खामोश आतंकवादी दीमक

आपस में सूचना संचार : अधिकतर दीमक अंधी होती है। आपस में सूचना संचार दीमक रासायनिक, यंत्रिक तथा फेरोमोनल संकेतों द्वारा करती है। भोजन की तलाश, घर के लिए जगह ढूंढने, प्रजनन के लिए जगह ढूंढने, जोड़े बनाने के लिए मुकाबले के समय, दुश्मन का पता लगाने, अपनी बस्ती बचाने, चेतावनी के समय शारीरिक सूचना इन संकेतों द्वारा होती है। दीमक में सूचना संचार तरंगों से, भौतिक मेल-मिलाप से और उसके मुंह पर लगे सीधे एन्टीनों द्वारा भी होता है। 
लड़ती हैं दीमक की टोलियां
अलग-अलग बस्तियों की दीमक के बीच भोजन की तलाश करते हुए कई बार मुठभेड़ हो जाती है, भीषण जंग हो जाती है। एक टोली दुश्मन टोली का रास्ता रोक लेती है, ताकि दूसरी टोली भोजन क्षेत्र में घुस न सके। जंग के दौरान दोनों पक्षों की भारी संख्या में दीमक मरती है। सैनिक दीमक उनको एकत्रित करके ऊपर मिट्टी डाल देती है। कई बार दीमक के घर भी तबाह हो जाते हैं। 
दीमक पर काबू पाने के ढंग
हमारे घरों में दीमक को खत्म करने के लिए समय-समय पर कई तरह के उपाय किए जाते हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार है—
* जिस लकड़ी को दीमक लग जाए, उसको तेज़ धूप में रखें। सप्ताह में दीमक चली जाएगी। * कहते हैं कड़वी गंध से दीमक दूर भागती है। जिस स्थान पर दीमक लगी हो, वहां करेले या नीम का रस छिड़कने पर अच्छा परिणाम निकलता है। * नमक छिड़कने से भी दीमक भाग जाती है। * संतरे का रस छिड़कने से दीमक मर जाती है। * बोरिक एसिड का छिड़काव भी दीमक को मारता है। * नीम के पत्तों का पाऊडर भी दीमक नाशक है। * दीमक के घर के पास कार्ड-बोर्ड के गीले टुकड़े रखकर दीमक को इनके आसपास एकत्रित किया जा सकता है। उस पर दवाई छिड़का कर दीमक मारी जा सकती है। 
दीमक नाशक दवाइयां छिड़कते समय : दीमक मारने वाले कितने ही रासायन बाज़ार में मिलते हैं। इनका छिड़काव करते समय कुछ सावधानियां अपना लेनी ज़रूरी हैं। 
* दीमक नाशक छिड़कते समय कुछ खाने-पीने या सिगरेट पीने से परहेज किया जाए। * छिड़काव में इस्तेमाल बाल्टियां डिब्बे साबुन से अच्छी तरह से धोकर ही पुन: इस्तेमाल किए जाएं। जहां दवाई छिड़काई गई हो, वहां लोगों और पशुओं का जाना वर्जित करना चाहिए। * लगातार कीटनाशकों के सम्पर्क में रहने से कैंसर, श्वास रोग, अंधापन जैसे आम रोगों का खतरा हो जाता है। * छिड़काव के बाद यदि आपका सिर चकराता है, उल्टियां आती हैं, आंखें लाल हो जाती है, आंखों से पानी बहने लगे, धुंधला नज़र आए, चमड़ी पर जलन होने लगी, भूख न लगे, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आने, श्वास लेने के लिए परेशानी होने या दम घुटने पर तत्काल डाक्टर के पास जाना चाहिए।
एक सर्वेक्षण के अनुसार गलत कीटनाशक दवाइयां इस्तेमाल करने से हर वर्ष दुनिया में 25 लाख लोग बीमार हो जाते हैं। इनमें से 15 लाख लोगों का निधन हो जाता है। दीमक मारने के लिए दवाई उच्च गुणवत्ता वाली दुकान से ही खरीदी जानी चाहिए। दवाई के बनने की तिथि और प्रयोग किए जाने की अंतिम तिथि भी पढ़ लेनी ज़रूरी है। दवाई घरों में जमा न करें, दवाई पशुओं और बच्चों की पहुंच से दूर रखें। दवाई का छिड़काव करते समय टोपी-दस्ताने और मुंह पर कपड़ा बांध लेना चाहिए। आंख, नाक, कान का बचाव किया जाए। दवाई का छिड़काव करने के समय सतर्कता अपनाई जानी चाहिए, ताकि दवाई छिड़कने का न तो आप पर कोई असर पड़े, न ही पर्यावरण और न ही मिट्टी पर कोई असर पड़े, न ही पानी पर। अपने सपनों के घरों को दीमक से सुरक्षित बनाना हम सभी का कर्त्तव्य बनता है।