नियमों के विपरीत माइनिंग के कारण बदला दरियाओं का भूगोलिक नक्शा

बमियाल, 30 दिसम्बर (राकेश शर्मा) : पंजाब सरकार माइनिंग को लेकर बेशक आए दिन नई हिदायतें जारी करती है, जिसका मकसद धरती की भूगोलिक स्थिति को बदलने से रोकना है परंतु पंजाब में माइनिंग माफिया की तरफ से पिछले कई सालों से इन हिदायतों को ताक पर रखकर की गई माइनिंग के कारण पठानकोट में बहने वाले दरियाओं की भूगोलिक स्थिति बदल चुकी है। यह दरिया 50 से 100 फीट गहरे हो चुके हैं। इसके नतीजन इन दरियाओं किनारे बसे गांव तथा कस्बों में लगातार पानी आने की संभावना बड़ रही है। इस संकट के जिम्मेवार अकेले माइनिंग माफिया नहीं बल्कि माइनिंग विभाग भी है जोकि आए दिन माइनिंग प्रति शर्तों की घोषणा तो करता है, परंतु उनको लागू करने में असमर्थ नजर आ रहा है। वर्णनीय है कि ज़िला पठानकोट में स्थित तीन दरिया चक्की, रावी तथा उज्ज है, जिसमें रेत तथा बजरी की खान उपलब्ध है। माइनिंग माफिया की तरफ से सबसे पहले पठानकोट में बह रहे चक्की दरिया में क्रेशर इंडस्ट्री को स्थापित करवाया गया। माइनिंग माफिया की तरफ से दरिया में की गई अवैध माइनिंग के चलते यह दरिया करीब 50 से 100 फीट गहरा होने के कारण कुछ फीटों में ही सिमट कर रह गया। जिसके चलते इस दरिया की भूगोलिक स्थिति बदलने के कारण नज़दीकी गांव तथा कस्बों में पानी का स्तर बुरी तरह से गिर चुका है। ऐसे ही रावी दरिया को माइनिंग माफिया दीमक की तरह लग चुका है। पिछले 15 सालों में इस दरिया में 500 के करीब क्त्रेशर स्थापित किए गए हैं। इस दरिया में हर समय बहते पानी में माइनिंग करते हुए 10 से 20 के करीब जेसीबी मशीनें दिखाई देती हैं, जो के माइनिंग विभाग की तरफ से दर्शाए गए आदेशों को नज़र अंदाज करके रावी दरिया को छलनी कर रही हैं। इसी तरह अब माइनिंग माफिया का रुख भारत-पाकिस्तान सीमा के नज़दीक बह रहे उज्ज दरिया की तरफ हो चुका है।
 इस समय इस दरिया में भी 5 के करीब क्रेशर लग चुके हैं। जिसमें माइनिंग माफिया की तरफ से अवैध माइनिंग का काम जोरों पर है। बात अगर माइनिंग विभाग की तरफ से जारी की जा रही हिदायतों की की जाए तो कोई भी व्यक्ति बहते हुए पानी में माइनिंग नहीं कर सकता, ना ही यह माइनिंग 3 फीट से ज्यादा गहरी की जा सकती है। इसके अलावा हिदायत अनुसार जिस-जिस जमीन में  माइनिंग  की जाती है। उस जमीन को दोबारा मिट्टी डालकर समतल करना लाजमी होता है परंतु दुख की बात है कि माइनिंग माफिया की तरफ से इनमें से किसी भी हिदायत पर अमल नहीं किया जाता। जिसके चलते पिछले 15 सालों में रावी दरिया का भूगोलिक नक्शा बदल चुका है। इस विषय पर जिलाधीश पठानकोट जीएस खैरा का कहना है कि उनको माइनिंग संबंधी नई नीतियों के बारे में जानकारी नहीं है। वह तुरंत माइनिंग विभाग से पूरी जानकारी लेकर इस विषय पर उचित कार्रवाई करेंगे।  इस विषय पर माइनिंग अफसर गगन कुमार का कहना है कि मामला उनके ध्यान में अभी तक नहीं था मौका देख कर उचित कार्रवाई जरूर करेंगे।