हिमाचल में प्रदूषण की समस्या

राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल द्वारा हिमाचल प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माना लगाये जाने की घटना से पता चलता है कि पर्यावरण में प्रदूषण के बढ़ने के पीछे कोई एक कारण उत्तरदायी नहीं, अपितु पूरे मुआशिरे को बदलने की ज़रूर हो सकती है। प्रदूषण आज एक राष्ट्र-व्यापी समस्या बन चुका है। पंजाब और हरियाणा प्रदूषण के धरातल पर इस क्षेत्र में सर्वाधिक इंगित क्षेत्र माने जाते हैं, परन्तु अब हिमाचल जैसे पर्वतीय प्रांत में भी राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल द्वारा प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर जुर्माना लगाया जाना समस्या की गम्भीरता को दर्शाने के लिए काफी है। बेशक मौजूदा कार्रवाई प्रदेश के किसी एक क्षेत्र में एक औद्योगिक इकाई की क्रियाओं के दृष्टिगत की गई है, परन्तु प्रदेश के अन्य भागों से भी अक्सर ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं। हिमाचल प्रदेश में इन दिनों विकास के कार्यों में बड़ी तेज़ी आई है। वहां उद्योगों की भी बड़े स्तर पर स्थापना हुई है। पर्यटन में विस्तार हेतु शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन खेलों का आगाज़ हुआ है। इस हेतु प्रदेश में सड़कों का जाल बिछा है, और सरकार के यत्नों के सदका दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़क-सम्पर्क मार्ग विस्तृत हुए हैं। विकास एवं उन्नति के इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वृक्षों का वैध कटान तो हुआ ही है, अवैध तौर पर हिमाचल में वृक्षों का काटना तो हर सरकार में होता आया है। वृक्षों के कटान के पीछे हमेशा एक संगठित माफिया सक्रिय रहा है। इसके साथ ही प्रदेश में वैध खनन की आड़ में अवैध खनन भी तीव्र गति से होने लगा है। इन तमाम कारणों के दृष्टिगत प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ना बहुत स्वाभाविक है। हिमाचल में प्रदूषण बढ़े तो नि:संदेह इस पूरे क्षेत्र का पूरा पर्यावरण प्रभावित होता है। हम समझते हैं कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माने की बात बेशक प्रतीकात्मक एवं आटे में नमक के बराबर हो सकती है, परन्तु यदि इस समस्या को प्रारंभ में ही गम्भीरता से नहीं लिया गया तो इसके भयावह रूप धारण करने में देर नहीं लगेगी। प्रदेश सरकार ने पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने एवं स्वच्छता हेतु सदैव वांछित पग उठाये हैं, परन्तु इस हेतु सतत् योजनाबंदी किये जाने की भी महती आवश्यकता है। प्रदेश की नदियों एवं पहाड़ों पर यात्रियों द्वारा बढ़ाये जाने वाले प्रदूषण की रोकथाम हेतु भी सतत् सक्रियता ज़रूरी है। हिमाचल प्रदेश में प्रदूषण बढ़े, तो इससे आसपास के प्रांत भी प्रभावित होते हैं। अत: प्रदेश में वातावरण की स्वच्छता, प्रदूषण की रोकथाम हेतु निरन्तर प्रयास किया जाना बहुत ज़रूरी है। औद्योगिक प्रदूषण की एक सीमा तय किया जाना भी इस हेतु लाज़िमी होगा।