महिला क्रिकेट का भविष्य बदल देने वाली  हरमनप्रीत कौर

भारतीय क्रिकेट इतिहास में दो बल्लेबाजों ने ऐसी पारियां खेली हैं, जिनकी वजह से देश में क्रिकेट ने एक निश्चित सकारात्मक मोड़ लिया और आज जो अपने यहां क्रिकेट अन्य खेलों की तुलना में विशेष मकाम हासिल किये हुए है उसका श्रेय इन्हीं दो पारियों को जाता है। 1983 के पुरुष क्रिकेट विश्व कप में जिम्बाब्वे के विरुद्ध भारत के पांच बल्लेबाज मात्र 17 रन के योग पर पैवेलियन लौट चुके थे और भारत पर हार व प्रतियोगिता से बाहर होने का खतरा मंडरा रहा था। लेकिन तभी कप्तान कपिल देव ने 175 रन की अविश्वसनीय पारी खेली, जिससे भारत न सिर्फ  वह मैच जीता बल्कि उसके विश्व चैंपियन बनने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ। इसी तरह 2017 के महिला विश्व कप क्रिकेट के सेमी-फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध हरमनप्रीत कौर ने 171 रन की शानदार व यादगार पारी खेलकर देश में महिला क्रिकेट को संजीवनी बूटी प्रदान की। ये दोनों ही विश्व कप इंग्लैंड में खेले गये थे। स्पोर्ट्स में वह पल हमेशा महत्वपूर्ण होता है, जब उसे हमेशा के लिए परिभाषित कर दिया जाता है। इसी तरह महिला क्रिकेट का कायाकल्प 2017 में शुरू हुआ हरमनप्रीत कौर की पारी से। दरअसल, 2017 से पहले महिला क्रिकेट को देखना एक प्रकार का नयापन था, जिसे सिर्फ उसी समय देखा जाता था, जब आपके पास थोड़ा खाली समय हुआ करता था। तब तो यह भी मालूम नहीं होता था कि टीम में कौन लड़कियां खेल रही हैं। लेकिन हरमनप्रीत कौर की पारी ने महिला क्रिकेट के प्रति देश में नजरिया ही बदल दिया। आज हम मिथाली राज या झूलन गोस्वामी को व उनके रिकॉर्डस को वैसे ही जानते हैं जैसे विराट कोहली या जसप्रीत बुमराह को। इसलिए इस साल महिला दिवस (8 मार्च) पर भारत का दिल टूट गया था, जब हमारी महिला क्रिकेट टीम टी-20 विश्व कप के फाइनल में उसी ऑस्ट्रेलिया से 85 रनों से पराजित हो गई, जिसे प्रतियोगिता के पहले ग्रुप मैच में 17 रन से हराकर फाइनल तक अपना अजेय सफर आरंभ किया था और ग्रुप टॉपर होने के नाते भारत को फाइनल खेलने का अवसर दिया गया था।अब इंग्लैंड व वेस्टइंडीज के बीच टेस्ट श्रृंखला से क्रिकेट को फिर शुरू करने का प्रयास किया गया है। इस सब पर कप्तान हरमनप्रीत कौर का कहना हैं, ‘जब हम ऑस्ट्रेलिया में टी-20 विश्व कप खेल रहे थे तो हमें मालूम था कि वायरस फैल रहा है और हमने सुरक्षित रहने के प्रयास भी किये। इस संकट ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन मेरा मानना है कि सकारात्मक रहना महत्वपूर्ण है। पाबंदियां कम अवश्य हो रही हैं, लेकिन संघर्ष जारी रहना चाहिए जब तक महामारी पर पूरी तरह से विराम न लग जाये। काम, कार्य... हर चीज को स्थगित किया जा सकता है उसे बचाने के लिए जो सबसे कीमती है- हमारा जीवन।’ इसमें शक नहीं है कि स्थिति में सुधार आ रहा है, लेकिन महिला क्रिकेट को पुरुष क्रिकेट जितना महत्व नहीं मिल रहा है। ऐसे में एक महिला के लिए भारत में प्रोफेशनल क्रिकेटर बनना कितना कठिन है? हरमनप्रीत कौर के अनुसार, ‘मेरे डैड ने कभी लड़का व लड़की में अंतर नहीं किया। उन्होंने मुझे क्रिकेट को करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जबकि अन्य उनके इस निर्णय पर प्रश्न कर रहे थे। मेरे लिए पैसे का महत्व नहीं था, देश के लिए खेलना मकसद था। समय के साथ मैंने महिला क्रिकेट का विकास देखा है और बोर्ड, दर्शकों, प्रशंसकों व मीडिया की दिलचस्पी भी बढ़ी है। आज महिला के लिए प्रोफेशनल क्रिकेट खेलना अधिक कठिन नहीं है। अगर आपमें खेल के प्रति लगन है और कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार हैं तो आपको पहचान लिया जायेगा। 

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