इन्सान को हैरान करता पक्षियों का अकल्पनीय कौशल

जिस जिब्राल्टर की खाड़ी के ऊपर के 14 किलोमीटर चौड़े आसमान से थर्मोविंड न होने के कारण हवाई जहाजों को पार करना बहुत मुश्किल होता है, उस खाड़ी को परिंदे बिना पंख फड़फड़ाये आसानी से पार कर लेते हैं। जी हां, सिर्फ  जिब्राल्टर की खाड़ी की ही बात नहीं है, तिब्बत के ऊपर से भी कभी हवाई जहाज नहीं उड़ते, लेकिन वही तिब्बत कई तरह के साहसी पक्षियों का घर है और वे उसके आसमान में अठखेलियां करते हैं। ये है पक्षियों की ताकत। 20वीं सदी के बहुचर्चित और विवादित दार्शनिक ओशो कहते थे, ‘पक्षियों का होना आकाश का जिंदा होना है।’ जी हां, अगर पक्षी न हों तो सचमुच आकाश डरावना लगे। दुनिया में कोई 9,500 किस्म के पक्षी हैं या कहें कि वैज्ञानिक इतनी प्रजाति के पक्षियों के संबंध में अभी तक जानकारी इकट्ठा कर पाये हैं। जाहिर है अभी भी हजारों पक्षी ऐसे होंगे, जिन पर हमारी यानी इंसान की नजर नहीं पड़ी। हालांकि हमने जिन पक्षियों का रिकॉर्ड बनाया है, उनमें से भी अब तमाम पक्षी लुप्त हो गये हैं।पक्षियों और इंसान का रिश्ता बहुत पुराना है। क्योंकि माना जाता है दुनिया में सबसे पहले जो कंकाल वाला जीव पैदा हुआ, वह एक पक्षी था और यह भी कहा जाता है कि इसी रीढ़ की हड्डी वाले पक्षी से इंसान बना है। इस बात पर अभी बहस है, लेकिन इस बात पर कोई बहस नहीं है कि दुनिया में पक्षी इंसान के साथ से या उससे भी पहले से रह रहे हैं। लेकिन जैसे जैसे इंसान ताकतवर होता गया है, वह दुनिया में पक्षियों के बने रहने के संबंध में तमाम बाधाएं खड़ी कर रहा है। हम हर गुजरते दिन के साथ पक्षियों के लिए जीना मुश्किल बना रहे हैं।हमने बड़े पैमाने पर जंगलों को काट दिया है, जिसके पेड़, पक्षियों के स्वभाविक आवास हुआ करते थे। यही नहीं हमने पेड़ों को काटकर दुनिया में वाहनों की रेलमपेल मचा दी है, जो पक्षियों के जानी दुश्मन हैं। हमारी फैक्टरियों का धुआं, हमारे हवाई जहाजों का शोर, हमारी विद्युत् लाइनों का पक्षियों की उड़ान में खड़ी की गई मुश्किलें, लंबे लंबे हाइवेज और ग्रीन हाउस गैसों का निरंतर उत्सर्जन। इंसान की ये वे हरकतें हैं, जो पक्षियों के लिए हर गुजरते दिन के साथ धरती में रहना मुश्किल बना रहे हैं। यह आकरण नहीं है कि पक्षियों की संख्या लगातार कम हो रही है। शायद हम पक्षियों के महत्व को समझ नहीं पा रहे। अगर पक्षी न होते तो शायद हम प्रकृति का वह सबसे खूबसूरत ज्यामितीय रूप जो आसमान में उड़ते पक्षियों के चलते बनता है, न देख पाते। अगर पक्षी न होते तो शायद हम आवाज की इतनी विविधता भरी दुनिया से परिचित न होते। अगर पक्षी न होते तो शायद हम गानों के इतने आयामों का सफ र पूरा न कर पाते। कोयल हमें गाना सिखाती है, मोर हमें मस्ती में नाचना सिखाता है, बया हमें अपनी अद्भुत कारीगरी से निर्माण की बारीकियां सिखाती है और न जाने कौन-कौन से पक्षी क्या क्या सिखाते