सुपर स्टार बनने की राह पर हैं क्रिकेटर राधा यादव

जब महिला क्रिकेटरों के संदर्भ में आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) ने अपनी ताजा रैंकिंग घोषित की तो राधा यादव के लिए यह दोहरे जश्न का अवसर था। पहला यह कि हाल में सम्पन्न हुई टी-20 सीरीज में भारत ने वेस्टइंडीज को 5-0 से पराजित किया, जिसमें राधा यादव विकेट लेने के मामले में भारत की ओर से दूसरे नंबर की गेंदबाज रहीं। दूसरा यह कि 19 वर्षीय टीम बड़ोदा की इस हरफनमौला खिलाड़ी को आईसीसी ने टी-20 फॉर्मेट की विश्व रैंकिंग में दूसरे स्थान पर रखा। यह उपलब्धि इस लिहाज से उल्लेखनीय है कि क्रिकेट में राधा यादव का अब तक का सफर किसी परीकथा से कम नहीं रहा है। उन्होंने 2011 के विश्व कप से पहले टीवी पर एक भी क्रिकेट मैच नहीं देखा था। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम था कि भारत में महिलाएं क्रिकेट भी खेलती हैं। आर्थिक दृष्टि से मामूली पृष्ठभूमि वाले परिवार से संबंधित राधा यादव मुंबई के एक उपनगर कांदिवली में रहती थीं और उन्हें अपनी लोकेलिटी के लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना अच्छा लगता था। उनका जीवन उस समय बदल गया जब जाने माने क्रिकेट कोच प्रफुल नायक ने उनके अंदर प्रतिभा देखी। वह जल्द ही प्रोफेशनल क्रिकेट खेलने लगीं। वह मुंबई की टीम में थीं, लेकिन जब नायक ने अपनी बेस वडोदरा में बना ली तो राधा यादव भी उस शहर में शिफ्ट हो गईं। मुंबई के नुकसान से वडोदरा को लाभ हुआ, और राधा यादव टीम बड़ोदा की कप्तान बन गईं। उन्होंने फरवरी 2018 में भारत के लिए अपना पहला टी-20 इंटरनेशनल खेला और फिर उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा है। विश्व में नंबर 2 रैंकिंग प्राप्त करने पर राधा यादव कैसा महसूस करती हैं? यह प्रश्न बेकार का है, क्योंकि सफलता सभी को प्रसन्न करती है, लेकिन यही बात अगर संबंधित व्यक्ति के मुंह से सुनी जाये तो उसका लुत्फ  ही कुछ और होता है। राधा यादव बताती हैं, ‘यह खबर हमारी टीम के मैसेजिंग ग्रुप पर भेजी गयी और मुझे बहुत खुशी हुई। लेकिन मुझे इस बात का अधिक संतोष था कि मैंने वेस्टइंडीज के विरुद्ध अच्छी गेंदबाजी की। इसका अधिक श्रेय नरेंद्र हिरवानी (पूर्व भारतीय क्रिकेटर) सर को जाता है, जो स्पिनर्स को कोच कर रहे हैं। हमारी टीम में कुछ गजब के क्रिकेटर हैं और हम वास्तव में एक दूसरे की सफलता का आनंद लेती हैं। इसीलिए हम इतना अच्छा खेल रही हैं। हमारे कोच डब्लूवी. रमण ने सुनिश्चित किया है कि हम खुलकर खेलें और गेम का आनंद लें। मुझे घरेलू गेम्स की तुलना में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कम दबाव का अनुभव हुआ है। घरेलू मैचों में एक या दो खिलाड़ियों पर ही हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहता है। हालांकि मैं जिम्मेदारी का आनंद लेती हूं, लेकिन भारत के लिए मैं अधिक खुलकर खेलती हूं क्योंकि अब टीम के पास अनेक मैच-विजेता हैं।’ राधा यादव की यह बात एकदम सही है। हमारी महिला टीम में आज एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं, जिससे टीम में जगह पाना बहुत कठिन हो गया है, कड़ी प्रतिस्पर्धा है। इस बारे में राधा यादव का कहना है, ‘आज हमारे पास बहुत शानदार क्रिकेटर हैं, जो संकट के समय टीम को उबारने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। मैं इस समय अपने खेल का आनंद ले रही हूं, मुझे ज्यादा सोचना नहीं है बाकी चीजों के बारे में। मैं एक दिन ओडीआई में भी देश का प्रतिनिधित्व करना चाहूंगी, लेकिन फिलहाल मैं वर्तमान में रहना चाहती हूं। हरमनप्रीत कौर मेरी आदर्श है, उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करके मैंने बहुत कुछ सीखा है। इस समय हमारा सामूहिक सपना भारत को अगले वर्ष टी-20 विश्व चैंपियन बनाना है। दो घंटे की जिम एक्सरसाइज और रोजाना दौड़ना मुझे फिट रहने में मदद करता है। आर्थिक रूप से अब राधा यादव का परिवार कुछ बेहतर स्थिति में है, हालांकि उन्हें बचपन में काफी तंगी का सामना करना पड़ा था, जिससे उनमें संघर्ष करने की काफी क्षमता आ गयी है। वह बताती हैं, ‘हां, अभी (आर्थिक स्थिति) काफी बेटर है और चीजें काफी हद तक हल हो गई हैं। पहले तो मेरे पिता एक अस्थायी दुकान पर सब्जियां बेचा करते थे, अब इसके अतिरिक्त उन्होंने किराये पर एक ग्रोसरी की दुकान भी ले ली है। लेकिन आज तक उन्होंने मुझसे पैसे नहीं लिए। मेरे पैरेंट्स का मुझपर बहुत उपकार है उन सभी कुर्बानियों के लिए जो उन्होंने मेरे लिए दीं और उन्होंने मुझे कभी भी खेलने से नहीं रोका। अब जब मैं ठीक ठाक पैसा कमाने लगी हूं तो हम पैसा बचाने व निवेश करने की योजना बना रहे हैं। लेकिन मेरी मानसिक टफनेस का हमारी आर्थिक स्थिति से कोई संबंध नहीं है। क्त्रिकेट मेरा जीवन है और जब आप किसी चीज को इतना पसंद करते हैं तो टफनेस अपने आप आ जाती है।’राधा यादव जब भारत के लिए खेलती हैं तो फैंस उनसे सेल्फी व ऑटोग्राफ  का आग्रह करते हैं। लेकिन इससे अलग, उनका कहना है, उन्हें अधिक लोग अभी पहचानते नहीं हैं। लेकिन इसमें उन्हें जल्द बदलाव की आशा है, खासकर इसलिए कि अब महिला क्रिकेटरों के लिए स्थितियां काफी बेहतर हो गई हैं। टीवी प्रसारण ने महिला क्रिकेट को भी पॉपुलर कर दिया है।

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