इंडोनेशियन बैडमिंटन ओपन में संतोषजनक नहीं रहा सिंधू का प्रदर्शन

भारत ने पिछले टूर्नामैंट के बाद एक कदम खेल की बेहतरी के लिए आगे उठाया है परन्तु इसे भी संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कहा जा सकता। ओलम्पिक-2020 के बाद डेनमार्क में भारत सिर्फ क्वार्टर फाइनल तक जाकर सिमट गया था और अब इंडोनेशिया ओपन में भारत की चुनौती सैमीफाइनल पर जाकर समाप्त हो गई। भारत के खेल प्रेमियों के दिलों में इस बात का अफसोस हमेशा रहेगा कि पी.वी.सिंधू को अपने से कम प्रतिभाशाली खिलाड़ी जापान की यामांगुची से सैमाफाइनल में बहुत शर्मनाक प्रदर्शन के कारण हारना पड़ा। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि दोनों के बीच जो मुकाबले हुए हैं, वह 12 बार पी.वी.सिंधू ने जीते हैं और सिर्फ जापान की इस गुड़िया यामांगुची ने 7 बार तथा कई बार ऐसा हुआ है कि दो बार लगातार यामांगुची सिंधू से हारी है। खेल प्रेमियों के मन में इस बात का एहसास है कि पी.वी. सिंधू के पास अब ओलम्पिक स्तर का दोहरा पदक जीतने का अनुभव है, परन्तु खेल प्रेमियों के अनुसार यह अनुभव किस काम आया? यामांगुची ने यह मुकाबला सिर्फ 32 मिनट में समाप्त कर दिया। बैडमिंटन में अब यह बात भी की जाने लगी है कि भारत अब एशिया में एक बड़ी ताकत बन सकता है। पिछले डेनमार्क ओपन में शुरू में तो उसकी पेशकारी उसके पद के अनुसार तो सही थी और इस मैच में संघर्षपूर्ण जीत भी पी.वी सिंधू की खेल पर मज़बूत पकड़ को प्रकट करती है। उसने थाईलैंड की पैरनापाई को मात दी, परन्तु जब उसके सामने क्वार्टर फाइनल की लक्ष्मणरेखा आ गई तो पार करनी मुश्किल हो गई। हमारे पास लक्ष्य सेन जैसी प्रतिभा थी, पहले उसका प्रदर्शन सही रहा परन्तु उसका मुकाबला कड़ा हो जाने के कारण वह भी हमारी उम्मीदों पर पूरा न उतर सका। बैडमिंटन में किसी आम खिलाड़ी के लिए संकट पैदा हो जाता है, जब मैच किसी ऐसे खिलाड़ी के साथ तय हो जाता है, जो खेल में और विश्व रैंकिंग में उससे कहीं अधिक ऊंचा होता है। हमारा लक्ष्य सेन जापान के नम्बर एक और विश्व में धांक जमाने वाले खिलाड़ी ममोतो के साथ मैच हो जाता है। पहले हमारे खिलाड़ियों में से पी.वी. सिंधू और कितांबी श्रीकांत दोनों ने अपने-अपने राऊंड जीत कर सैमी्रफाइनल में प्रवेश कर लिया था। पी.वी. सिंधू ने क्वार्टर फाइनल में जिस तरह अपनी विरोधी खिलाड़ी को हराया, उसकी प्रशंसा करना बनता है। उसने एक बार फिर अपने दोहरे पदक की याद दिला दी।  सिंधू ने मैच के आरंभ में ऐसे तय कर लिया था कि मैच में हमेशा विरोधी के आगे ही रहना है। इस मैच में सिंधू ने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया था और उसका नैट के निकट खेल देखने वाला था। भारत की इस खिलाड़ी ने फिर सैकेंड राऊंड में सुपंदा केटेतोंग को मात दी। विशेषज्ञ सदा यह बात करते हैं कि कोई भी खिलाड़ी किसी भी रैंक का क्यों न हो उसका हमेशा जीत पर एकाधिकार नहीं होता।