केवल कज़र् रेट कम करने से मामला नहीं सुलझेगा अब सरकार की ओर से कुछ और पहलकदमी करनी होगी। बैंक ने अपने रिसर्च नोट में कहा है कि कैपिटल गेन टैक्स को हटाने के बाद 2018 में वित्तीय बचत पर कुछ असर दिखा, लेकिन 2019 में यह कम हो गया। बैंक का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में सरकार को मांग बढ़ाने के लिए कुछ खर्चों को बढ़ाना चाहिए। किसानों को आर्थिक मदद के लिए जो स्कीम शुरू हुई है, उसमें अभी तक टार्गेट से कम किसानों का आवंटन हुआ है। बजट में आवंटित रकम को खासकर पूंजीगत खर्चों में कमी दर्ज की गई है। अभी तक सरकार की केवल 32 फीसदी रकम ही खर्च हो पाई है। जबकि पिछले साल इस दौरान 37.1 फीसदी रकम खर्च हुई थी।