आईसीसी वीमेन्स क्रिकेटर ऑफ  द ईयर बनी स्मृति मंधाना

वर्ष 2021 के लिए स्मृति मंधाना का आईसीसी वीमेन्स क्रिकेटर ऑफ  द इयर घोषित किये जाने की खबर देश व क्रिकेट प्रेमियों के लिए खुशी की बात है। स्मृति मंधाना को ‘रेशल हेहो फ्लिंट अवार्ड’ से सम्मानित किया जायेगा। गौरतलब है कि उन्होंने यह अवार्ड 2018 में भी जीता था।
अंदाज़ा यह है कि मिथाली राज के रिटायरमैंट के बाद स्मृति मंधाना ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हो सकती हैं, क्योंकि वह निरन्तर अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। वर्ष 2021, जिसके लिए उन्हें यह सम्मान मिला है, में स्मृति मंधाना ने 22 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 38.86 की औसत से 855 रन बनाये,जिनमें एक शतक व 5 अर्धशतक शामिल हैं। इस लिहाज से उनकी वाइट-बॉल शो गजब की रही, लेकिन साथ ही संगली (महाराष्ट्र) की इस 25 वर्षीय बल्लेबाज ने टैस्ट में भी कमाल किया। गोल्ड कोस्ट में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध भारत के पहले पिंक-बॉल टैस्ट में शानदार शतक जड़ा, जोकि उनके टैस्ट करियर का पहला शतक था। इससे पहले जून में ब्रिस्टल में इंग्लैंड के खिलाफ हुए एकमात्र टैस्ट में उन्होंने शानदार 78 रन बनाये थे। इसलिए स्मृति मंधाना इस सम्मान की वास्तव में हकदार थीं, जैसा कि भारत की पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी का कहना है, ‘मुझे खुशी है कि एक भारतीय ने यह अवार्ड जीता है। स्मृति मंधाना ने खेल के तीनों फॉर्मेट में अपना लोहा मनवाया।’ भारत की पूर्व क्रिकेटर डायना एडुल्जी ने स्मृति मंधाना को मुबारकबाद देते हुए कहा है कि वह उनके ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध टैस्ट शतक से बहुत प्रभावित हुई हैं। रंगास्वामी को लगता है कि मिथाली राज के बाद स्मृति मंधाना तीनों फॉर्मेट में भारत की आदर्श कप्तान बनेंगी, विशेषकर इसलिए कि वह रन बनाती हैं जिससे साथी खिलाड़ी प्रेरित होती हैं। फिलहाल टैस्ट व एकदिवसीय फार्मेट्स में मिथाली राज कप्तान हैं और टी-20 में नेतृत्व की जिम्मेदारी हरमनप्रीत कौर के पास है। महिला क्रिकेट में स्मृति मंधाना न सिर्फ सबसे स्टाइलिश खिलाड़ी हैं बल्कि गेंदबाज उन्हीं से ही सबसे ज्यादा डरते हैं। इसलिए यह आश्चर्य नहीं है कि आईसीसी ने उन्हें प्लेयर ऑफ  द इयर चुना। स्मृति मंधाना बताती हैं, ‘विश्व की सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज बनने का मेरा सपना शुरू से ही था।’ गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड की लीगों में उनकी जबरदस्त मांग है। 2018 में इंग्लैंड व वेल्स क्रिकेट बोर्ड की किआ सुपर लीग में वह टॉप स्कोरर व ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामैंट’ थीं। 2019 के शुरू में नेपिअर में न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध एक दिवसीय में स्मृति मंधाना ने जो शतक लगाया उसे वह अपनी सर्वश्रेष्ठ पारी मानती हैं। यह बहुत बड़ी उपलब्धि है स्मृति मंधाना के लिए, जिन्होंने अपनी क्रिकेट यात्रा एक ऐसी जगह  (सांगली, महाराष्ट्र) से शुरू की जो क्रिकेट का केंद्र नहीं है। स्मृति मंधाना के भाई श्रवण महाराष्ट्र की जूनियर टीम के लिए बल्लेबाजी करते थे, जिनसे प्रेरित होकर उनमें भी क्रिकेट खेलने का शौक पैदा हुआ। श्रवण
के जरिये ही स्मृति मंधाना की मुलाकात राहुल द्रविड़ से हुई, जिन्होंने उन्हें अपना एक बल्ला भेंट किया। राहुल द्रविड़ के बल्ले का प्रयोग स्मृति मंधाना ने अपने पहले अंतर्राष्ट्रीय मैच में किया, 36 गेंदों में 39 रन बनाकर। यह टी-20 मैच बांग्लादेश के विरुद्ध वडोदरा में खेला गया था। इसके छह माह बाद इस बल्ले की बदौलत ही स्मृति मंधाना ने वेस्ट जोन अंडर-19 के एक एकदिवसीय मैच में महाराष्ट्र की तरफ  से खेलते हुए गुजरात के विरुद्ध 150 गेंदों में 224 रन बनाये। स्मृति मंधाना को धूप में रोजाना छह घंटे गुजारने में कोई आपत्ति नहीं थी, वह तो बस क्रिकेट खेलना चाहती थीं। वह बताती हैं, ‘मेरे लिए कप्तानी व बल्लेबाजी दो अलग-अलग चीजें हैं। खैर, जब मैं बल्लेबाजी करती हूं तो भी मैं अपने आपसे कहती हूं कि मैं कप्तान हूं, भले ही मैं न हूं, क्योंकि इससे मैं अधिक ज़िम्मेदार हो जाती हूं।’

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