खुशी को अपनाएं, तनाव को दूर भगाएं

आधुनिक माहौल में रहते हुए लोग टेंस ज्यादा हैं और खुश कम क्योंकि सभी परफेक्शनिस्ट बनना चाहते हैं और दौड़ में अव्वल आना चाहते हैं। इस दौड़ में हम भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं। बस अपनी उपयोगिता साबित करने में हम दौड़े चले जाते हैं। जहां हम जरा सा पीछे रहे तो बस समझते हैं कि यह जीवन का अंत है। निराशा को अपने साथ बांध लेते हैं और खुशी को जीवन से विदा कर देते हैं। यह नहीं समझ पाते कि टेंशन लेने से कुछ नहीं बनता। टेंशन बस हमें कमजोर बनाती है। अगर इसे समझ लें तो हम खुशी से हाय कर सकते हैं और टेंशन को बाय। अक्सर लोग आफिस और फैमिली लाइफ में टेंशन के रहते संतुलन नहीं बना पाते। ऐसे लोग बीच में ही झूलते रह जाते हैं। न उन्हें घर में सुकून मिलता है न आफिस में। हर समय उनका साथी बन उनका पीछा करता रहता है। तनाव उन्हें चिड़चिड़ा और गंभीर बना देता है। ऐसे लोग चाहते हुए भी हंसी खुशी भरा जीवन नहीं जी पाते। ऐसे लोगों को समय समय पर अपने मन को टटोलना चाहिए कि मन क्या चाहता है? जो मन चाहता है ब़ुिद्ध से सोचकर उनको पाने का प्रयत्न करना चाहिए। कहीं न कहीं समस्या का हल आप ढूंढ लेंगे और कुछ तनाव कम हो जाएंगे। आइए देखें किन बातों पर हम ध्यान देकर खुशी से हाथ मिला सकते हैं।
न करें कल की चिंता : कल क्या होना है, किसी को पता नहीं। फिर चिंता का क्या लाभ। जो बीत गया, उसे आप रिवर्स नहीं कर सकते। उससे सीख लेकर अपना आज संवार सकते हैं। कल का सोच सोच कर जिस पर हमारा बस नहीं, गम को ही बस गले लगा सकते हैं। फिर क्या लाभ? हमें चाहिए हम अपने आज को बेहतर बनाएं और गम की पोटली को अपने से दूर रखें।
रहें रिलैक्स : कभी कभी ऐसा अवसर आता है जब काम का प्रेशर बहुत अधिक होता है और आप उसे झेल नहीं सकते। ऐसे में स्वयं को समझाएं कि ‘बस अब और नहीं, बहुत हो गया।’ थोड़ी देर के लिए आंखें बंद कर आराम करें और अपना पसंदीदा म्यूजिक सुनें। अगर आप दफ्तर में हैं तो 1० मिनट का समय निकालकर रिलैक्स करने से आप ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे।
मन की भी सफाई करें: जिस प्रकार हम प्रतिदिन नहाते हैं,  शरीर की सफाई हेतु और दांतों की सफाई हेतु पेस्ट ब्रश करते हैं उसी प्रकार मन की सफाई हेतु प्रतिदिन मेडिटेशन करें। मेडिटेशन को अपने रूटीन का हिस्सा बनाएं क्योंकि हमारा मन हमें मानसिक रोगी बनाता है क्योंकि मन में तरह तरह के विचार, शब्द, भावनाएं उभरती रहती हैं। ऐसे में उसे आराम देना अति आवश्यक है और मेडिटेशन द्वारा विचारों को शांत करें ताकि मन के विकार दूर हों।
जैसी हूं , ठीक हूं : संसार में सभी इंसान अलग अलग स्वभाव के हैं। किसी का स्वभाव दूसरे से पूरी तरह नहीं मिलता क्योंकि इस जहान में कोई परफेक्ट नहीं है। इसलिए स्वयं की तुलना दूसरों से न करें। हां,  किसी को अपना आदर्श मान सकते हैं पर अपनी परिस्थितियों, अपने स्वभाव को सेंटर मानते हुए आगे बढें।
दोस्त बनाएं : दफ्तर में दोस्त बनाएं। कभी कभी उनके साथ डिनर, पिक्चर का प्रोग्राम बनाएं या आस पास घूमने का ताकि आप उतने समय तक तनावमुक्त रह सकें। 
मदद करें : किसी क्लब या एन जी ओ के सदस्य बनकर आप जरूरतमंदों की मदद कर सकते हैं। दूसरों की मदद करने से मन को शांति और संतुष्टि मिलती है।

(स्वास्थ्य दर्पण)