ज़रूरतमंदों को राहत

अब केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मुफ्त राशन को हरी झंडी दे दी है। इस संबंधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 30 जून को घोषित की गई गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि नवम्बर तक बढ़ाने के फैसले का इसलिए व्यापक स्तर पर स्वागत हुआ है क्योंकि महामारी की चपेट में आए गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की आवश्यक पहल अनाज ही होती है, जिससे वे अपना और अपने परिवार का पेट पाल सकते हैं। कोरोना ने एकदम जीवन तहस-नहस कर दिया है। इससे व्यापक स्तर पर बेरोज़गारी भी फैल गई है। दिहाड़ी करने वाले लोग इसके घेरे में पहले आए। करोड़ों ही ज़रूरतमंद लोगों को अपनी जान के लाले पड़ गए। उनका भविष्य अनिश्चित हो गया।इस योजना ने अब तक आम लोगों को बड़ी राहत ज़रूर दी है। एक परिवार के प्रत्येक सदस्य को एक महीने में पांच किलो आटा या चावल और प्रत्येक परिवार को एक किलो चने दिए जाना एक बड़ी राहत की बात है। यह अच्छी बात है कि सरकार द्वारा चलाई गई ऐसी योजनाओं में अभी तक बड़ी घोटालेबाज़ी के समाचार नहीं आए। इसका एक बड़ा कारण इन योजनाओं को लोगों तक प्रत्यक्ष रूप में पहुंचाना है ताकि प्रत्येक ज़रूरतमंद तक सही ढंग से राहत पहुंच सके। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि मनरेगा योजना को लागू करना था, जिसका उद्देश्य गांवों में रहते देश के करोड़ों लोगों के लिए एक निश्चित समय हेतु रोज़गार विश्वसनीय बनाना था। पहले पहल इस योजना संबंधी काफी शिकायतें भी मिलती रही हैं परन्तु अब उनको बड़ी सीमा तक ठीक कर लिया गया है। चाहे ऐसी राहतों से जीवन यापन हेतु ज़रूरी सभी सुविधाएं देने के लक्ष्य पूरे नहीं किए जा सकते हैं परन्तु फिर भी ज़रूरतमंदों के लिए यह बड़ी राहत ज़रूर है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई सरकार द्वारा इस योजना को अपनाना और इसके लिए और फंड मुहैया करना और इसमें और भी सुधार लाने से यह अपने निर्धारित लक्ष्यों की तरफ  बढ़ती दिखाई दे रही है और बड़ी संख्या में राहत और आश्रय भी बन रही है। गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत यह पहली बार हुआ है कि आठ महीनों के लिए ़गरीबों और ज़रूरतमंदों को मुफ्त अनाज मुहैया करवाया जा रहा है। इस योजना के तहत डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाने की सम्भावना है। इसको अप्रैल में शुरू किया गया था। तीन महीनों में सवा करोड़ लाख टन के लगभग अनाज और इसी ही अवधि में दालें भी बांटी जा चुकी हैं। अगर अपनी घोषित योजनाओं के तहत केन्द्र सरकार अपने निर्धारित कार्य पूर्ण कर सके तो यह उसकी बड़ी उपलब्धि होगी। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहले चरण में एक लाख घर तैयार किये जाने की योजना है, जिसके अधीन शहरों में रहते प्रवासी श्रमिकों को सस्ते घर मुहैया करवाए जाएंगे। इसी तरह अप्रैल से जून तक 12 करोड़ के लगभग सिलैंडर दिए जा चुके हैं। जारी इस योजना पर 13 हज़ार 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। आज भी देश की आर्थिकता व्यापक रूप में कृषि से जुड़ी हुई है। इसके साथ ही इस क्षेत्र का एक अन्य अहम पहलू यह है कि इससे करोड़ों लोग जुड़े हुए हैं, जिनके रोज़गार का मुख्य आधार कृषि व्यवसाय ही है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में मूलभूत ढांचे की सुविधाओं को बढ़ाने हेतु एक लाख करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि से किए जाने वाले कार्यों को कृषि और किसानों से संबंधित संस्थाओं से जोड़ा जाना आवश्यक है। इस क्षेत्र को अधिक से अधिक सहकारी संस्थाओं के साथ जोड़ने के यदि सफल प्रयास होते हैं तो जहां कृषि उत्पादनों को बढ़ाया जा सकेगा, वहीं लाखों ही रोज़गार के और साधन भी पैदा होंगे, जिससे यह क्षेत्र सही दिशा की तरफ कदम उठा सकेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द