गेहूं के झाड़ में कमी किसानों को राहत दे केन्द्र सरकार

इस वर्ष मार्च महीने में पड़ी असाधारण गर्मी के कारण गेहूं के झाड़ में प्रति एकड़ 20 से 30 प्रतिशत तक की कमी हो गई है। अधिक गर्मी पड़ने के कारण बालियों में गेहूं के दाने भी पूरी तरह विकसित नहीं हुये, अपितु सिकुड़ गए हैं। इसी कारण मंडियों में गेहूं के आते ही एफ.सी.आई. ने प्रदेश से गेहूं खरीदने संबंधी आना-कानी करनी शुरू कर दी थी, जिस कारण एफ.सी.आई. के लिए गेहूं खरीदने वाली पंजाब की एजेंसियों के कर्मचारियों ने भी गेहूं की खरीद रोक दी थी। उत्पन्न हुये संकट के दृष्टिगत केन्द्र की पांच टीमों ने पंजाब के अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा किया तथा उसके बाद केन्द्र सरकार ने यह विश्वास दिलाया था कि गेहूं खरीदने के स्तर में कुछ ढील दी जाएगी। इसके उपरांत राज्य में गेहूं खरीदने की प्रक्रिया पुन: शुरू हुई। अभी तक प्रदेश से सरकारी एजेंसियों ने 83.49 लाख टन गेहूं खरीदी है तथा निजी व्यापारियों ने 4.61 लाख टन गेहूं खरीदी है, परन्तु अब मंडियों में गेहूं की आवक कम होने लगी है।
कहा जा रहा है कि राज्य में गेहूं का उत्पादन कम होने के कारण सरकारी खरीद 100 लाख टन तक भी नहीं पहुंच सकेगी। पिछले साल एफ.सी.आई. सहित प्रदेश की समूह एजेंसियों ने 132.14 लाख टन गेहूं खरीदी थी तथा इस बार  राज्य में से सरकार ने 135 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया था परन्तु अब यह लक्ष्य पूरा होने की सम्भावना नहीं है।
दूसरी तरफ केन्द्र सरकार को पंजाब तथा हरियाणा में मार्च महीने में अधिक गर्मी होने के कारण गेहूं के उत्पादन में प्रति एकड़ में जो 20-30 प्रतिशत तक कमी आई है, उस कारण  किसानों पर पड़े बुरे वित्तीय प्रभावों को भी ध्यान में रखना चाहिए। किसान पहले ही ऋण में डूबे हुए हैं, जिस कारण पंजाब में अकेले अप्रैल महीने में ही ऋण तथा गेहूं के उत्पादन में आई कमी के कारण डेढ़ दर्जन किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आगामी दिनों में इस तरह की दुखद घटनाओं में और भी वृद्धि होने का सन्देह प्रकट किया जा रहा है। इसके दृष्टिगत पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बातचीत की थी तथा उन्हें गेहूं पर प्रति क्ंिवटल 500 रुपये किसानों को बोनस देने के लिए कहा था। चाहे भगवंत मान ने बोनस देने का आश्वासन दिया था परन्तु प्रदेश की दुर्बल वित्तीय स्थिति को देखते ऐसा प्रतीत नहीं होता कि प्रदेश सरकार किसानों को बोनस दे पाएगी। इसलिए केन्द्र सरकार को आगे आ कर किसानों को 500 रुपये प्रति क्ंिवटल बोनस देने की घोषणा करनी चाहिए। दूसरी तरफ किसान इस बात से भी बेहद निराश हुये हैं कि ऐसे संकटमय समय में केन्द्र सरकार ने डी.ए.पी. खाद की कीमत भी 150 रुपये प्रति  बोरी बढ़ा दी है। इससे किसानों पर और भी वित्तीय बोझ पड़ेगा। डीज़ल के मूल्यों में पहले ही काफी वृद्धि हो चुकी है। इस मामले की ओर भी केन्द्र सरकार को ध्यान देने की ज़रूरत है तथा भविष्य में खादों, बीजों, कीटनाशकों तथा नदीननाशकों आदि के साथ ही डीज़ल की कीमतों को भी उचित दरों पर रखने हेतु प्रयास करने चाहिएं ताकि किसानों की उत्पादन लागत में और वृद्धि न हो।
हमारा मानना है कि कृषि का महत्त्व किसी भी तरह सेना से कम नहीं है। यदि सेना देश को भौगोलिक सुरक्षा प्रदान करती है तो कृषि देश को अनाज सुरक्षा उपलब्ध करती है। यदि कृषि खाद्य वस्तुएं उत्पन्न करने में समर्थ नहीं रहती तो देश की सीमाओं पर सेना भी देश की सुरक्षा नहीं कर सकती। इसलिए केन्द्र सरकार को किसानों की उपरोक्त समस्याओं पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना चाहिए।