20 फीसदी वसूली जाती ड्यूटी, खर्चों के कारण महंगी है बिजली

जालन्धर, 12 जनवरी (शिव): राज्य में लगातार महंगी होती बिजली के मुद्दे के कारण यह राजनीतिक क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बनने लगा है परंतु राज्य में लगातार महंगी होती बिजली का एक बड़ा कारण यह भी है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले बिजली पर 20 फीसदी के करीब बिजली अन्य खर्चों सहित तो वसूले जाते हैं बल्कि सब्सिडी की पूरी राशि से मिलने के कारण दूसरे उपभोक्ताओं पर क्रास सब्सिडी का बोझ भी डालना पड़ता है। बिजली पर बिजली ड्यूटी दूसरे राज्यों में काफी कम है जिनमें दिल्ली में केवल 5 फीसदी हरियाणा में केवल 2 फीसदी बिजली ड्यूटी है। इस तरह पंजाब में बिजली पर बिजली ड्यूटी 13 फीसदी, 5 फीसदी आई.वी.एफ., 2 फीसदी म्युनिसिपल कर, 2 पैसे प्रति यूनिट गौ टैक्स वसूल किया जाता है। बिजली ड्यूटी सहित अन्य टैक्सों से वार्षिक लगभग 4500 करोड़ रुपए की राशि एकत्रित होती है, वह सरकार के खाते में जाती है जबकि दूसरे राज्यों में बिजली पर यह टैक्स काफी कम है। सूत्रों के अनुसार पंजाब में आम उपभोक्ता के लिए 6.29 रुपए प्रति यूनिट बिजली दी जाती है जबकि हरियाणा में इससे महंगी बिजली 6.89 रुपए प्रति यूनिट से बिजली दी जाती है। हरियाणा में चाहे कृषि क्षेत्र में ट्यूबवैलों की संख्या कम है और बाकी लोगों को मुफ्त सुविधाओं सहित बिजली की करीब 7000 की सब्सिडी की राशि मिल जाती है, जिस कारण हरियाणा में बिजली संस्थान को किसी प्रकार की ज्यादा परेशानी नहीं होती। पंजाब में कृषि वर्ग पर ही यदि 7500 के करीब सब्सिडी की राशि बनती है जबकि 3500 करोड़ इसके अलावा अन्य क्षेत्र में बिजली की सब्सिडी सरकार द्वारा दी जाती है परंतु ऐसी चर्चा भी है कि पावरकाम को इस क्षेत्र से 7500 करोड़ के मुकाबले 6000 करोड़ सब्सिडी मिलती है जबकि बाकी उसे 1500 करोड़ रुपए क्रास सब्सिडी के रूप में दूसरे उपभोक्ताओं पर इसका बोझ डालना पड़ता है। कुछ दिन पहले निजी थर्मल प्लांट वालों को 1400 करोड़ की अदायगी करने व इसकी भरपाई के लिए 30 पैसे प्रति यूनिट का बोझ डालने से उपभोक्ताओं में हाहाकार तो है बल्कि अब इस वित्त वर्ष में बिजली महंगी करके और बोझ डालने की तैयारी शुरू होने से राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को लेकर अब मैदान में आ गए हैं। बिजली महंगी होने के कारण ज्यादा बिल आने से कई उपभोक्ता जब अदायगी करने में असफल हो जाते हैं तो इस प्रकार के डिफाल्टर केसों की संख्या में कुछ वर्षों से वृद्धि हो गई है। अब तो कई लोग यह चर्चा करने लगे हैं कि अगले चुनावों में महंगी बिजली का मुद्दा ज़रूर प्रमुखता से उठेगा।