ब्रिटेन के स्टेटलैस नियम का तीन वर्षों में हज़ारों भारतीयों को हुआ लाभ

लंदन, 27 फरवरी (मनप्रीत सिंह बद्धनी कलां): बर्तानिया के स्टेटलैस सिस्टम से पर्दा उठे को तीन वर्ष हो रहे हैं। ब्रिटेन में गैर कानूनी ढंग से रह रहे या ओवरस स्टे हुए उन भारतीय अभिभावकों को बड़ा लाभ हुआ जिनके बच्चे यू.के. में जन्मे थे व उनके पास किसी देश की कोई नागरिकता नहीं थी। यह कानून एक किताबी पन्ना ही बन कर रह गया था। परन्तु इमीग्रेशन के विशेषज्ञ वकील गुरपाल सिंह उप्पल व उनकी लीगल टीम ने यह केस लंदन की हाईकोर्ट में पहुंचाया, जहां सबसे पहली जीत 28 फरवरी 2017 को एम.के. केस की हुई। एम.के. एक सिख परिवार की बच्ची थी, जिसका यह केस अदालत में जीता गया, जिसको आधार बना कर और बहुत सारे भारतीयों का रास्ता खुल गया। यू.के. के फरवरी 2019 में जारी आंकड़ों के अनुसार अकेले 2018 के पहले 9 महीनों के दौरान 1400 के लगभग स्टेटलैस बच्चों को यू.के. की नागरिकता मिली है। जिससे उनके अभिभावकों को भी यू.के. में पक्के तौर पर रहने का अधिकार मिल गया। बेशक कि यू.के. में रहना काफी मुश्किल होता जा रहा है, परन्तु एम.के. केस ने गत तीन वर्षों में हज़ारों लोगों को नई ज़िंदगी दी।