अनदेखा न करें कूल्हे के दर्द को

हिप्स यानी कूल्हे में दर्द महिलाओं की आम परेशानी है। ज्यादातर महिलाएं डॉक्टर के पास तब जाती हैं जब दर्द के चलते घरेलू कामकाज करना भी मुश्किल हो जाता है वरना वे लंबे समय तक उससे जूझती रहती हैं। शरीर का यह हिस्सा होता तो मजबूत है मगर इसकी बनावट कुछ ऐसी है कि छोटी-छोटी चीजें इसके कामकाज में दिक्कत पैदा कर देती हैं और दर्द शुरू हो जाता है। अक्सर दर्द या तकलीफ देने वाला शरीर का यह हिस्सा आखिर है क्या। किन वजहों से हमें यहां परेशानियां होती हैं और उनके लिए हम क्या कर सकते हैं या हमें क्या करना चाहिए। लोग कूल्हे के दर्द को लापरवाही के चलते शुरूआत में अनदेखा कर देते हैं और धीरे-धीरे जब दर्द असहनीय हो जाता है तो डॉक्टर से परामर्श लेते हैं। लेकिन तब तक स्थिति काफी बहुत परेशानी वाली हो जाती है। कूल्हे से जुड़ी समस्याओं में सबसे प्रमुख एवास्कुलर निक्रोसिस(एवीएन) है। विशेषज्ञों ने माना कि दुनिया के दूसरे देशों के विपरीत हमारे देश में कूल्हे के जोड़ में दर्द का कारण एवीएन है। एवीएन में कूल्हों की हड्डियों को रक्त नहीं मिल पाता और लगातार रक्त की आपूर्ति न होने की वजह से कूल्हे की हड्डियां क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। समय रहते अगर सही तरीके से कूल्हों का इलाज हो जाए तो दुर्घटनाग्रस्त रोगी की जिंदगी आसान हो जाती है। दुर्घटना के बाद रिकवरी में अगर मरीज के सभी अंग ठीक तरीके से काम करें तो उसे सकारात्मक ऊर्जा का एहसास होता है और इससे उसकी रिकवरी और तेजी से होती है। दुर्घटना में अगर कूल्हे के जोड़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हों तो उसे रिप्लेस करने का सुझाव दिया जाता है। एवीएन के अलावा कूल्हों के क्षतिग्रस्त होने का कारण आर्थराइटिस भी हो सकता है। इसमें रूमेटाइट आर्थराइटिस (आरए) के मामले ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। आरए ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाने के बजाय खुद ही जोड़ों पर हमला करना शुरू कर देता है। असामान्य इम्यून की वजह से जोड़ों में सूजन आ जाती है जिससे जोड़ क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। असहनीय दर्द और हड्डियों की गंभीर स्थिति में डॉक्टर प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं।  भारत में कूल्हे की प्रत्यारोपण प्रक्रि या में डुअल मोबेल्टी हिप ज्वाइंट सिस्टम बेहद कारगर साबित हुआ है।  भारत में यह पहली तरह का हिप सिस्टम है जो हिप ज्वाइंट विकार से जूझ रहे रोगियों को दर्द से निजात दिलाता है, स्थिरता को बढ़ाता है और गतिशीलता की रेंज प्रदान करता है। पारंपरिक हिप रिप्लेसमैंट सिस्टम में स्थिरता की सीमाएं सीमित थीं लेकिन नए हिप प्रत्यारोपण सिस्टम में ये बंदिशें नहीं हैं।

(स्वास्थ्य दर्पण)