सुरक्षा और पवित्रता का त्योहार भैया दूज

हर वर्ष दीवाली से ठीक दो दिन बाद मनाया जाने वाला त्योहार भैया दूज जिसको ‘यम दूज’ भी कहा जाता है, जोकि भाई बहन-भैया के प्रेम और पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन एक बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर उसकी खुशहाली और लम्बी उम्र की कामना करती है। शुरुआत से ही भाई-बहन का रिश्ता पवित्र और अन्य रिश्तों से ऊपर और मज़बूत रहा है। साथ ही यह एक मज़बूत कड़ी के तौर पर भी जाना जाता है। एक बहन को अपने भाई पर भगवान की तरह गर्व, सुरक्षा और भाई के महत्व का बाखूबी एहसास भी होता है। हमारे समाज में इस त्योहार से सबंधित कई धार्मिक  सामाजिक दंत-कथाएं प्रचलित हैं। 
कुछ दशक पहले जब यातायात के साधन उपलब्ध नहीं थे तो उस समय एक बहन अपने भाई को डाक के लिफाफे में चीनी के दाने, चावल, सिंदूर या केसर और शुभकामनाएं लिखकर भेजती थी। उसी प्रकार भैया दूज के दिन फिर भाई उसी सिंदूर या केसर को माथे पर लगाकर, मुंह मीठा कर अपनी बहन के प्रति प्यार और आशीर्वाद का प्रकटावा करता था। लेकिन समय में बदलाव आने से अब तो बहनें स्वयं आकर यह सब करती हैं। 
पुराने समय में इस दिन भाई बहन से माथे पर टिका लगाकर उसी के हाथों से बने खाने को शुभ शगुन माना जाता है। कई बहनें इस दिन यम पूजा करती हैं अपने भाई की लम्बी उम्र और सुख शांति के लिए उपवास आदि भी करती हैं। भाई भी उपहार के तौर पर नकदी या तोहफा देता है। वहीं दूसरी ओर अगर बहन स्वयं भाई के घर जाकर भैया दूज का त्योहार मनाती है तो उसे शुभ माना जाता है। 
आज की भाग-दौड़ ज़िन्दगी में जहां जल्दी से सामाजिक ताने-बाने के चलते रिश्तों के महत्व और मूल्य में कमी आ रही है और यह चिंता का विषय बनता जा रहा है, वहीं सबसे संतोषजनक बात यह है कि ऐसे भैया दूज जैसे त्योहार और भाई-बहन का रिश्ता लोकप्रिय बनाने में सार्थक सिद्ध हो रहा है। आज हमें आवश्यकता है कि सभी भाई-बहन ऐसे पवित्र रिश्ते और त्योहार मनाते  समय पश्चिमी सभ्यता, फज़ूलखर्ची और दिखावे से अपने आप को दूर रखें और हम आपसी साझ को, पवित्रता, सुरक्षा, गर्व और प्यार को बनाए रखें। पूरे सम्मान और संकल्प से इस त्योहार को मनाएं।