विकराल होती प्रदूषण की समस्या

देश में प्रदूषण की समस्या एक बार फिर व्यापक स्तर पर सामने आई है। नि:संदेह इस जानकारी ने देश की सरकार और पर्यावरण-विदों को सोचने और फिर प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर विवश किया है। वायु प्रदूषण से सम्बद्ध एक एजेंसी की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, हवाओं में बढ़ते प्रदूषण की यह समस्या वैसे तो पूरे विश्व में किसी न किसी स्तर पर मौजूद है, परन्तु भारत इससे सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुआ है। इस रिपोर्ट में घोषित किया गया है कि विश्व के कुछ बड़े विकसित एवं विकासशील देशों के 31 ऐसे बड़े शहर जो वायु एवं जल प्रदूषण के मामले में सर्वाधिक दूषित एवं प्रदूषित पाये गये हैं। तथापि, भारत में समस्या की गम्भीरता तब प्रकट होती है जब यह पता चलता है कि इन 31 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 21 शहर अकेले भारत के हैं। यह भी एक चिन्ताजनक पक्ष है कि इन 21 भारतीय शहरों में देश की राजधानी दिल्ली सबसे ऊपर है जिसे विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाली प्रथम कतार में रखा गया है। यह रिपोर्ट वर्ष 2019 के उपलब्ध आंकड़ों पर आधारित है जबकि उसके बाद भी पानी पुलों के ऊपर और नीचे, दोनों जगह से बड़ी मात्रा में बह गया है। दिल्ली के शहर गाज़ियाबाद को विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित शहर करार दिया गया है। भारत के बाद चीन के होवान शहर को सर्वाधिक प्रदूषण की सूचि में अंकित किया गया है हालांकि एक समय था जब चीन के कई शहर विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शुमार होते थे। तथापि, आज भारत का एक शहर प्रदूषण के धरातल पर विश्व सूचि में पहले स्थान पर पहुंच गया है। चीन के बाद पाकिस्तान के दो शहर गुजरांवाला और फैसलाबाद भी अत्यधिक प्रदूषित शहरों की श्रेणी में शुमार होते हैं। भारत में प्रदूषण के धरातल पर जिन शहरों के नाम आते हैं, उनमें हरियाणा के भी कई शहर शामिल हैं।  गाज़ियाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, जींद और फरीदाबाद तथा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी प्रदूषित शहरों की सूचि में शामिल हैं, हालांकि थोड़ी-सी गनीमत यह है कि सामूहिकता के धरातल पर प्रदूषण की सूचि में भारत का स्थान पांचवां है। इस संदर्भ में बंगला देश पर प्रदूषण की गाज अधिक ज़ोर से पड़ी है। दूसरे स्थान पर पाकिस्तान और फिर मंगोलिया एवं अफगानिस्तान का नाम आता है। भारत सामूहिक रूप से बेशक प्रदूषण के मामले में पांचवें स्थान पर आता है, परन्तु दिल्ली और ़गाज़ियाबाद के प्रदूषण ने चिन्ताओं में इज़ाफा किया है। दिल्ली में प्रदूषण का रिकार्ड आंकड़ा 800 को पार कर गया है। दिल्ली के लोगों का इससे बुरा हाल हुआ है। 32 प्रतिशत लोग अधिकतर घरों में दुबके रहने को विवश होते हैं। प्रदूषण से बेज़ार और बीमार होने वालों की संख्या में भी इज़ाफा हुआ है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत के जिन शहरों का नाम इस सूचि में शुमार है, वहां वायु प्रदूषण के साथ-साथ पानी का प्रदूषण भी उच्च स्तर पर हो गया है। हवा में मिश्रित होते विषाक्त धुएं ने स्थितियों को अधिक विकराल रूप प्रदान किया है। यह धुआं प्राय: पैट्रोल- चालित वाहनों से उपजता है, हालांकि राजधानी दिल्ली के ऊपर कई प्रकार के कारक धुएं को उपजा कर वायु-प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। बेशक दिल्ली की प्रदेश सरकार इस मामले में बहुत सक्रिय है, और इस स्थिति से बचाव हेतु कई प्रकार के पग उठाये गये हैं, परन्तु हालात इतने गम्भीर हो चुके हैं कि उन पर जल्दी से नियंत्रण पाना सम्भव नहीं रहा है। हम समझते हैं कि बेशक वायु प्रदूषण से पूरा विश्व परेशान है, और निकट भविष्य में इस स्थिति से बच कर निकल पाने का कोई सुलभ उपाय भी नज़र नहीं आ रहा, तथापि विश्व के कुछ बड़े समृद्ध एवं विकसित देशों को इस मामले में अपनी ज़िम्मेदारी को समझने की अधिक आवश्यकता है। चीन ने इस मामले में अपनी धरती पर प्रदूषण के विरुद्ध कुछ कड़े उपाय अपनाये हैं। इनका परिणाम भी अच्छा निकला है। भारत में भी इसी प्रकार के उपायों का आविष्कार किये जाने की बड़ी आवश्यकता है। विकास और समृद्धि के कारण आवाजाही के तरीकों और वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, और देश की बढ़ती आबादी ने भी स्थितियों की विभीषिकता को बढ़ाया है। तथापि, विज्ञान ने आज धरती और आकाश के कुलाबे मिला दिये हैं। ऐसे में यह कोई असम्भव बात नहीं है कि विश्व और खास तौर पर भारत में धुएं और वायु प्रदूषण की रोकथाम अथवा इससे बचाव हेतु उपायों की तलाश न की जाए। यह तलाश कार्य नि:संदेह युद्ध स्तर पर होना चाहिए अन्यथा जिस गति से प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे कभी भी धरती पर प्रलय जैसे चिन्ह उभर सकते हैं।