ओली रोबिन्सन प्रदर्शन पर भारी पड़े नस्लवादी ट्वीट्स

2 जून, 2021 को इंग्लैंड बनाम न्यूज़ीलैंड के बीच दो टैस्ट मैचों की शृंखला का पहला टैस्ट लॉर्ड्स में शुरू हुआ। मैच से पहले दोनों टीमों ने ‘मोमेंट ऑफ  यूनिटी’ (एकता का पल) में भाग लिया, जिसमें सभी खिलाड़ियों ने खेलों से हर प्रकार की असहिष्णुता-नस्लीय व धार्मिक पर विराम लगाने की मुहिम से एकजुटता दिखाते हुए टी-शर्ट्स पहनी। इन खिलाड़ियों में इंग्लैंड के लिए अपना पहला टैस्ट मैच खेल रहे तेज़ गेंदबाज ओली रोबिन्सन भी थे। 27 वर्षीय रोबिंसन ने अपने पहले ही स्पेन में सबको अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया, टॉम लाथम व रोस टेलर जैसे स्थापित बल्लेबाजों को आउट करके। रोबिंसन का पहला ही मैच सुनहरे सपने की तरह आगे बढ़ रहा था कि दोपहर तक वह उनके क्रिकेट करियर का सबसे खराब दिन साबित हो गया। रोबिन्सन के नौ साल पुराने कुछ ट्वीट्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर गर्दिश करने लगे, जिससे ज़बरदस्त विवाद व हंगामा हो गया। हालांकि रोबिन्सन ने अपने ट्वीट्स के लिए बिना शर्त माफी मांगी और स्वीकार किया कि वह उन्हें लेकर बहुत शर्मिंदा हैं, लेकिन ‘एकता का पल’ और ऐसे ट्वीट्स के विरोधाभास ने बात को दबने नहीं दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने रोबिन्सन को हर प्रकार की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सस्पेंड कर दिया गया है और इस संदर्भ में आगे कोई फैसला अनुशासनात्मक जांच के निर्णय के आधार पर ही किया जायेगा, जबकि उन्होंने अपने पहले ही टैस्ट में दोनों पारियों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 101 रन देकर 7 विकेट लिए और बल्ले से भी पहली पारी में महत्वपूर्ण 42 रन बनाये, जब इंग्लैंड की पारी लड़खड़ा गयी थी। इंग्लैंड के कप्तान जो रूट का कहना है कि रोबिन्सन का अपने पहले मैच में प्रदर्शन शानदार रहा, लेकिन उनकी ऐतिहासिक गलती को स्वीकार नहीं किया जा सकता।गौरतलब है कि अपने माफीनामा में रोबिन्सन ने कहा, ‘अपने अब तक के करियर के सबसे बड़े दिन, मैं उन ट्वीट्स को लेकर बहुत शर्मिंदा हूं, जो मैंने लगभग आठ वर्ष पूर्व पोस्ट किये थे और जो अब सार्वजनिक हो गये हैं। मैं अपनी हरकत के लिए खेद प्रकट करता हूं और इस प्रकार की टिप्पणी करने के लिए मैं शर्मिंदा हूं।’यह स्पष्ट नहीं है कि सोशल मीडिया पर इन स्क्रीनशॉटस को किसने वायरल किया। रोबिन्सन का ट्वीटर हैंडल वर्तमान में सस्पेंड कर रखा है। यह संभव है कि किसी ने इन पुराने ट्वीट्स को सेव करके रखा हुआ था और जिस दिन रोबिंसन ने अपना डेब्यू किया, उसने तभी इन्हें वायरल कर दिया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उक्त ट्वीटस आपत्तिजनक है। एक खिलाड़ी जो समाज के लिए रोल मॉडल होता है, उसे किसी भी स्थिति में नस्ल, लिंग, रंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव करने वाली गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए और न ही अपने एक्शन व बयानों से इन हरकतों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसलिए ईसीबी को रोबिंसन के विरुद्ध कड़ा कदम तो उठाना ही था। इस मामले में अब विस्तृत जांच की जायेगी। लेकिन ईसीबी को भी कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए कि उसने रोबिन्सन की पृष्ठभूमि को चैक किये बिना उसे इंग्लैंड की टीम में शामिल कर दिया, जिससे इंग्लैंड का जबरदस्त अपमान हुआ। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल वॉन ने ईसीबी को आड़े हाथों लेते हुए कहा है, ‘यकीनन चंद सप्ताह पहले इंग्लैंड को मालूम होगा कि रोबिन्सन को खिलाने पर विचार किया जा रहा है। आपको हर चीज़ को देखना चाहिए। आजकल ट्वीटर पर, सोशल मीडिया पर सब कुछ है, सबके देखने के लिए उसने जो ट्वीट किया, वह 2012 में किया था। हां, वह उस समय 18 साल का था, लेकिन मुझे यह बात अजीब लगती है कि ईसीबी के पास हर चीज़ है, संसाधन हैं, लेकिन उसके बावजूद वह सब कुछ सुनिश्चित किये बिना एक खिलाड़ी का चयन कर लेते हैं।’ अब ईसीबी के सीईओ टॉम हैरिसन कहते हैं कि आगे से हर खिलाड़ी की पूर्ण जानकारी हासिल करने के बाद ही उसके चयन पर विचार किया जायेगा। रोबिन्सन ने यह गलती उस समय की, जब वह 18 साल के थे। इसलिए रोबिन्सन को इतनी कड़ी सज़ा नहीं देनी चाहिए।  एक 18 साल का लड़का अच्छे-बुरे में अंतर कर सकता है। इसलिए उसकी गलती माफी के लायक नहीं होती। उसे कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए ताकि अन्य लड़के वैसी गलती करने से बचें।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर