सौ दवाओं की एक दवा है हंसी

हंसी का मानव जीवन में कितना महत्व है, इसे दर्शाते हुए कई किताबें लिखी जा रही हैं। टीवी पर बढ़ते कॉमेडी सीरियल, चुटकुलों की पत्र-पत्रिकाओं में जगह, पुरानी बीमारियों के लिए उपचार साधन की तरह इसका इस्तेमाल लोगों में हंसी के महत्त्व को समझने का परिचायक है। भारत में भी बड़े-बड़े शहरों में लाफ्टर क्लब खुल गए हैं। इनकी संख्या तीन सौ से भी अधिक है। केवल मुंबई में साठ से अधिक लाफ्टर क्लब हैं। मानसिक रूप से पिछड़े बच्चों पर भी हास्य चिकित्सा का प्रयोग जब किया गया तो उसके परिणाम आश्चर्यजनक पाये गए। आक्र ामकता कम होने के साथ ही उनकी एकाग्रता में भी वृद्धि पाई गई। इसके अलावा उनके दृष्टिकोण और तौर तरीकों में भी बदलाव पाया गया।हास्य ही एक ऐसा व्यायाम है जो मस्तिष्क और संपूर्ण स्नायुतंत्र को पोषण देता है। तनाव-मुक्त हास्य चिकित्सा आम हास्य और योग का सम्मिश्रण है। आम हास्य के विभिन्न रूपों जैसे मुस्कुराहट, भीगी हंसी, ठहाके, लोट-पोट होने जैसी स्थिति, खिलखिलाहट को जब कुछ खास यौगिक व्यायाम जैसे गहरी श्वास लेते हुए बांहें फैलाना-के साथ सम्मिलित कर दिया जाता है। इन यौगिक हास्य व्यायामों का उद्देश्य व्यक्ति के दृष्टिकोण में बदलाव लाना है। एक बार ऐसा होने पर प्रसन्नता प्राप्त कर पाना आसान हो जाता है।
प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है कि हास्य चाहे वह बनावटी व जबरदस्ती थोपा हुआ क्यों न हो, शरीर में रसायनिक परिवर्तन ले आता है। यह प्रतिरोधक शक्ति को उत्तेजित तो करता ही है, शरीर में रक्त संचार भी बढ़ाता है क्योंकि हंसने से फेफड़ों को खूब व्यायाम मिलता है। 
हंसने से प्राकृतिक दर्द निवारक शक्ति भी बढ़ती है। दमा तथा अन्य श्वास की व्याधियां, मानसिक बीमारियां, अवसाद, अकारण भय, निराशा, रक्तचाप अल्सर यहां तक कि हृदय रोग जैसी बीमारियां भी हास्य से पूर्णत: ठीक न हों, तब भी कम तो की ही जा सकती हैं और नियंत्रण में रखी जा सकती है। (स्वास्थ्य दर्पण)