उदाहरण से समझाएं बच्चों को साफ  -सुथरे रहना

जब तक बच्चों की साफ-स फ ाई का जिम्मा मां पर होता है, तब तक वे आमतौरपर साफ सुथरा रहते हैं। लेकिन जैसे ही बच्चे थोड़े बड़े हो जाते हैं, मां की बात अनसूनी करने लगते हैं, तब उन्हें साफ  रखना काफ ी मुश्किल भरा काम होता है। क्योंकि बच्चे वह बात जानबूझकर नहीं सुनते, जो बात बार बार मम्मी, पापा जोर देकर कहते हैं। चूंकि सफ ाई के लिए मम्मी बार बार कहती हैं तो टीनएजर बच्चे साफ  न रहने को या सफ ाई के उपदेशों की अनदेखी करने की अपनी ताकत समझने लगते हैं।
बहरहाल बच्चों में साफ-सफ ाई का एक अनुशासन छोटेपन से ही बनता है। क्योंकि यह बात भी सही है कि बच्चों के साफ-सफ ाई से रहने को घर के माहौल और संस्कार से जोड़कर देखा जाता है। अगर घर के बड़े लोग साफ  सफ ाई से नहीं रहते तो बच्चों को साफ रहने का उपदेश देने बिल्कुल गैर जरूरी होता है, क्योंकि इसका उन पर कोई विशेष असर पड़ता नहीं है। वैसे भी कहा जाता है कि बच्चों में अच्छे संस्कारों की नींव मां द्वारा घर में ही रखी जाती है। इसलिए अगर बच्चों को साफ सुथरा रखना है और आप चाहती हैं कि उनमें यह संस्कार स्थायी हो तो बजाय उन्हें किसी किस्म का उपदेश देने के बेहतर है कि पहले आप साफ-सफ ाई से रहने की शुरुआत करें। अगर घर की गृहिणियां साफ-सफ ाई के प्रति बेहद सचेत होगी तो सफ ाई की यह आदत पूरे परिवार को बनानी पड़ेगी। 
आमतौर पर जो लड़के घर से बाहर और अकेले रहते हैं, वह अकसर किसी धुली कमीज को दो तीन दिन तक पहन लेते हैं। लेकिन यह बात उन घरों के लोगों को बड़ी अटपटी लग सकती है, जो परिवार के साथ रहते हैं। यही वजह है कि तमाम पुरुष जो पढ़ाई या नौकरी के चलते लंबे समय तक घर के बाहर अकेले रहे हैं, उनमें साफ-सफ ाई के प्रति सजगता शादी के बाद ही आती है, जब पत्नी घर और पहने जाने वाले कपड़ों की तमाम सफ ाई का जिम्मा ले लेती है। सफ ाई सिर्फ शरीर भर की जरूरी नहीं होती, बल्कि हमारी पूरी जीवनशैली में हर जगह सफ ाई होनी चाहिए। 
अगर आप खाना खाने के बाद अपनी जूठी थाली को उठाकर सिंक पर रखती हैं और खाने से संबंधित तमाम बची खुची चीजों को सिस्मेटिक तरीके से डस्बिन में डालती हैं तो बच्चों को भी आपको देखकर यह आदत पड़ जायेगी। लेकिन अगर आप कोई चीज कहीं पर भी रख देने या फेंक देने की आदत का शिकार हैं तो फि र बच्चों से यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वे व्यवस्थित रहें और साफ  सफ ाई बरतें। ध्यान दें कि बच्चों में सफ ाई से रहने की आदत डालने का काम सिर्फ मां ही कर सकती है। सुबह उठकर बच्चों को ब्रश करने के लिए प्रेरित करना, रात में सोने से पहले ब्रश करना, नियमित नहाना, बाहर से घर में आने के बाद हाथ पैर धोना। 
बच्चों में अगर शुरू से ही अच्छी आदतें डाल दी जाएं तो बड़े होने पर मां को ही कम परेशानियां उठानी पड़ती है। इस तरह की आदतों को डालने के लिए बहुत कड़ी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती।  उनके सामने खुद अपनी सफ ाई के रूप में उदाहरण के तौर पर तो पेश करना ही होगा।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर