खामोश आतंकवादी दीमक

मनुष्य अपनी ज़िंदगी में बहुत मेहनत और मशक्त से रहने के लिए घर बनाता है। घर किसी इन्सान की इज्जत और रुतबे का प्रतीक होता है। आदमी जहां कहीं मज़री घूम आए, परन्तु घर जैसा सुकून कहीं नहीं मिलता। गर्मी हो या सर्दी, बारिश हो या आंधी, घर हमें अपने आंचल में छिपा लेता है। बहुत पूजा-पाठ करवाकर हम गृह प्रवेश करते हैं। घर हमारे चावों और सपनों का महल होता है। आपको पता ही है कि हमारे गृह प्रवेश करने के साथ कितने ही जीव-जन्तु अपना पक्का-ठिकाना बनाने के इरादे से हमारे घरों में प्रवेश कर जाते हैं। जैसे कि
कॉकरोच, मच्छर, मक्खियां, छिपकलियां, तिलचटे, कीड़े, चींटियां, टिडियां आदि। ये सभी कीड़े हमारे लिए परेशानियां भी खड़ी कर देते हैं। सभी जीव हमारी आंखों के सामने नहीं घूमते-फिरते, हमारे घरों में ही अण्डे देते हैं और बच्चे पालते हैं। कई बार तो हमें इस बात का एहसास भी नहीं होता कि कोई खास जीव भी हमारे घर में रहते हैं। ऐसा ही एक जीव है दीमक। दीमक छोटी-छोटी सफेद चींटियों जैसी होती है। वास्तव में दीमक चींटियों की जाति से नहीं होती, दीमक अक्सर पुराने दरबाज़ों, खिड़कियों या दीवारों के कोनों में देखने को मिलती है। दीमक लकड़ी और लकड़ी की चीजों जैसे फर्नीचर आदि को खा जाती है। दीमक का प्रकोप वैसे तो हर मौसम में देखने को मिल जाता है, परन्तु बारिश की ऋतु में यह अधिक तेज़ी से फैलती है। 
वैज्ञानिक वर्गीकरण 
दीमक की वर्ग बांट चींटियों से अलग है। दीमक चींटियों से कम विकसित होती है। दीमक आर्थोपोडा जाति से और इन्सेक्टा आइसोपटेरा वर्ग
से संबंधित होती है। दीमक को ऐसे कीड़ों में गिनते हैं, जिनके आगे और पीछे के पंख लगभग समान आकार के होते हैं। अध्ययन के अनुसार दीमक की 1500 से अधिक प्रजातियों का पता लगाया जा चुका है। भारत में दीमक की 220 प्रजातियां ही मिलती हैं। 
दीमक के घर 
माना जाता है कि दीमक गत 20-30 लाख वर्षों से धरती पर मौजूद है। खोज अध्ययन के अनुसार दीमक शुष्क और शीत क्षेत्रों में पनपती है। यह दलों में बस्तियां बनाकर रहती है। इन बस्तियों को टर्मीटेरियम,वर्मी या बाम्बी कहते हैं। बस्ती का निर्माण, मिट्टी, पानी और दीमक की लार से होता है। लार से मिलकर मिट्टी धूप में सूख कर मजबूत बन जाती है। इस तरह दीमक मिट्टी में या आसपास और नमी वाले स्थानों पर पलती है। अपनी प्रजाति, क्षेत्र और स्थान के अनुसार दीमक की बस्तियां अलग-अलग आकार की होती हैं। एक साधारण वर्मी 2 से 10 फुट ऊंची हो सकती है। यहां तक कि 20-20 फुट ऊंची वर्मियां भी देखी गई है और एक सैंटीमीटर से छोटी भी। दीमक अंधेरे में जब हवा में नमी बहुत ज्यादा होती है, बस्ती बनाती है। दीमक की बस्तियां मुख्य तौर पर तीन किस्मों की होती है। भूमिगत दीमक की बस्ती, शुष्क लकड़ी वाली दीमक की बस्ती और नमीयुक्त लकड़ी वाली दीमक की बस्ती। 
दीमक की सामाजिक प्रणाली
 एक ही बस्ती में रहने वाली दीमक अलग-अलग आकार और अलग-अलग किस्म की हो सकती है। दीमक की बस्ती कोई साधारण
नहीं होती। इसके भीतर संगठित सामाजिक प्रणाली होती है। बस्ती को सही ढंग से रखने के लिए, दीमक के दल में मजदूर, सैनिक और सेवक सभी तरह की दीमक होती है। प्रत्येक बस्ती में एक रानी और एक राजा होते हैं, जो पंख वाले और बस्ती के निर्माता होते हैं। इसके बाद कुछ दीमक जन्म देने वाली और कुछ बांझ होती हैं। जन्म देने वाली दीमक पंखों वाली होती है, जाति को आगे बढ़ाती है और नई बस्तियां बनाती हैं। बांझ दीमक में मजदूरी करने वाली दीमक होती है, जिसका कार्य भोजन एकत्रित करना, रानी की देखभाल करना, बस्ती की साफ-सफाई और पालन-पोषण का कार्य होता है। इसी दीमक में कुछ सैनिक होते हैं जो
अपनी बस्ती की रक्षा करते हैं। 
दीमक का भोजन
दीमक मृत लकड़ी या लकड़ी से बनी वस्तुओं में मौजूद सैलुलोज खाती है, तभी दीमक सभी मेज़-कुर्सियां, दरवाज़े, खिड़कियों के अलावा दरी,कम्बल, कालीन, कागज़, पौधे, किताबें और चमड़े की सबसे बड़ी दुश्मन है। दीमक किसी चीज को बाहर से खाना शुरू नहीं करती। किसी कोने से वस्तु के भीतर घुसकर चुपचाप भीतर से खाकर खोखला कर देती है। तभी दीमक द्वारा हुए नुक्सान का चीज के पूरे रूप में नष्ट होने के बाद ही पता चलता है। 
घर में कैसे आती है दीमक 
कई तरीकों से दीमक घरों में प्रवेश करती है। मुख्य तरीका है, घर में जहां लकड़ी और मिट्टी का सीधा-सम्पर्क हो। दीमक उस स्थान
पर घर में तेज़ी से हमला करती है। यदि घरों की दीवारों में कोई दरार है तो भी दीमक घरों में दाखिल हो जाती है। तारों, सीवरेज़ की पाइपों, नलों से पड़े खाली स्थानों द्वारा भी दीमक हमारे घरों में आ जाती है। दीमक तो घर की नींव में लगे जोड़ों द्वारा भी घर में आ जाती है।
कैसे पता चलता है दीमक के आने का
दीमक नमी वाले, अंधेरे और सुरक्षित वातावरण में रहती है। वह ढूंढने पर भी नहीं मिलती। यही कारण है कि वह जब तक हमारे घर का भारी नुक्सान कर देती है, हमें पता ही नहीं चलता। दीमक के घरों में होने का आम संकेत है। घरों की दीवारों और मिट्टी की नालियों का बनना। घर में दीमक के पंखों का मिलना, घर में दीमक होने का अगला संकेत है। आमतौर पर सबसे पहले घरों में पंखों वाली दीमक आती है। यह दीमक फर्श या खिड़की पर अक्सर पंख छोड़ जाती है। लकड़ी को खटखटकर देखें तो खोखलेपन की आवाज़ आए यह भी घर में दीमक का संकेत है। यदि आपके घरों में इनमें से कोई भी संकेत देखने को मिले तो इसका उपाय करना पड़ेगा, ताकि दीमक
नियंत्रण में रहे।