धार्मिक स्थल और उनसे जुड़ी निष्ठा-परक मान्यताएं

भारत एक विशाल देश है। यहां पर भगवान की आराधना खूब की जाती है। हर धार्मिक स्थल के साथ अलग अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं जिनके कारण लोग उन धार्मिक स्थलों पर जाकर अपनी मन्नत मानते हैं और पूर्ण होने पर पुन: वहां जाने का पूरा प्रयास करते हैं। आइए जानें, किन पूजा स्थलों पर कौन सी मान्यताएं पूर्ण होती हैं जिनमें लोगों का मन से विश्वास है :
मां वैष्णो देवी : मां वैष्णो देवी का दरबार काफी ऊंचाई पर है। माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु कठिन चढ़ाई करके मंदिर में आते हैं। मां सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं, सभी का इस बात पर पूरा विश्वास है। मां धैर्य देती हैं और सभी कठिनाइयों को पार करने की हिम्मत देती हैं। मां वैष्णो के दरबार में दर्शन हेतु भक्त सारा साल जाते रहते हैं। 
कालकाजी का मंदिर: कालकाजी का मंदिर दक्षिण दिल्ली में कालकाजी में स्थित है। यह मंदिर भी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। कालका माता मां दुर्गा का अवतार हैं। मां कालका से सच्चे मन से कुछ भी मांगने पर मनोकामना पूर्ण होती है। कालका देवी का मंदिर सफेद पत्थरों से बना है। नवरात्रों में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। नवरात्रों में इस मंदिर को लाइटों से सजाया जाता है और मां का श्रृंगार   किया जाता है।
माता करणी : माता करणी देवी का मंदिर बीकानेर राजस्थान में स्थित है। जिन लोगों की शादी नहीं हो रही होती, अगर वे माता करणी देवी के दर्शन के लिए जाते हैं और माता से अपने मन की बात कहते हैं तो माता उनकी इच्छा ज़रूर पूरी करती हैं। यहां पर भारत और अन्य देशों से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यहां की विशेषता यह है कि यहां पर कम से कम 20 हजार चूहे हैं जो किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। वैसे तो माता सबकी इच्छा पूरी करती हैं पर माना जाता है कि सफेद चूहे के दर्शन होने पर मुराद जल्दी और जरूर पूरी होती है।
कामाख्या देवी: कामाख्या देवी का मंदिर असम में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता है कि संतानहीन दम्पतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। संतानहीन दम्पति  इस मंदिर में मां की आराधना के लिए अगर मां के पांच दिवसीय उत्सव में जाएं तो मां उनकी इच्छा पूरी करती है। कामाख्या देवी का मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है। 
चिंतापूर्णी देवी : देवी चिंतापूर्णी का मंदिर हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर भी सती के शक्ति पीठों में से एक है। माता चिंतापूर्णी के दरबार में आप जो कुछ भी सच्चे मन से मांगते हैं, देवी उस इच्छा को पूरा करती हैं। चिंतापूर्णी देवी के मंदिर को छिन्नमस्ता भी कहा जाता है क्योंकि भगवान शिव जब सती के मृत शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे तो भगवान शिव को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र  से उनके मृत शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। उस समय उनका मस्तिष्क यहीं पर गिरा था। वैशाख माह में तीन दिन का मेला लगता है। श्रद्धालु दूर दूर से यहां आते हैं।
सिद्धिविनायक मंदिर: सिद्धिविनायक मंदिर मुम्बई और भोपाल से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिद्धिविनायक मंदिर गणपति जी का है जो सभी विघ्नों को दूर करते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।  उसी तरह भोपाल के सिद्धिविनायक मंदिर में परिक्र मा करते समय मंदिर की पिछली दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी इच्छा व्यक्त की जाती है। जब मनोकामना पूरी हो जाए तो पुन: वहां जाकर गणपति जी के दर्शन के बाद परिक्र मा कर स्वास्तिक सीधा बनाया जाता है।
तिरूपति बालाजी : तिरूपति बालाजी का मंदिर दुनिया के अमीर मंदिरों में से एक है। कृष्ण भगवान जी का एक नाम वैंकटेश्वर जी भी है। यहां पर आने वाले श्रद्धालु अगर दिल से कोई मुराद मांगें तो बालाजी उस मुराद को अवश्य पूर्ण करते हैं। मंदिर बहुत सुंदर है। इसकी बनावट देखने योग्य है। यह तिरूमला की पहाड़ियों पर लगभग 853 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सारा साल श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
मरघट वाले बाबा हनुमान मंदिर : यह मंदिर दिल्ली में कश्मीरी गेट पर स्थित है। यहां हनुमान जी की पूजा होती है और जिसे मरघट वाले बाबा के नाम से भी जाना जाता है। मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। यहां पर लोग अपने विवाह और संतान के लिए मन्नत मांगने आते हैं। बाबा सबकी मन्नत जल्दी पूरी करते हैं। 
गौरीनंदन गणेश मंदिर : यह मंदिर जबलपुर में स्थित है। गौरीनंदन गणेश मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामना की अर्जी यहां देते हैं।  मंदिर में स्थित रजिस्टर में फरियाद दर्ज कर दी जाती है। यहां पर श्रद्धालुओं का मानना है कि गणेश जी सबके जीवन में सुख समृद्धि की वर्षा करते हैं। गणेश जी का आभार प्रकट करने के लिए श्रद्धालुओं को नारियल और मोदक का प्रसाद चढ़ाना होता है। (उर्वशी)