मालवा में कैंसर से बड़ी संख्या में महिलाएं हुईं बच्चो से वंचित

रामपुरा फूल (बठिंडा), ( नरपिंदर सिंह धालीवाल ) 16 फरवरी : कैंसर के कारण मालवा पट्टी में बड़ी संख्या में महिलाएं बच्चे को जन्म देने से वंचित हो रही हैं। इस बीमारी के डर के कारण बच्चेदानी के मामूली रोग के चलते डाक्टरों द्वारा महिलाओं की बच्चेदानियां बाहर निकाले जाने के मामले सामने आए हैं। बठिंडा ज़िला के गांवों में किए एक सर्वे के अनुसार 35 वर्ष से अधिक आयु की कई महिलाएं बच्चों को जन्म देने योग्य नहीं रहीं क्योंकि बच्चेदानी में छोटी-मोटी रसोली वगैरह बन जाने पर मरीज़ का जहां डाक्टरों द्वारा इलाज को प्राथमिकता देने की कोशिश नहीं की जाती वहीं इस बीमारी के डर से महिलाएं बच्चेदानी को बाहर निकलवाना ही बेहतर समझती हैं। आरटीआई कार्यकर्त्ता रंजीव गोयल ने इसे समाज के लिए चिंता का विषय बताया है। दूसरी ओर उक्त रोगों के माहिर सर्जन जतिंदर बांसल ने उक्त की पुष्टि करते हुए कहा है कि आमतौर पर उक्त रोगों के चलते बच्चेदानी बाहर निकालने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि आम तौर पर बच्चेदानी का कैंसर बड़ी उम्र में मोटापा, शुगर व ब्लड प्रैशर से पीड़ित महिलाओं को होने के ज्यादा मौके होते हैं। उन्होंने कहा कि छोटी उम्र की उन महिलाओं को ही कैंसर की ज्यादा सम्भावना दिखाई देती है जो एक से अधिक पुरुषों के साथ सम्भोग करती हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जागरूकता की कमी है और पढ़े-लिखे लोग भी समय पर टैस्ट करवाकर इलाज करवाने की बजाय उक्त मामलों को प्राथमिकता दे रहे हैं। इलाका रामपुरा फूल के गांवों की बात करें तो हर 10वें घर की एक महिला की बच्चेदानी डाक्टरों द्वारा निकाल दी गई है। केन्द्र सरकार द्वारा करवाए गए वर्ष 2018 के एक सर्वे में महिला की बच्चेदानी में कैंसर होने के केवल 36000 मामले सामने आने की बात कही गई है, परंतु दूसरी ओर यह आंकड़े ज्यादा कारगर प्रतीत नहीं हो रहे, क्योेंकि छोटी उम्र की लड़कियां भी उक्त बीमारी के घेरे में आ रही हैं और दिल्ली के बड़े अस्पतालों सहित प्रदेश में कैंसर अस्पतालों में मरीज़ों की लम्बी कतारें हैं। इसी तरह महिलाओं को छाती के कैंसर की बीमारी ने भी घेरा हुआ है। देश में 2018 में हुए एक सर्वे दौरान 1,62,500 महिलाएं छाती के कैंसर से पीड़ित बताई गई थीं। उधर पता चला है कि 6 से 7 लाख भारतीय महिलाएं हर वर्ष छाती के कैंसर के कारण मर रही हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के 10 लाख 16 हज़ार कैंस पीड़ितों के नए मामले सामने आए हैं और पिछले समय दौरान 7 लाख 84 हज़ार लोगों की मौत हो गई थी। पिछले 26 वर्षों में कैंसर पीड़ित लोगों की संख्या दुगनी हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार कैंसर की चपेट में लगभग 90 प्रतिशत निचले वर्ग के लोग आते हैं। ऐसे मामलों में इन मरीज़ों के पास कैंसर का महंगा इलाज करवाने के लिए पर्याप्त राशि नहीं होती, जिस कारण उन्हें अस्पतालों में भटकना पड़ता है। मालवा पट्टी के लोग तो बीकानेर से इलाज करवाना बेहतर समझते हैं और बठिंडा से बीकानेर जाती एक रेलगाड़ी को कैंसर ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है।  समाजसेवी रंजीव गोयल ने कहा कि उक्त पूरे मामले के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकारों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बजट में उचित फंड रखकर लोगों का मुफ्त इलाज करना चाहिए। महिलाओं की बच्चेदानियां निकाले जाने के मामले को चिंता का विषय बताते हुए उन्होेंने इसकी उच्चस्तरीय जांच करवाए जाने की मांग की है।