सीता जी की नारी महत्ता

पौराणिक युग की महान नारी सीता का नाम आज भी आदर और सम्मान से लिया जाता है। सीता के त्याग, महानता, पतिव्रता धर्म, प्रेम के बारे में न जाने कितने ग्रंथ लिखे जा चुके हैं लेकिन सीता को सर्वश्रेष्ठ और उत्तम श्रद्धा सुमन अर्पण करने वाले न उनके समकालीन वाल्मीकि जी हैं, न ही तुलसीदास और न ही रामकथा का रचयिता कोई और।सीता जी को सही मायनों में सच्चे श्रद्धा सुमन ज्ञानी-संन्यासी विवेकानंद ने अर्पित किए हैं। स्वामी विवेकानंद ने बड़े ही मार्मिक और सारगर्भित शब्दों में सीता जी के बारे में निम्न लिखित विचार प्रकट किए हैं :आप संसार में अब तक रचा गया साहित्य खोजकर पढ़ लें और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भविष्य में रचे जाने वाले साहित्य को भी ध्यान में रख लें। आपको दूसरी सीता जी नहीं मिलेगी। सीता जी एक ही हैंऔर एक ही रहेंगी। सीता भारतीय नारी का प्रतीक रूप है। भारतीय नारी के सारे आदर्श सीता जी के जीवन से ही निकले हैं। सीता जी हज़ारों वर्षों से भक्तों के दिल में विराजमान हैं और हमेशा रहेंगी।

-आर. के. भारद्वाज (युवराज)