हैं। लेकिन पक्षियों की तमाम जिंदगी भले आज इंसानों के कारण संकट में हो गई हो, लेकिन उनके तमाम कौशल आज भी इंसानों के लिए अकल्पनीय हैं। दशकों की माथापच्ची के बाद अब इंसान ने हालांकि बहुत तेज रफ्तार से चलने वाले रॉकेट विमानों का आविष्कार कर लिया है, लेकिन कई पक्षी सदियों पहले से ही तमाम विमानों से तेज उड़ने का कौशल रखते हैं। पेरेग्रीन फाल्कन एक ऐसा परिंदा है, जो 300 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ता है, वो भी बहुत सहजता के साथ। जिस तिब्बत के ऊपर से हवाई जहाज उड़ने में परहेज करते हैं, क्योंकि इसके लिए उन्हें औसतन 10,000 मीटर के ऊपर उड़ना पड़ेगा, उसी तिब्बत के ऊपर और समुद्रतल से करीब 11,274 मीटर की ऊंचाई पर भारतीय गिद्ध गरूड़ और तिब्बती हंस आराम से उड़ते हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पक्षी कितने ताकतवर हैं। रात के स्याह अंधेरे में भी उल्लू और चमगादड़ जैसे पक्षी एक सेंटीमीटर की एक्यूरेसी के साथ पूरी ताकत से उड़ते हैं। जबकि बाज पक्षी एक मील की ऊंचाई से दो सेंटीमीटर की चीज को भी पूरी स्पष्टता से देख लेता है। बाज की पैनी नजर एक मील से भी काफी दूर से चूहे की मौजूदगी को देख लेती है और उस पर तीर की मार्फिक इस अंदाज में हमला करता है कि चूहा बहुत कोशिशों के बाद भी नहीं बच पाता। बहुत सारे पक्षी न सिर्फ  थलचर और जलचर बल्कि थोड़ा नभचर भी होते हैं यानी वे एक साथ जमीन में रह लेते हैं, पानी में तैर लेते हैं और थोड़ा उड़ भी लेते हैं। बगुला, बत्तख और जलमुर्गी ऐसे ही पक्षी हैं।कंप्यूटर ने अब तक लाखों नहीं करोड़ों रंग कम्बीनेशन विकसित कर लिये हैं, लेकिन आज भी वह मोर पंखों की समूची रंग संघनता को उसकी जीवंतता के साथ कापी नहीं कर पाया। लेकिन सिर्फ  मोर ही नहीं दुनिया में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे पक्षी होते हैं, जो अपनी खूबसूरती से स्तब्ध कर देते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हरियल नाम का एक ऐसा पक्षी होता है, जो कभी भूलकर भी जमीन में पैर नहीं रखता। जबकि टिटहरी एक ऐसा पक्षी है जो जमीन में ही रहता है। बिटर्न पक्षी जो आमतौर पर दक्षिण अमरीका में पाये जाते हैं, जब बोलते है, तो लगता है शेर दहाड़ रहा है। जिन जंगलों में वो रहते हैं, वहां के दूसरे जानवरों को अकसर भ्रम हो जाता है कि शेर दहाड़ रहा है या कोई और। पक्षियों के कौशल को कहां तक गिनवाया जाए। कहते हैं रूस में एक जमाने में सहदुल या उकात नाम का एक ऐसा पक्षी हुआ करता था, जो अपने पंजे में हाथी को भी दबाकर उड़ जाता था। कुछ लोगों के मुताबिक अभी भी एक दो ऐसे विलुप्तप्राय पक्षी साइबेरिया के जंगलों में मौजूद हैं जो भेड़ों और जंगली भैसों तक को पंजे में दबाकर उड़ जाते हैं। दुनिया में पक्षियों की विविधता और अकल्पनीयता इंसान को हमेशा हैरान करती रही है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर