फल अधिक लाभप्रद हैं या जूस ?

फ्रूट्स अधिक लाभप्रद हैं या फ्रूट जूस, यह प्रश्न अक्सर लोगों को झकझोरता रहता है। डाक्टर भी कभी फ्रूट खाने को बोलते हैं और कभी फ्रूट जूस पीने को। आम इंसान कंफ्यूज रहता है कि सेहत के लिए क्या अधिक  फायदेमंद है। फ्रूट जूस में तो यह भी शंका बनी रहती है कि ताजा फलों का रस अधिक अच्छा है या डिब्बा बंद फलों का रस।वैसे तो जूस पीना सेहत के लिए अच्छा होता है क्योंकि यह सीधा ब्लड में मिलकर शरीर को लाभ देता है। फल खाने का लाभ कुछ समय बाद मिलता है पर फलों के सेवन के साथ जो रेशा हमारे शरीर को मिलता है, वह फलों के रस से नहीं मिलता। रेशा हमारे शरीर में झाड़ू का काम करता है।इसके अतिरिक्त जूस से शरीर में शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ जाता है जो शरीर के लिए हानिकारक है।पोषण विशेषज्ञों के अनुसार फलों के रस में भी उतनी पौष्टिकता मिलती है जितनी फलों के सेवन से मिलती है। फलों के रस में फाइटोन्यूट्रिएंटस होते हैं जो सेहत के लिए अच्छे हैं और शरीर को तुरंत एनर्जी देते हैं। फलों का फाइबर पेट के लिए लाभप्रद होता है। फ्रूट जूस पीने से उसमें पाया जाने वाला नेचरल शुगर दिल को मजबूत बनाता है और शरीर से यूरिक एसिड और अन्य नुकसानदेह कैमिकल्स को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे शरीर एनर्जेटिक और फ्रेश रहता है।घर में बना ताजे फलों का रस स्वच्छ होता है और अधिक पौष्टिक भी। बाहर के जूस में स्वच्छता को लेकर मन में शंका रहती है। डिब्बाबंद जूस में हो सकता है स्वच्छता पर ध्यान दिया जाता हो और अच्छे फ्लेवर हेतु उसमें रंग और आर्टिफिशल चीनी का प्रयोग किया जाता है। डिब्बाबंद जूस में अधिक कैलरीज होती है जो वजन बढ़ाने में सहायक हैं पर एनर्जी लेवल भी उच्च स्तरीय होता है। वजन कम करने वालों को डिब्बाबंद जूस नहीं लेना चाहिए कभी कभी ताजे फलों का रस लिया जा सकता है। इनके लिए फल ही उत्तम माने जाते हैं। सब्जियों का ताजा जूस पी सकते हैं।पैक्ड या ताजे फलों के जूस छिलके हटा कर तैयार किए जाते हैं जिससे बहुत से पौष्टिक तत्व खत्म हो जाते हैं और रेशा तो बिल्कुल नहीं मिलता। कई फलों के छिलकों में काफी पौष्टिक तत्व होते हैं और उनमें कैंसर रोकने वाले तत्व भी होते हैं। मिक्सड फलों का रस चाहे ताजे फलों का हो या डिब्बा बंद, हार्ट प्राब्लम वाले रोगियों हेतु ठीक नहीं। एक शोध के मुताबिक फलों के रस का सेवन कुछ खास दवाओं के साथ लेने से दवाओं का प्रभाव आधा हो जता है। 400 मिली से अधिक जूस का सेवन एक दिन में न करें। दिन में अगर दो से तीन बार रोगी या कमजोर बच्चे को फलों के रस लेने हेतु डाक्टर ने बोला हो तो एक बार में एक फल का जूस लें दूसरी बार दूसरे फल का ताकि शरीर को विभिन्न पौष्टिक तत्व प्राप्त हो सकें। एक ही प्रकार के फल का जूस आपके शरीर में एक ही तरह के पौष्टिक तत्व बढ़ा सकते हैं जो नुकसानदेह है।फलों के रस में प्रोटीन, फैटस, मिनरल्स और विटामिंस की मात्रा अधिक नहीं होती पर शुगर की मात्रा बहुत अधिक। ज्यादा जूस पीने से शरीर में हाई कैलरीज चली जाती हैं जो मोटापा बढ़ाने में मदद करती हैं।  केवल जूस पीने से आप हैल्दी नहीं रह सकते हैं। हैल्दी रहने हेतु आपको पौष्टिक आहार भी नियमित लेना होगा।

(स्वास्थ्य दर्पण)