बच्चों में ऐसे विकसित होती है समझदारी

बच्चे की समझदारी का मतलब होता है-उसका ज्ञान, काम करने का तरीका, बुद्धि और स्मरणशक्ति। किसी बच्चे में ये तमाम कारक इस बात पर निर्भर करते हैं कि वह सामाजिक और बाहरी वातावरण से किस प्रकार प्रभावित होता है और इन प्रभावों से मिलने वाले संकेतों को किस प्रकार ग्रहण करता है। अनेक प्रकार की समझदारी जांच होती हैं जैसे स्टेनफोर्ट - कार्डनेट, वेकशलर। जिससे यह पता चलता है कि बच्चे ने कितने गुण विकसित कर लिए हैं जैसे बोलने का गुण, कला बनाने का गुण, गिनती बोलना और बिना बोले अपनी बात समझाना आदि। इन सभी जांच केंद्रों का विकास एक सामान्य समझदारी को ध्यान में रखकर होता है। एक चित्र लेने वाला, बुद्धि की उम्र को जान लेता है। बुद्धि की उम्र और वास्तविक उम्र में तुलना की जाती है और फिर समझदारी कितनी है, बतायी जाती है। कुछ विशेषज्ञ ही यह जांच कर पाते हैं। कुछ बच्चे सहयोग नहीं करते या अच्छी तरह कार्य नहीं करते जिसका कारण परेशानी हो सकती है। यदि बच्चा विद्यालय में उत्तीर्ण नहीं हो रहा है तो यह जांच उसकी समझदारी को निर्धारित करता है।  बहुत-सी वस्तुएं समान रूप से महत्त्वपूर्ण होती हैं जैसे अच्छा और संतुलित दिखने वाला शरीर, उसका आत्मविश्वास, भेदभाव वाला ज्ञान, आसानी से वस्तुओं के गुण को ग्रहण करना आदि। जिसे हम सामाजिक, भावपूर्ण और आत्मविश्वास भी कहते हैं। मुझे इस बात का विश्वास है कि निकट भविष्य में धर्म के आधार पर मानसिक संतुष्टि, उसके दिल का साफ होना आदि बातें व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए आवश्यक होंगी। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर