घर सजाएं चारपाई ले आएं 

चारपाई का मतलब है ‘चार पायो वाली’। लकड़ी के फ्रेम में रस्सी से बुना गया यह एक ऐसा बेड है जिसका परंपरागत रूप से हमारे घरों में इस्तेमाल होता है। इसे खाट या पंजाबी में मंजी भी कहा जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह सोने और बैठने के लिए इस्तेमाल होती है। नारियल, कॉटन या खजूर के पत्तों जैसी प्राकृतिक चीजों से बनी चारपाई को बुनना भी आसान होता है। हालांकि अब इसे बुनने के लिए अलग-अलग तरह के फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है। कहते हैं इब्नबतूता जब भारत की यात्रा पर आया तो उसने चारपाई के बारे में लिखा था, ‘भारतीय घरों में सोने के बिस्तर बहुत हल्के होते हैं जिन्हें कोई भी आराम से उठाकर इधर-उधर रख सकता है। इस पर सोने के लिए आपको कुछ बिछाने की भी जरूरत नहीं होती क्योंकि यह बहुत आरामदायक होती है।’
एक जमाना था जब भारत में चारपाई का इस्तेमाल हर घर में होता था। हालांकि गांव, कस्बों और छोटे शहरों में छोटे-बड़े घरों में आज भी चारपाई का खूब इस्तेमाल होता है। बड़े घरों में कई चारपाईयां होती हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर बिछा दिया जाता है और अगर जरूरी न हो तो घर के किसी कोने में इन्हें खड़ा कर दिया जाता है। घर के बरामदे, बालकनी या ज्यादा लोगों के बैठने के लिए इनका खूब इस्तेमाल होता है। कई तरह से इस्तेमाल में आने वाली लकड़ी की यह चारपाई आज भी गांवों में हर घर में दिखायी देती है। जैसे-जैसे घरों के आकार छोटे होते गये, इन चारपाईयों की जगह घरों में स्टोरेज बेड का इस्तेमाल किया जाने लगा। एक लंबे समय तक यह चारपाई उपेक्षा का शिकार रही और लोगों ने धीरे धीरे इसे पूरी तरह बिसरा दिया। लेकिन अब शहरों में, घर में चारपाई की दोबारा से वापसी हुई है। घर के आंगन, टेरेस गार्डन में यह नये अवतार में फिर से दिखाई देने लगी है। शादियों में भी अब इनका जमकर इस्तेमाल होने लगा है और लोग इन पर आराम से बैठकर खाने का मजा लेते हैं। धीरे-धीरे यह चारपाई अब ग्लोबल हो गई है; क्योंकि पुरानी चारपाई में थोड़ा बदलाव करके इसे ग्लोबल लुक देकर अलग-अलग रंगों से सजाया जा रहा है।  -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर