सब्सिडी घोटाले के बाद सरकार ने बढ़ाई सतर्कता

आग लगाने की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने किसानों को कृषि मशीनरी एवं औज़ार सब्सिडी पर देने शुरू किये ताकि अवशेषों का निपटान ज़मीन में दबा कर ही हो जाए जिससे ज़मीन की उत्पादन शक्ति भी बढ़े। यह सब्सिडी केन्द्र की ‘क्राप रैज़िड्यू मैनेजमैंट’ (सीआरएम) योजना के अधीन दी जाती है। केन्द्र ने वर्ष 2018 से सब्सिडी देनी शुरू की थी और गत वर्ष तक 935 करोड़ रुपये केन्द्र से लेकर पंजाब सरकार ने कृषि मशीनरी एवं औज़ारों पर सब्सिडी किसानों को उपलब्ध करवाई है। इस योजना के अधीन किसानों को मशीनों पर सब्सिडी 50 प्रतिशत तक दी जाती है। संगठन, जिनमें सहकारी सभाएं एवं कस्टम हायर केन्द्र आदि भी शामिल हैं, को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी पर यह मशीनरी एवं औज़ार दिये जाते हैं। 
इस मशीनरी में कम्बाइन हार्वैस्टरों का एसएमएस सिस्टम, हैपी सीडर, सुपर सीडर, उल्टावें हल, ज़ीरो-टिल ड्रिल, बेलर, रेक, शरब मास्टर, स्मार्ट सीडर, पैडी स्ट्रा और क्राप रीपर एवं रीपर-कम-बाइंडर आदि शामिल हैं। इसके बावजूद इन मशीनों से पराली एवं धान के अवशेष का निपटान इसे ज़मीन में दबा कर या इसे उठा कर बाहर पावर प्लांटों में ले जाकर नहीं हुआ तथा आग लगाने का रूझान नहीं थमा। लगभग 90400 मशीनें किसानों को सीआरएम योजना के तहत दी जा चुकी हैं। इसके बाद भी गत वर्ष 71304 धान की पराली एवं अवशेष को आग लगाने की घटनाएं हुईं। इससे पहले वर्ष 2018-19 में आग लगाने की घटनाओं की संख्या 51764 थी और वर्ष 2019-20 में 52991 थी। इतनी बड़ी राशि से 90 हज़ार से अधिक मशीनें दिये जाने के बावजूद आग लगाने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई अपितु वृद्धि ही हुई है। वर्ष 2018 में 269 करोड़, वर्ष 2019 में 274 करोड़ तथा वर्ष 2020 में 272 करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को दी गई। 
पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में सब्सिडी पर दी गईं मशीनों की जांच-पड़ताल करवाई गई और जांच के दौरान 11275 के लगभग सीआरएम योजना के अधीन दी गईं मशीनें गुम पाई गईं। इन मशीनों पर सब्सिडी 150 करोड़ रुपये के लगभग बनती है। इस घोटाले की जांच विजिलैंस विभाग द्वारा करवाये जाने का प्रस्ताव पंजाब सरकार के विचाराधीन है। गांवों में जाकर जांच करने वाले अधिकारियों को कुछ किसानों ने यह भी कहा कि उन्होंने नये माडल खरीदने के लिए पुरानी मशीनें बेच दी हैं, कुछेक ने कहा कि उनकी मशीनें किसी रिश्तेदार या मित्र के पास काम करने के लिए गई हुई हैं। अब पंजाब सरकार इस वर्ष 32000 के लगभग और मशीनें सब्सिडी पर किसानों को देगी, जिसके लिए केन्द्र सरकार ने 275 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में देने के लिए मंज़ूर किये हैं। इसलिए किसानों से आवेदन मांग कर गत महीने के अंत में प्रत्येक जिले में डिप्टी कमिश्नरों की देखरेख में 65000 आये आवेदनों की लाटरी निकल गई। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कृषि विभाग के कर्मचारी गांवों में जाकर इन किसानों की तस्दीक करेंगे। फिर उनकी जांच-पड़ताल की जाएगी कि पिछले तीन वर्षों में उन्होंने कोई मशीन सब्सिडी पर न ली हो। उसके बाद ग्रांट की स्वीकृति का पत्र जारी किया जाएगा तथा किसान को कहा जाएगा कि वह कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से प्रमाणित किसी डीलर, विक्रेता या मैन्यूफैक्चर के पास जाकर वह मशीन ले आए। मशीन की पूरी कीमत किसान को चुनिंदा विक्रेता को देनी पड़ेगी। यदि वह डीलर या विके्रता मान जाये कि वह सब्सिडी की राशि विभाग से बाद में ले लेगा तो विभाग उस डीलर के खाते में सब्सिडी की  राशि जमा करवा देगा और यदि किसान ने पूरी कीमत देकर मशीन ली होगी तो सब्सिडी की राशि किसान के खाते में चली जाएगी। पंजाब सरकार तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पूरी सतर्कता बरत रहे हैं कि पहले जो मशीनरी गायब हुई और सब्सिडी की राशि में घोटाला बताया गया है, ऐसा इस वर्ष न हो। पिछली अनियमितताओं को देखते हुए इस वर्ष किसानों के ग्रुपों को इस सब्सिडी के लिए योग्य नहीं रखा गया। कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल के अनुसार प्रत्येक सब्सिडी पर दी जाने वाली मशीन एवं लेज़र से एक विशेष नम्बर लिखा जाएगा ताकि वह मशीन पुन: बिक कर सब्सिडी के लिए इस्तेमाल न की जा सके। कृषि मंत्री के अनुसार इस वर्ष किसी भी तरह की सब्सिडी की राशि का दुरुपयोग न किया जा सके, इसलिए हर तरह सतर्कता बरती जाएगी। 
कुछ किसान नेताओं द्वारा कहा जा रहा है कि जो कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा मशीनरी के विक्रेताओं या मैन्यूफैक्चर्स को प्रमाणिकता दी गई है, उनकी मशीनों की कीमत बाज़ार से 30 प्रतिशत तक अधिक है। इस प्रकार किसान को तो 20 प्रतिशत तक की कीमत का ही सब्सिडी लेकर लाभ पहुंचता है। कुछ किसानों ने कहा कि जब प्रत्येक वर्ष मशीनों के नये माडल आ रहे हैं, तो उन्हें नया माडल खरीदने के लिए पुरानी मशीन बेचने की कुछ समय के बाद अनुमति मिल जानी चाहिए। जिस प्रकार हैपी सीडर मशीनें सभी दूसरी मशीनों से अधिक दी गई हैं परन्तु अब ज़्यादा लाभदायक एवं सफल सुपर सीडर एवं स्मार्ट सीडर माडल आ गए हैं। किसानों तथा कस्टम हायर केन्द्रों को नये माडलों को बदले की अनुमति होनी चाहिए। यह भी मांग की जा रही है कि पराली के निपटान के लिए ‘पूसा डीकम्पोज़’ जैसी वैकल्पिक तकनीक अपनाने पर भी किसानों को सहायता दी जाए।