विश्व चैम्पियन को दो बार हराने वाली विलक्षण प्रतिभा   आर. प्रज्ञाननंदा

भारतीय शतरंज की विलक्षण प्रतिभा आर. प्रज्ञाननंदा ने तीन माह में दो बार वह कमाल कर दिखाया है, जो उनसे उच्च रैंक प्राप्त खिलाड़ी एक बार करने के लिए भी तरसते हैं। चेन्नै के रहने वाले इस 16 वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने नॉर्वे के विश्व चैंपियन मैगनस कार्लसन पर इस अवधि में दूसरी बार जीत दर्ज की है। उनकी यह दूसरी जीत 150,000 डॉलर के चेसएबल मास्टर्स ऑनलाइन रैपिड टूर्नामैंट के पांचवें राऊंड में आयी। मैच के अंतिम चरण में कार्लसन से एक बड़ी चूक हो गई जिसका प्रज्ञाननंदा ने भरपूर फायदा उठाया तीन पॉइंट अर्जित करने के लिए। इस प्रकार वह प्रतियोगिता के नॉकआउट चरण में पहुंचने की अपनी संभावनाओं को बरकरार रखे हुए हैं। गौरतलब है कि इस साल फरवरी में एयरथिंग्स मास्टर्स ऑनलाइन रैपिड चेस टूर्नामैंट के आठवें चरण में भी प्रज्ञाननंदा ने कार्लसन को हराया था, जिन्होंने पिछले साल लगातार पांचवी विश्व चैंपियनशिप जीती थी। कार्लसन पर विजय दर्ज करने वाले प्रज्ञाननंदा तीसरे भारतीय हैं।नॉर्वे के सुपर ग्रैंडमास्टर की इलो रेटिंग 2864 है जबकि भारतीय किशोर की 2642 है। इलो रेटिंग खिलाड़ी की ताकत का पैमाना है। अपनी दूसरी जीत के बारे में प्रज्ञाननंदा ने कहा, ‘मैं इस तरह से जीतना नहीं चाहता था।’ दरअसल, मैच ड्रा की तरफ  बढ़ रहा था कि 40वीं घोड़े की चाल से कार्लसन बड़ी चूक कर बैठे और उन्होंने तुरंत रिजाइन कर दिया। प्रज्ञाननंदा शतरंज के इतिहास में मैगनस कार्लसन के बाद सबसे कम आयु में ग्रैंडमास्टर बनने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं। वह मात्र 12 वर्ष की आयु में ग्रैंडमास्टर बन गये थे। आईये थोड़ा अतीत में चलते हैं। प्रज्ञाननंदा बताते हैं, ‘कोच (आरबी रमेश) ने हमसे कहा है कि घर पर भी हर मैच को रियल मैच की तरह खेला करो, ऐसे जैसे आप प्रतियोगिता में खेल रहे हो।’ बहन वैशाली बताती है कि जब यह जीतता है तो कहता है कि रियल मैच है, लेकिन जब हारता होता है तो कहता है कि यह फन मैच है। जबकि कोच रमेश का कहना है, ‘इससे बेहतर कुछ नहीं है कि आपकी बहन या भाई भी शतरंज खेलता हो क्योंकि फिर आप उस माहौल से बाहर निकलते ही नहीं हैं। आप हमेशा खेल रहे होते हैं बिना इस एहसास के कि आप वास्तव में खेल रहे हैं।’ प्रज्ञाननंदा को शतरंज का शौक अपनी बहन से लगा। प्रज्ञाननंदा ने कहा, ‘आज भी मैं अपने गेम को सबसे पहले अपनी बहन से ही डिस्कस करता हूं कि मुझे यह करना चाहिए था या वह, मैंने कहां गलती की और मैं किस तरह अपने खेल को बेहतर कर सकता हूं। शायद, मेरे गेम को मेरी बहन से बेहतर कोई नहीं समझता है।वैशाली प्रज्ञाननंदा के लिए एक साथ उसकी इन-हाउस कोच और प्रैक्टिस पार्टनर है। वैशाली बताती है, ‘हम दोनों कड़ी मेहनत करते हैं और बहुत होमवर्क भी करते हैं, लेकिन यह स्थिति को पढ़ने व आगे सोचने में अपवाद है। यह कभी-कभी जल्दबाज़ी कर जाता है जबकि मैं चाल चलने से पहले सौ बार सोचती हूं, लेकिन यह इम्प्रोवाइज करने में शानदार है।’ हालांकि वैशाली कहती है कि वह कभी अपने भाई के पीछे-पीछे चलने का प्रयास नहीं करती है, लेकिन वह उसके खेल से प्रभावित है। वह मुस्कुराते हुए बताती है, ‘पहले मैं गेम्स से पहले नर्वस हो जाया करती थी, लेकिन अब मुझे एहसास होता है कि आजकल मैं अधिक तेज़ खेल रही हूं और ज्यादा प्रयोग भी कर रही हूं। शायद इस कारण से कि मैं दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर से नियमित मुकाबला कर रही हूं।’ अपने बच्चों का टीवी टाइम कम करने के लिए बैंक कर्मचारी रमेशबाबू ने उन्हें शतरंज अकादमी में भर्ती कराया था, तब वह या उनकी पत्नी शतरंज के बारे में कुछ नहीं जानते थे, यहां तक भी नहीं कि शतरंज में कितने खाने होते हैं। अब उन्हें थोड़ी जानकारी है कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं, इसलिए जब वह खेलते हैं या दूर देश से उन्हें रात में कॉल करते हैं तो फिर वह सोने का प्रयास करने के बाद भी सो नहीं पाते, उनकी रातें लम्बी हो जाती हैं, सुबह के इंतज़ार में या शायद इस इंतज़ार में कि प्रज्ञाननंदा कब विश्व चैम्पियन बने, जिसकी संभावनाएं बहुत अधिक हैं, जैसा कि उनकी विश्व चैम्पियन कार्लसन पर दो जीतों से स्पष्ट है।

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