बिजली दरों में वृद्धि की आशंका

पंजाब पावरकॉम के प्रस्ताव पर पंजाब राज्य बिजली नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली की दरों में आगामी वित्त वर्ष से वृद्धि करने का फैसला किया है। इस के दृष्टिगत सार्वजनिक धरातल पर जन-वार्ता हेतु बाकायदा शैड्यूल भी जारी कर दिया गया है। यह सुनवाई अगले महीने 2 से 11 फरवरी के बीच होगी, जिसके बाद बिजली की नई दरों का निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस विमर्श प्रक्रिया में प्रदेश के सभी ज़िलों को शामिल करने के अन्तर्गत भिन्न-भिन्न शहरों में वार्ताएं आयोजित होंगी। सबसे पहले यह विमर्श अमृतसर में होने की सम्भावना है। इसी के आधार पर पंजाब में बिजली की नई उपभोक्ता एवं व्यवसायिक दरों का फैसला किया जाएगा। व्यवसायिक विद्युत के धरातल पर औद्योगिक एवं व्यापारिक फर्मों को उपलब्ध होने वाली बिजली की दरें प्रभावित होती हैं जबकि उपभोक्ता बिजली के अन्तर्गत घरेलू बिजली को शुमार किया जाता रहा है। पावरकाम के प्रस्ताव के अनुसार प्रदेश में सभी प्रकार की विद्युत दरों पर पुनर्विचार किया जाना है।पावरकाम की ओर से यह मांग हाल ही में पुन: की गई है। इससे पूर्व पिछले वर्ष दिसम्बर में बिजली की दरों में वृद्धि करने का फैसला लगभग कर लिया गया था किन्तु पंजाब प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की सिफारिश पर यह फैसला फिलहाल टाल दिया गया था। इसके अनुसार नव वर्ष में इन दरों में वृद्धि होना लाज़िमी समझा जा रहा था, जिसके अनुसार नव वर्ष में आमजन पर पहला बड़ा बोझ पड़ेगा, परन्तु अब एक बार फिर यह फैसला प्रक्रिया के अन्तर्गत टल गया है। तथापि, नये वित्तीय वर्ष में यह बोझ जन-साधारण पर पड़ना लाज़िमी समझा जा रहा है। इसी के अनुरूप फरवरी मास से जन-धरातल पर विचार-विमर्श और सुझाव प्रक्रियाएं जारी होने की घोषणा भी कर दी गई है। इसके अन्तर्गत आयोग के पास एक याचिका भी दायर की गई जिसमें स्पष्ट रूप में पावरकॉम के खर्चों को पूरा करने और विगत से चले आ रहे घाटे को पूरा करने के लिए दरों में वृद्धि को अपरिहार्य करार दिया गया था। यह वृद्धि कुल 8 प्रतिशत तक अर्थात 35 पैसे प्रति यूनिट  करने की भी मांग की गई है। पावरकॉम ने इसके ज़रिये 3000 करोड़ रुपये के घाटे को पूरा करने का दावा किया है।पंजाब में बिजली दरों में वृद्धि किये जाने का यह मामला कोई नया नहीं है। इससे पूर्व भी समय-समय पर प्रदेश में बिजली की दरों में वृद्धि होती रही है, अथवा कई बार चुपचाप कर दी जाती रही है। समय-समय पर अतिरिक्त शुल्क लगाये जाने से भी पंजाब में बिजली की दरें बढ़ती रही हैं। लिहाज़ा आज स्थिति यह है कि पंजाब में बिजली अन्य पड़ोसी राज्यों की अपेक्षा काफी महंगी है। इसका प्रभाव एक तरफ जहां समाज में प्रत्येक धरातल पर मूल्य-वृद्धि से पड़ता है, वहीं व्यवसायिक एवं औद्योगिक गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं। बिजली दरों में वृद्धि होने से कच्चे माल के दाम बढ़ते हैं जिस कारण औद्योगिक उत्पादन को लेकर प्रदेश पड़ोसी राज्यों से पिछड़ने लगता है। यही स्थिति व्यवसायिक धरातल पर भी देखने को मिलती है। इस प्रस्तावित वृद्धि का प्रदेश के अन्य सभी क्षेत्रों में भी विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है जिससे समाज में सभी प्रकार की वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे। पंजाब पहले ही व्यापारिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में कमी एवं पिछड़ जाने के संकट से जूझ रहा है। यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर भारत के अन्य सभी राज्यों के मुकाबले पंजाब में बिजली की दरें काफी अधिक वसूल की जा रही हैं, और इस प्रस्तावित वृद्धि से स्थितियों के और गम्भीर हो जाने की सम्भावना है।प्रदेश में प्राय: प्रत्येक वर्ष बिजली की दरों में वृद्धि होने की तलवार जन-साधारण के सिर पर लटकने का ़खतरा बना रहता है। इससे पूर्व पिछले वर्ष भी जनवरी महीने में प्रदेश के लोगों पर बिजली दरों में वृद्धि के ज़रिये 1490 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ डाला गया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों से पूर्व पंजाब के मुख्यमंत्री बने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने वायदा किया था कि सत्ता में आने के बाद एक महीने के भीतर घरेलू बिजली को सस्ता करेंगे परन्तु हो यह रहा है कि प्रत्येक वर्ष प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ जाती हैं।हम समझते हैं कि प्रदेश के औद्योगिक एवं व्यवसायिक धरातल पर उत्पादन को बढ़ाने और प्रदेश के विकास को अन्य पड़ोसी प्रदेशों के सम-तुल्य बनाये रखना बहुत ज़रूरी है खास तौर पर पड़ोसी राज्यों की दरों की तुलना में समानता होनी चाहिए। प्रदेश में बिजली की दरों में वृद्धि का एक बड़ा कारण सरकार द्वारा निजी ताप घरों के साथ किये गये त्रुटिपूर्ण समझौते भी हैं। इन समझौतों पर पुनर्विचार किये जाने की बड़ी आवश्यकता है, और इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु राजनीतिक इच्छा-शक्ति ज़रूरी है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु प्रदेश में सौर-ऊर्जा पर निर्भरता के समझौतों पर पुनर्विचार भी उतना ही अहम होगा। इससे प्रदेश में प्रदूषण की समस्या को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। हम समझते हैं कि बेशक इस प्रस्तावित वृद्धि  हेतु जन-सुझाव मांगे गये हैं, परन्तु यह सम्पूर्ण प्रक्रिया मात्र औपचारिकता है क्योंकि जिस प्रकार के घाटे एवं बढ़े खर्चों का ज़िक्र पावरकॉम ने किया है, उसके दृष्टिगत इस वृद्धि का होना लाज़िमी माना जा रहा है। तथापि, पावरकॉम की गतिविधियों को नियंत्रित एवं गतिशील बनाये जाने से, इस वृद्धि को टाला भी जा सकता है। पावरकॉम जितनी शीघ्र यह काम करेगा, उतना ही अधिक प्रदेश के लोगों को राहत मिल सकती है।