" कैग का खुलासा " सियाचिन में सैनिकों को ज़रूरत मुताबिक कैलरी, कपड़े नहीं

नई दिल्ली, 3 फरवरी (इंट) : सियाचिन, लद्दाख, डोकलाम जैसे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को ज़रूरत के अनुसार कैलरी (पौष्टिक तत्व) नहीं मिल पाई। उन्हें वहां के मौसम से निपटने के लिए जिस तरह के खास कपड़ों की ज़रूरत होती है उसकी खरीद में भी काफी देरी हुई। पुराने मानकों के कपड़े और उपकरण मिलने से सैनिक बेहतर कपड़े और उपकरणों से वंचित रहे। संसद में सोमवार को पेश की कैग रिपोर्ट से ये मामला सामने आया है। सीएजी की यह रिपोर्ट 2017-18 की है, जिसे संसद में पेश किया गया। मदो (सब्स्टिट्यूट) को सीमित प्रतिशत और लागत के आधार पर भी ऑथराइज्ड किया गया। बेसिक आइटम की जगह पर महंगे विकल्पों (सब्स्ट्टियूट) को सामान कीमत  पर सेंग्शन करने की वजह से सैन्य बलों द्वारा ली जाने वाली कैलरी की मात्रा कम हुई। सेना की ईस्टर्न कमांड ने तो ओपन टेंडर सिस्टम के जरिए कॉन्ट्रैक्ट दिया लेकिन नॉर्दन कमांड में लिमिटेड टेंडरिंग के ज़रिए खरीद की गई जिससे निष्पक्ष कॉम्पिटिशन बाधित हुआ। हाई एल्टीट्यूट एरिया में तैनात सैनिकों को वहां की ज़रूरतों के हिसाब के कपड़े खरीदने के लिए मंत्रालय ने 2007 में एक एंपावर्ड कमेटी बनाई ताकि क्लोदिंग आइटम की  खरीद में तेज़ी आ सके। लेकिन इसके बावजूद चार साल तक की देरी हुई। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली आर्डिनैंस फैक्टरी से लिए जाने वाले सामान को मिलने में भी देरी हुई। खरीदने की प्रक्रिया में हुई देरी और कॉन्ट्रैक्ट के बाद भी सामान मिलने में हुई देरी से वहां तैनात सैनिकों को ज़रूरी कपड़े और उपकरण की भारी कमी झेलनी पड़ी।