कंटीली तार के पार ज़मीन के मामले में जवाब दावा पेश न करने पर पंजाब सरकार को जुर्माना

वरसोला, 28 सितम्बर (वरिंदर सहोता) : भारत-पाक सीमा पर लगी कंटीली तार के पार पड़ती पंजाब के किसानों की ज़मीन के मुआवज़े के मामले में जवाब दावा पेश न करने पर माननीय पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा गठित किए गए विशेष ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार को प्रति फाइल 200 रुपए जुर्माना अदा करने व 28 नवम्बर को जवाब दावा पेश करने के लिए कहा है। इन फाइलों की संख्या 90 के करीब है। उल्लेखनीय है कि 1990 में भारत-पाक सीमा पर कंटीली तार लगी थी तो उस समय पंजाब के 6 ज़िलों पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोज़पुर व फाज़िल्का के किसानों की 21,600 एकड़ ज़मीन तार से पार रह गई थी। इस ज़मीन को बीएसएफ ने अपनी निगरानी में ले लिया था और इस ज़मीन में खेती करने के लिए मालिक किसानों पर कई प्रकार की पाबंदियां लगा दी थीं। इसी प्रकार न ही किसान इस ज़मीन में अपनी मज़र्ी की फसल बीज सकते हैं और न ही मनमज़र्ी से देखभाल कर सकते थे। इस कारण संबंधित किसानों ने माननीय हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने 20 मई 2015 को इसका फैसला सुनाते हुए संबंधित किसानों को प्रति एकड़ वार्षिक 10-10 हज़ार रुपए मुआवज़ा देना तय किया था। मुआवज़े के इन पैसों का 50 फीसदी केन्द्र व 50 फीसदी पंजाब सरकार को देने के आदेश दिए थे परंतु यह मुआवज़ा प्राप्त करने के लिए संबंधित किसानों की अभी भी बड़ी परेशानी हो रही है। यहां तक कि पिछला बकाया भी किसानों ने अदालतों के ज़रिये लिया और अब उन्हें वर्ष 2018 व 2019 का बनता करीब 50 करोड़ रुपए का मुआवज़ा नहीं मिल रहा। इस मामले की सुनवाई के दौरान ही पंजाब सरकार ने विशेष ट्रिब्यूनल के पास दावा पेश नहीं किया। इस संबंधी बातचीत करते हुए बार्डर एरिया किसान वैल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष रघबीर सिंह भंगाला व एडजैक्टिव सदस्य गुरदीप सिंह थम्मन ने पंजाब सरकार की सीमावर्ती किसानों के प्रति बेरुखी की निंदा की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पंजाब सरकार ने 28 नवम्बर को जवाब दावा पेश न किया तो वह अदालती आदेशों का उल्लंघन करने के लिए फिर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएंगे।