क्रिकेट के मक्का में  कैसे लॉर्ड्स बने भारतीय...!

क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में जब पांचवें दिन का खेल आरंभ हुआ तो इंग्लैंड भारत के सभी प्रमुख बल्लेबाजों को आउट कर चुका था, सिर्फ  गेंदबाजों के साथ ऋषभ पंत को पैवेलियन भेजना शेष था। इंग्लैंड की योजना यह थी कि पंत को जल्द आऊट कर लिया जाये तो पिच्छलग्गू बल्लेबाजों को सस्ते में निपटा लिया जायेगा, लीड 200 रन से भी कम रहेगी जिसे आसानी से बनाकर पांच मैचों की शृंखला में बढ़त बना ली जायेगी। पहला टैस्ट ड्रा रहा था। इंग्लैंड जो चाहता था वही हुआ, पंत ने ओली रोबिन्सन की गेंद को निक किया, जिसे विकेटकीपर जोस बटलर ने पकड़ लिया। पंत 22 रन बनाकर सातवें बल्लेबाज के रूप में आऊट हो गये। उस समय भारत की बढ़त मात्र 167 रन की थी और बल्लेबाजी के लिए सिर्फ  ईशांत शर्मा, मुहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह व मुहम्मद सिराज बचे थे। इसलिए पैवेलियन में बैठे कप्तान विराट कोहली के चेहरे पर उदासी आना स्वाभाविक था। अपने व्यक्तिगत 16 रन बनाने के लिए ईशांत कुछ समय तक क्रीज़ पर टिके रहे। वह जब आउट हुए तो भारत की बढ़त मात्र 182 रन थी। उस समय शमी का साथ निभाने के लिए बुमराह विकेट पर आये। भारतीय खिलाड़ियों को लगा कि अब जल्द ही उनकी पारी सिमट जायेगी, इसलिए वह सफेद कपड़े पहनने में व्यस्त हो गये। लेकिन कोहली अपनी जगह बैठे रहे, जैसे उन्हें किसी चमत्कार की उम्मीद हो। ..और चमत्कार हुआ, जिसमें इंग्लैंड की ‘बदले की भावना’ का भी योगदान रहा। इंग्लैंड की पहली पारी में जब जिम्मी एंड्रसन बल्लेबाजी के लिए आये थे तो बुमराह ने उनका स्वागत बाउंसरों से किया था, जिनमें से कई गेंद एंड्रसन की हेल्मेट व शरीर पर लगी थीं। इंग्लैंड के गेंदबाज इसी का बदला लेना चाह रहे थे, इसलिए वह आऊट करने की बजाय गेंद को शरीर पर मारने की अधिक कोशिश कर रहे थे। कुछ छींटाकशी भी हुई। इसी प्रयास में उनका फोकस भटक गया। शमी व बुमराह ने अनेक गेंदों को अपने शरीर पर झेला, लेकिन इससे उनका इरादा भी पक्का हुआ और वह मुकाबले में डटे रहे। शमी व बुमराह ने शुरू में तो उलटे-सीधे शॉट्स मारे, लेकिन फिर वह गेंद की लाइन में आने पर फोकस करने लगे और उन्होंने आक्रमक शॉट्स तभी खेले, जब उन्हें लगा कि गेंद उनके पाले में है। शमी व बुमराह की मजबूत होती साझेदारी से फील्ड खुलने लगा और एक व दो रन लेना आसान होने लगा।
मैच में शमी अपने करियर का दूसरा अर्द्धशतक पूरा करने के लिए। शमी ने इससे पहले इंग्लैंड के विरुद्ध ही 11वें नंबर पर खेलते हुए नाटिंघम (2014) में 51 नाबाद बनाये थे। शमी (56 नाबाद) व बुमराह (34 नाबाद) ने 9वें विकेट के लिए 89 रन जोड़े, जोकि इस पोजीशन के लिए लॉर्ड्स में रिकॉर्ड है। इनसे पहले कपिल देव व मदन लाल ने 1982 में 9वें विकेट के लिए 66 रन की साझेदारी की थी। इस शानदार साझेदारी से शमी व बुमराह ने न सिर्फ  भारत को संकट से उभारा, बल्कि मैच को उस मकाम पर ले गये, जहां सिर्फ  दो नतीजे संभव थे। भारत की जीत या ड्रा, क्योंकि 60 ओवर में इंग्लैंड द्वारा 272 रन का लक्ष्य हासिल करना मुमकिन न था। नई गेंद हाथ में आते ही शमी व बुमराह ने अपने पहले-पहले ओवरों में ही सफलता अर्जित करके इंग्लैंड को संघर्ष की स्थिति में पहुंचा दिया। अब उसके लिए 60 ओवर खेलकर मैच को ड्रा कराना भी मुश्किल लग रहा था। यह पहला अवसर था, जब इंग्लैंड के दोनों सलामी बल्लेबाज भारत के विरुद्ध अपनी ही धरती पर शून्य पर आऊट हुए। इसके बाद ईशांत शर्मा ने जल्दी-जल्दी दो बल्लेबाज़ों को पैवेलियन वापस भेज दिया। इसी के साथ ईशांत पहले ऐसे भारतीय गेंदबाज बने, जिन्होंने इंग्लैंड में 50 या उससे अधिक विकेट लिए हों। यह कारनामा उन्होंने अपने 14वें टैस्ट में किया। ऐसा करने वाले वह वसीम अकरम के बाद दूसरे एशियाई गेंदबाज हैं। बहरहाल, चाय के बाद जब बुमराह ने इंग्लैंड की एकमात्र उम्मीद जो रूट को भी आऊट कर दिया तो मैच पूरी तरह से भारत की पकड़ में आ गया, क्योंकि उस समय 67 रन पर इंग्लैंड के पांच खिलाड़ी आऊट हो गये थे। लेकिन बटलर व मोइन की जोड़ी धीरे-धीरे ओवर निकालने लगी। ओवर घटते जा रहे थे और बटलर व मोइन आऊट होने का नाम नहीं ले रहे थे। तभी पहली पारी में चार विकेट लेने वाले सिराज ने अपना कमाल दिखाया। उन्होंने लगातार दो गेंदों में मोइन व सैम करन को चलता किया। करन ने लॉर्ड्स में गोल्डन डक बनाया, वह पहली पारी में भी पहली ही गेंद पर आऊट हो गये थे। इन दो झटकों के बाद भी इंग्लैंड ने बटलर व रोबिन्सन के ज़रिये मैच बचाने हेतु अपना संघर्ष जारी रखा। अब मात्र 9 ओवर शेष रह गये थे, मैच ड्रा की ओर बढ़ने लगा था। ऐसे में बुमराह ने जादुई स्लो बॉल से रोबिनसन को पगबाधा आऊट किया। मैच फिर खुल गया, सिराज ने एक ओवर में फिर दो विकेट लिए और भारत ने लॉर्ड्स में 151 रन से शानदार, संघर्षमय व ऐतिहासिक जीत दर्ज की।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर